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जातीय जनगणना को लेकर अड़े हुए हैं नीतीश कुमार, फिर किया केंद्र से आग्रह

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पटना Live डेस्क। जातीय जनगणना का मुद्दा बिहार में इन दिनों काफी गरमाया हुआ है। सत्ता पक्ष से JDU तो इसकी मांग कर ही रहा है विपक्षी पार्टियां भी इसके पक्ष में हैं। इसको लेकर अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने शनिवार को अभी-अभी फिर से दोहराया है कि जातीय जनगणना होनी ही चाहिए। कास्ट बेसिस सेंसस गरीब-गुरबों के उद्धार के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन हमलोग केंद्र सरकार से आग्रह ही कर सकते हैं न। मुख्यमंत्री पटना में सीएनजी बसों के उद्घाटन करने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एक बार निश्चित रूप से जातिगत जनगणना देश में होनी चाहिए। इससे एससी-एसटी के अलावा भी अन्य कमजोर वर्ग है, उनकी वास्तविक संख्या की जानकारी होगी और सभी के विकास के कार्यक्रम बनाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमलोग केंद्र से एक बार फिर आग्रह करेंगे कि जातिगत जनगणना कराई जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि जाति आधारित जनगणना की मांग 90 के दशक से ही होती आ रही है। हमलोग लगातार इसकी मांग करते आ रहे हैं। लेकिन केंद्र की ओर से कह दिया गया है कि एससी-एसटी के अलावा अन्य जातियों की जनगणना नहीं करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे बाकी जातियों को निराशा हाथ लगी है। जाति आधारित जनगणना से जनसंख्या के आधार पर गरीब-गुरबों को काफी मदद मिलेगी। उनके विकास के लिए और अधिक काम किये जा सकेंगे।
इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके पहले ट्वीट भी किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 एवं पुनः 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था। केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए। एक बार फिर हमलोग आग्रह करते हैं कि वह जाति आधारित जनगणना पर फिर से फैसला करे।
गौरतलब है कि कास्ट बेसिस सेंसस कराने से इनकार करने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया था। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा था कि जब केंद्र सरकार कुत्ता-बिल्ली से लेकर हाथी-घोड़ा और सियार तक की गणना करा सकती है तो ओबीसी और ईबीसी की जनगणना कराने से क्यों डरती है। बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भी काफी वर्षों से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग करते आ रहे हैं।

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