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सीएम नीतीश कुमार की विधानपरिषद सदस्यता रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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पटना Live डेस्क. बिहार में महागठबंधन टूटते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद के निशाने पर हैं. महागठबंधन सरकार से नीतीश कुमार के इस्तीफा देने के कुछ ही देर बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर नीतीश कुमार पर मर्डर और आर्म्स एक्ट में शामिल होने का आरोप लगाया था. लालू प्रसाद के आरोप लगाने के बाद राजनीतिक हलकों में सनसनी फैल गई और इस केस के बारे में चर्चा होने लगी. आरोप में यह कहा गया है कि साल 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार पर हत्या का आरोप है. इसी बात को लेकर राजद ने सोमवार को मीडिया के सामने एक वीडियो भी जारी किया. अब ताजा मामले में सीएम नीतीश कुमार की राज्य विधानपरिषद की सदस्यता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं ऐसे में वो किसी संवैधानिक पद पर कैसे बने रह सकते हैं. लंबित आपराधिक मामलों के आधार पर नीतीश कुमार की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जदयू नेता के खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है. इस मामले में उन्हें कांग्रेस के स्थानीय नेता सीताराम सिंह की हत्या का आरोपी बनाया गया है.

बता दें कि 1991 में बाढ़ लोकसभा चुनाव क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान सीताराम सिंह की हत्या हुई थी. इस दौरान चार अन्य लोग घायल हुए थे. यह याचिका एमएल शर्मा ने दायर की है. उन्होंने इस मामले में सीबीआई को कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने कुमार के आपराधिक मामले की जानकारी होते हुए भी उनकी सदस्यता रद नहीं की.

 

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