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Super Exclusive-(सबसे बड़ा खुलासा) क्या फर्जीवाड़ा कर आईएएस बना जा सकता है? क्या केंद्रीय मंत्री जानते हुए की गलती हो रही गलती कर सकता है? सवाल बड़ा है पर जवाब बेहद छोटा – जी हां क्यो नहीं .. पढ़े पूरा सच

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कुलदीप भारद्वाज, मेनेजिंग एडिटर

पटना Live डेस्क। सवाल वाला शीर्षक पढ़कर आप को लगा होंगा की भला ये क्या बात हुई ? लेकिन, ठहरिए हज़रत ये कोई क्विज प्रतियोगिता का सवाल नही है। यह सवाल जुड़ा है संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी से जो देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा आयोजित करती है यानी इंडिया एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के अधिकारियों को चुनती है।ये वो अधिकारी होते है जो मुल्क को चलाते है यानी नीतिगत फैसले करते है।लेकिन,जब देश के नीतिगत फैसला लेने वाले ही गलत तरीके से फ़र्ज़ीवाड़ा कर के आईएएस बने हो तो इनसे क्या उम्मीद की जा सकती है? जी हां हम आपको मय सुबूत एक परीक्षार्थी के आईएएस बनने के तक के फर्ज़ीवाड़े के बाबत बताने जा रहे है।

                                चलिये,आपको पहले इस तथाकथित गोलमाल के किरदार से अवगत करा देते है।बिहार सरकार को बीते अगस्त महीने में बड़ी अजीबोगरीब परिस्थिति से जूझना पड़ा था। हुआ यूं एक जिले में अगस्त महीने में ही महज 15 दिन पहले बतौर डीएम तैनात किये गए एक आईएएस अधिकारी पर उसी जिले में जनवरी (काफी लम्बी छुट्टी के बाद बिहार लौटे) महीने से तैनात एक अन्य आईएएस अधिकारी ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यालय को डीएम साहब की लिखित शिकायत की।तब,दोनों अधिकारियों के बीच विवाद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था। इसी बीच सूत्रों की मानें तो एसडीएम के साथ डीएम ने कोई ऐसी हरकत कर दी जिसकी शिकायत पर तत्काल मुख्यालय को कड़ा एक्शन लेना पड़ा। जिलाधिकारी को न सिर्फ स्थानांतरित किया गया है बल्कि सामान्य प्रशासन विभाग में प्रतीक्षा में रखकर एक लिहाज से दंडित भी किया गया। वही आरोप लगाने वाले दूसरे आईएएस को भी जिले से रुखसत तो किया गया पर प्रशिक्षण में वरियता देते हुए दूसरे जिले में उपविकास आयुक्त बनाया गया।

खैर,अब तो आप भी कुछ कुछ पटना Live द्वारा किये जाने वाले खुलासे के मुख्य किरदार आईएएस के बाबत कयास और अन्दाज़ा लगाने के काबिल हो ही गए है। जी हां आप लगभग सही ढर्रे पर आगे बढ़ रहे है। इस खुलासे की मुख्य किरदार एक महिला आईएएस ही है।जो मूलरूप से ताज नगरी आगरा, उत्तरप्रदेश की रहने वाली है। 2013 बैच की बिहार कैडर की अधिकारी है।

वर्ष 2012 यूपीएससी का रिजल्ट और बिहार प्रेम

वर्ष 2012 के यूपीएसी के फाइनल रिजल्ट में ऑलइंडिया में 39वा और 224वा रैंक हासिल करने वाले थे क्रमशः शैलजा शर्मा और लिपिनराज एमपी। शैलजा जहा मूल रूप से यूपी की निवासी है वही लिपिनराज केरल के मूल निवासी है।दोनों का सेलेक्शन वीडी (विजुअली हैंडीकैप्ड) कोटे में हुआ है। यह तो वो सच है जो दुनिया जानती है। साथ ही इनके रिजल्ट के साथ भी VD शब्द का उल्लेख है।लेकिन पहली किस्त में बात बिहार कैडर की आईएएस अधिकारी की करेंगे क्योंकि रहने वाली यूपी की है और वीडी सर्टिफिकेट इन्होंने बिहार से बनवाया था है न ग़ज़ब का बिहार प्रेम?

लेकिन पिक्चर अभी शुरू हुई है मेरे दोस्त

39 रैंक प्राप्त करने वाली शैलजा शर्मा ने वेटनरी साइंस में डाक्टरेट की हुई हैं और बतौर सरकारी वेटनरी डॉक्टर बागपत में वर्ष 2013 के अगस्त महीने तक कार्यरत रही है।साथ ही साथ यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी भी करती रही ताकि आईएएस बनकर देश की सेवा कर सके। लेकिन सफलता मिली वर्ष 2012 में वीडी यानी विजुअली हैंडीकैप्ड कोटे में पर रैंक मिला बेहतरीन। विजुअली हैंडीकैप्ड कोटा और 39 रैंक की भी अलग कहानी है। खैर,अब बात रिजल्ट के आने के बाद यूपीएससी द्वारा चयनित हैंडिकैप्ड उम्मीदवारों के मेडिकल की व्यवस्था दिल्ली के नाम चीन सरकारी अस्पताल सफदरजंग में है।

ज़रखेज और सनसनीखेज मो                   खुद को मेडिकली विजुअली हैंडिकैप्ड साबित करने की कवायद के तहत 39रैंक पाकर सफल शैलजा शर्मा के सफदरजंग अस्पताल में मेडिकल ख़ातिर उपस्थित होने के बाद से ही इस कहानी में बड़ी जरखेज और सनसनीखेज तरीके से ग़ज़ब का मोड़ आता है। यह कहानी न केवल मोड़ लेती है बल्कि तत्त्कालिक यूपीए सरकार की भी मुसीबत का सबब बन जाती है।

पहला मेडिकल टेस्ट – सफदरजंग अस्पताल

शैलजा शर्मा ने खुद को विजुळली हैंडिकैप्ड बता कर यूपीएससी की परीक्षा पास की। रैंक भी बेहद शानदार मिला। अब बारी थी खुद को वीडी साबित करने की तो नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर ने जब मेडिकल जांच की तो चौकाने वाला तथ्य इस जांच रिपोर्ट में लिखा। अपनी जांच रिपोर्ट में डॉक्टर अनुज मेहता जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर MCI 6229 है ने साफ साफ लिखा कि शैलजा शर्मा विजुअली हैंडिकैप्ड नही है। उनके द्वारा क्या लिखा गया आप स्वयं देखे

दूसरा- 3 डॉक्टरों द्वारा राम मनोहर लोहिया अस्पताल , नई दिल्ली

चुकी सफदरजंग अस्पताल ने शैलजा शर्मा को वीडी नही बताया इन्होंने अपिलेन्ट मेडिकल बोर्ड जो राममनोहर लोहिया अस्पताल के 3 डॉक्टरों का था द्वारा इनका पुनः एक बार मेडिकल एग्जामिनेशन किया गया पर इस बार तो 3 सदस्यीय बोर्ड ने स्पष्ट लिखा दिया …देखे

  • और फिर ..सियासत की गलियां और यूपीए सरकार के केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी
  • लेकिन साल 2012 में एक अन्य मेडिकली डिसेबल कैंडिडेट महेश चंद्र सैनी को क्यो नही मिला मौका …तमाम सवाल …क्यो हुई मेहरबानी …
  • थोड़ा इंतज़ार कीजिये ..डॉक्युमेंट्स के साथ हाजिर होंगे कुछ घंटों में ……..

बागपत से बिहार तक……..

Fact Finding सीरीज़- “बागपत से बिहार” परत दर परत कब कैसे कहाँ-बेहद शातिराना ढंग से फर्जीवाडा सीधे IAS बना देता है! बेहद गंभीर सवाल

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