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आशीष नेहरा ने टी20 में न्यूजीलैंड पर धमाकेदार जीत के साथ लिया अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई,18 साल लंबे शानदार किकेट कैरियर पर फुल स्टॉप

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पटना Live डेस्क।अपने घरेलू मैदान फिरोजशाह कोटला मुबारक पुर में भारत ने टी20 मैच पहली बार न्यूज़ीलैंड को पहली बार शिकस्त देकर अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा को शानदार विदाई दी है।इसी के साथ नेहरा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। अपने रिटायरमेन्ट की घोषणा के वक्त नेहरा ने यहां पत्रकारों से कहा था कि, ‘ऐसे में रिटायर होना अच्छा लगता है जब लोग ‘क्यों नहीं’ से ज्यादा ‘क्यों’ सवाल पूछते हैं।’

इससे बेहतर विदाई का मौका नहीं मिलता, मुझे यह खेल बहुत याद आएगा बोले आशीष नेहरा

अपने होम ग्राउंड फिरोज शाह कोटला पर न्यू जीलैंड के खिलाफ अपने इंटरनैशनल करियर का आखिरी मैच खेलने वाले आशीष नेहरा ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। 18 साल तक इंटरनैशनल क्रिकेट खेलने वाले नेहरा ने मैच के बाद कहा कि वह इस खेल बहुत मिस करेंगे। हालांकि अपने करियर में लगातार चोटों से जूझते रहे नेहरा ने कहा कि अब उनके शरीर को आराम मिलेगा।


38 वर्षीय आशीष नेहरा अपने आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच में भले बी एक भी विकेट न ले पाए हों, लेकिन उनके लिए सुखद बात यह रही कि टीम इंडिया ने इस मैच में उन्हें जीत के साथ विदाई दी। नेहरा ने इस मैच में 4 ओवर फेंककर 29 रन दिए। मैच के बाद नेहरा ने कॉमेंटेटर संजय मांजरेकर से बात करते हुए कहा, ‘मैं यह सब बहुत मिस करूंगा। आप इसी चीज के लिए तैयार होते हैं। मैंने पहले भी कहा था, अब मेरा शरीर आराम से रहेगा। मैंने अपने आप को तैयार किया था और मैं अभी अगले दो महीने या एक साल और खेल सकता था, लेकिन कौन जानता है कि आपको इससे बेहतर और इससे बड़ी विदाई का मौका बाद में मिलता या नहीं। इस मौके पर अपनी नीली जर्सी टांगने का यह सही समय था।’

नेहरा ने कहा, ‘मैं शायद भारत का ऐसा बोलर रहा होऊंगा, जिसने भारत की ओर सबसे ज्यादा स्लॉग ओवर में बोलिंग की होगी। लेकिन यह एक अलग तरह का दबाव होता है, लेकिन आज मेरे लिए सबकुछ बहुत सहज था। यह एक बड़ा बदलाव है और क्रिकेट के 18-19 साल से मैंने यही देखा है। मैंने यहां अपना पहला मैच 1997 में खेला था और तब से लेकर आज तक यहां बहुत तेजी से बदलाव हुए हैं।’

नेहरा ने क्रिकेट में आए बदलाव पर कहा, ‘बीते 18 साल में अब खेल के कई नियम बदल चुके हैं। अब ढेरों रन बन रहे हैं। यह एक बेहतरीन टीम है और मौजूदा भारतीय टीम अगले 7-8 साल तक अच्छे हाथों में है। प्रत्येक 8-10 साल में खेल बदल जाता है इसलिए मैं पीढ़ियों में तुलना करना पसंद नहीं करता। इससे पहले हमारे पास गांगुली, एमएस (धोनी) और सचिन सरीखे चैंपियन प्लेयर थे,मैं सबका नाम नहीं ले सकता। कुल मिलाकर यह एक शानदार यात्रा रही।’

इसके बाद नेहरा ने पूरे मैदान का चक्कर काटा और नेहरा के साथ पूरी टीम इंडिया उनके लिए तालियां बजाकर अभिवाद कर रही थी। बाद में नेहरा को कैप्टन विराट कोहली और शिखर धवन ने अपने कंधों पर उठाकर कुछ दूर तक मैदान पर घूमाया। दिल्ली के लिए खेलने चुके नेहरा के पूर्व साथी खिलाड़ी वीरेंदर सहवाग और आकाश चोपड़ा भी इस मौके पर मौजूद थे। इन दोनों ने भी नेहरा को गले लगाया।

.                  धमाकेदार जीत के साथ टीम इंडिया ने दी नेहरा को विदाई

हैदराबाद में रिटायरमेंट के बाबत नेहरा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टी20 मैच से पहले कहा था कि ‘मैंने टीम प्रबंधन और चयन समिति के प्रमुख से बात की है। मेरे लिए घरेलू दर्शकों के सामने खेल को अलविदा कहने से बढ़कर कुछ नहीं होगा। उसी मैदान पर 20 साल पहले मैंने अपना पहला रणजी मैच खेला था।’ उन्होंने कहा , मैं हमेशा कामयाबी के साथ संन्यास लेना चाहता था। मुझे लगता है कि यह सही समय है और मेरे फैसले का स्वागत किया गया है। 38 वर्षीय नेहरा ने टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को इस फैसले की जानकारी दे दी

नेहरा ने कहा, ‘भुवनेश्वर जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं। बुमराह और मैं पहले खेल रहे थे लेकिन अब भुवी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा अगले पांच-छह महीने तक कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं होना है।’ उन्होंने कहा कि वह एक साल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल खेल सकते थे। उन्होंने कहा, मेरे लिये यह अहम है कि ड्रेसिंग रुम में लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं। सभी कह रहे हैं कि मैं एक-डेढ़ साल और खेल सकता था। इसके बाद 2018 में कोई टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं होना है।

नेहरा ने कहा कि अच्छा प्रदर्शन कर रहे युवाओं को ही और मौके देना सही होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वह अब आईपीएल भी नहीं खेलेंगे। भारत के लिए 1999 में करियर का पहला मैच खेलने वाले नेहरा 117 टेस्ट, 120 वनडे और 26 टी20 मैच खेल चुके हैं। उन्होंने टेस्ट में 44, वनडे में 157 और टी20 में 34 विकेट लिए हैं। उन्हें डरबन में 2003 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ 23 रन देकर छह विकेट लेने के लिए याद किया जाता है। बीमार होने के बावजूद उन्होंने उस मैच में यह शानदार प्रदर्शन किया था।

वह 2011 विश्व कप विजेता टीम के भी सदस्य थे और सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन किया था। उंगली में फ्रेक्चर के कारण वह फाइनल नहीं खेल सके थे। यह पूछने पर कि क्रिकेट के मैदान पर उनकी सबसे सुखद याद क्या है, उन्होंने कहा , हर दिन एक नई याद है । लोग लम्हे याद रखते हैं। मसलन इंग्लैंड के खिलाफ छह विकेट या कराची में आखिरी ओवर, लेकिन मैं ऐसा नहीं सोचता। उन्होंने कहा , मुझे हमेशा अच्छा लगता रहेगा कि कप्तानों ने मुझसे आखिरी ओवर कराया। हम विश्व कप 2011 फाइनल जीते और 2003 हारे। मेरे लिए कोई एक लम्हे का जिक्र करना मुश्किल है।

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