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पंचायतों में होंगे कई बदलाव, घटेगा मुखिया का पवार, बढ़ेगी सरपंच की जिम्मेदारी

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पटना Live डेस्क। बिहार में जल्द ही पंचायत के चुनाव होने हैं। इस बार चुनाव के नियमों में बदलाव तो हो ही रहे हैं। लेकिन, पंचायत के कई पदों के अधिकार क्षेत्रों और जिम्मेदारियों में बदलाव किए जाएंगे। जिनमें मुख्यतः सरपंच और मुखिया का पद शामिल है. पंचायतों में सबसे अधिक होड़ मुखिया और जिला परिषद के लिए ही देखी जाती है। इसके बाद पंचायत समिति सदस्‍य और सरपंच के पद का नंबर आता है। इसके पीछे वजह है इन पदों को मिली शक्तियां। मुखिया का पद काफी पावरफुल माना जाता है। लेकिन, बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने मुखिया और सरपंच के बीच शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से कर दिया है।
बिहार में 11 चरणों में होने वाले चुनाव की अधिसूचना हो चुकी है। 24 सितंबर को पहले चरण के चुनाव के लिए मतदान होगा। इसके पहले ही पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया व सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर दिया है। मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेदारी होगी। वहीं सरपंच गांवों में सड़कों के रखरखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य करेंगे।
मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें आयोजित करनी होंगी। बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्ययोजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा।
मुखिया के साथ सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने का अधिकार इन्हें मिला हुआ है। इसके अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इन्हीं के पास रहेंगी। इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह-संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा।

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