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Super Exclusive(Audio)सुशासन बाबु के थानों में “वर्दीवाले गुण्डों” ने मचाया कोहराम,अब वक़ील को धुना

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पटना Live डेस्क। बिहार में बकौल मुख्यमंत्री नीतीशे कुमार सुशासन है। सुशासन मतलब कानून का राज है। लेकिन हक़ीक़त क्या है और क्यो है ये किसी भी आमआदमी से पूछिए वो बताएगा खैर सूबे में सुदूर जिलों की बात कौन करे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाक के नीचे ही राजधानी पटना में पुलिसवालों के कारनामे लगातार नए नए मुकाम को न केवल हासिल कर रहे बल्कि है बल्कि चरम पर करते हुए उदंडता, तानाशाही और लगभग खुद मुख़्तार बन चुके थानेदार किसी को भी कुछ नही समझने पर आमादा है। लगातार बिहार पुलिस के डीजीपी से लेकर वरीय और वरिष्ठ अधिकारी खाकी वालो से आम आदमी से फ्रेंडली व्यवहार करने को कहते रहते है। वो कहते है तभी अचानक एक ऐसा वीडियो ऑडियो वायरल हो जाता है जो बेकाबू, बेखौफ,बेलगाम और बददिमाग वर्दीवाले की करतूतों का कच्चा चिट्ठा खोल देता है।एक बार फिर पटना में तैनात एक दारोगा ने अपनी दबंगई और गुण्डई का खुल्लम खुल्ला मुजाहिरा किया है जिसका वीडियो लगातार वायरल हो रहा है।अभी तमाम मामले बिसुरे भी नही है कि बिक्रम थाने के रंगबाज थानेदार के वायरल वीडियो के बाद अब बीतीरातमोकामा थाने के ओडी अफसर अशोक सिंह ने कोहराम मचा दिया थाने में वकील साहब को बुलाया गालीगलौज करते हुए जमकर धुना और फिर पूरी ढिढता से कहा ….रे मा … जो जौन बाबु के सुनावे ला है सुना दे … एतना त कमाई ए लिए है कि सेमडेट से रिलीज हो जाएगे…

लेकिन शायद शराब व बालू की अवैध कमाई ने लगता है खाकीवालो को मानसिक रूप से बेपरवाह और बेख़ौफ़ कर दिया है।बिहार पुलिस के कनीय अधिकारी भी अब लगता है खाकी के सिस्टम को अच्छे से समझ चुके है। तभी तो ये अब एसपी डीएसपी का बकायदा उच्चारण कर उनकी गरिमा को ठेस पहुचाने से बाज़ नही आ रहे है।बिहार में नीतीश के सुशासन की हकीकत देखिए अपराधियों की मौज और आम लोगो की फजीहत करने वाली पुलिस देखिए। एक सरकारी कर्मचारी को थाने में घण्टों बिठाकर माँ बहन रोटी बेटी करने थानेदार को आपने देखा। न चेहरे पर शिकन न कोई भय है बस दबंगई और बदन पर वर्दी का रौब है।

मोकामा थाने वाले साहब के जलवे के बारे क्या कहे पहले आप इस वायरल वीडियो को देखे जहाँ साहब पूरी ठसक और दुःसाहस की अति को पार कर एक पीड़ित को वकील को जमकर धुन दिया। जानते है उनका कसूर था … खुद सुनिए पीड़ित और पुलिस गुण्डई का शिकार होकर भोकार पार कर रोते पीड़ित की जुबानी …

हलात का तफसरा करे तो सूबे में थाने एक्सटॉर्शन के अड्डे बन चुके है। खैर आप ने देखा ही दारोगा साहब के रुआब को और ठसक साथ सुना पढ़ा उस डायलोंग को भी। लब्बोलुआब यह है को उम्मीद तो नही की कोई कार्रवाई दारोग़ा पर क्योकि विभाग सिस्टम से चलता है और सिस्टम में चाभी देनी पड़ती है।

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