Video – देखिए कैसे बिहार के इस स्टेशन पर महज 7 मिनट में 24 बोगियों की हो रही है रेलवे कोचों को धुलाई
पटना Live डेस्क। सूबे में रेलवे की प्रगति और उन्नति का एक और उदाहरण सामने आया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक वीडियो ट्वीट कर इसे बताया है।ये वीडियो बिहार के सहरसा रेलवे स्टेशन पर लगे ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का है।इसमें उन्होंने लिखा है कि आधुनिक तरीके से सफाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए बिहार के सहरसा स्टेशन पर शुरू हुआ ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट।जिससे 24 कोच की ट्रेन की धुलाई मात्र 7-8 मिनट में होती है, जिसमें पानी भी कम लगता है।
पानी और समय की होती ही बड़ी बचत
उल्लेखनीय है कि पूर्व में कोच के बाहरी हिस्से की सफाई मैन्युअल करने में कई घण्टे का वक्त लगता था लेकिन अब घंटा-दो घंटा न केवल समय बचेगा बल्कि मैन पावर भी कम लगता हैं। अब कोच के बाहरी हिस्से की सफाई करने वाले कर्मियों को अब ट्रेन के अंदरूनी हिस्से की सफाई में लगाया जा रहा है जिससे कि कम समय में पूरी ट्रेन चकाचक हो जा रही है।
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिये भारतीय रेल द्वारा निरंतर कदम उठाये जा रहे हैं, जिसका एक उदाहरण है बिहार के सहरसा स्टेशन पर शुरु हुआ ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट।
यहां 24 कोच की ट्रेन की धुलाई 7-8 मिनट में पूर्ण होती है, जिसमें पानी भी कम लगता है। pic.twitter.com/T4ITMcKGfL
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 18, 2021
दरअसल, स्टेशनों को स्वच्छ बनाने की मुहिम में कामयाबी मिलने के बाद रेलवे ने अब अपनी ट्रेनों को भी साफसुथरा रखने की योजना पर काम तेज कर दिया है। इसी क्रम में सहरसा में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट अब शुरू हो गया है।पुणे की कंपनी ने इसे बनाया है।यहां हर गुजरने वाली ट्रेन को ऑटोमैटिक मशीनों के जरिए बाहर से धोया और चमकाया जाता है।
ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की वजह से ट्रेनों के कोच के बाहरी हिस्से अब पूरी तरह से चमकते नजर आ रहे हैं। कोच की धुलाई में कम मात्रा में पानी, साबुन और कीटाणुनाशकों का उपयोग हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह कि सफाई कार्य में लगने वाले 80 प्रतिशत पानी का दोबारा उपयोग में लाया जाता है।
एक कोच की धुलाई और सफाई में लगने वाली 250 से 300 लीटर पानी की बजाय मात्र 50 से 60 लीटर पानी लगेंगे।ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट लगने से पानी की बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होगा। इसमें 30-30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट(ईटीपी) भी लगाया गया है। इसी के जरिए धुलाई और सफाई में लगे पानी को ट्रीटमेंट करते दोबारा उपयोग में लाया जाता है।
कैसे होती है सफाई
पटरी के किनारे करीब आठ से 10 फीट लंबा गोलाकर ब्रश लगा हुआ है जो पानी की फुहारों के साथ घुमता रहता है। पटरी से जब ट्रेन गुजरती है तो कोच का बाहरी हिस्सा ब्रश को टच करते हुए निकलता है जिससे कि उसकी सफाई हो जाती है।नीचे गिरने वाला पानी एक खास संयत्र के जरिए रिसाइकल होता है।
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