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वाह! भगोड़ा 25 हजार के ईनामी धनंजय सिंह को JD(U) ने बनाया महासचिव,39 से ज्यादा आपराधिक मामले है दर्ज़

जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह बने जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव,पूर्व सांसद धनंजय सिंह विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू के टिकट पर मल्हनी से चुनाव भी लड़े थे। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बाहुबली ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए धन्यवाद

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पटना Live डेस्क। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए हैं। फिलहाल धनंजय सिंह को बीते जुलाई से कोर्ट ने भी भगोड़ा घोषित कर रखा है, 25 हजार के इनामी हैं, लेकिन लखनऊ पुलिस और जौनपुर पुलिस को धनंजय से ढूंढे नहीं मिल रहे। शनिवार की रात जदयू द्वारा महासचिव बनाए जाने की जानकारी होने पर पूर्व बाहुबली विधायक समर्थकों में खुशी का माहौल है।धनंजय सिंह इस बार विधानसभा चुनाव में भी जेडीयू के टिकट पर मल्हनी से चुनाव भी लड़े थे।हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।एक बार जौनपुर के सांसद और दो बार विधायक रहे धनंजय सिंह सूबे में बाहुबली और माफ़िया की पहचान रखते है।

 

जदयू के महासचिव का आपराधिक रिकॉर्ड

धनंजय सिंह के खिलाफ कुल 39 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से सात विचाराधीन हैं। साथ वे मऊ के प्रखंड प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड के आरोपी हैं। वे विधानसभा चुनाव के दौरान घोषित संपत्ति के अनुसारराज्‍य के सर्वाधिक अमीर उम्मीदवारों में से एक रहे। उनके व उनकी पत्‍नी को मिला कर पास 5.31 करोड़ की अचल संपत्ति है। उनकी पत्नी श्रीकला सिंह के पास कुल 7.80 करोड़ की अचल संपत्ति है। दंपती के पास 13 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। इसके अलावा उनके पास 10 करोड़ की चल संपत्ति भी है।

भगोड़ा व 25 हजार के ईनामी

लखनऊ पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर धनंजय सिंह के ऊपर 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा है जबकि दस्तावेजों में धनंजय सिंह फरार है, 25000 का इनामी है। उसकी तलाश की जा रही है, लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान ही जिस तरह से धनंजय सिंह की पत्नी ने निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। चुनाव के दौरान भी कई बार धनंजय सिंह की प्रचार करते हुए भी तस्वीरें सामने आई और अब एक बार फिर धनंजय सिंह का वीडियो सामने आया। फिलहाल धनंजय सिंह को बीते जुलाई से कोर्ट ने भी भगोड़ा घोषित कर रखा है, 25 हजार के इनामी हैं, लेकिन लखनऊ पुलिस और जौनपुर पुलिस को धनंजय से ढूंढे नहीं मिल रहे।

 

क्यों रखा गया है 25 हजार रुपये का इनाम?

जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह भले ही उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए 25000 के ईनामी हो, कोर्ट से भगोड़ा घोषित हो और लखनऊ पुलिस और जौनपुर पुलिस को धनंजय सिंह ढूंढे नहीं मिल रहे, लेकिन धनंजय सिंह धड़ल्ले से जौनपुर में खुलेआम घूम रहे हैं, निजी और सार्वजनिक कार्यक्रमों में शिरकत कर उद्घाटन कर रहे हैं। विगत दिनों धनंजय सिंह के क्रिकेट मैच के उद्घाटन के वायरल वीडियो से सामने आया है, जिस पर समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार को घेरा भी था।

 

राजधानी लखनऊ में एक साल पहले 6 जनवरी की शाम विभूति खंड इलाके में हुई मोहमदाबाद के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी।अजीत सिंह के साथी और शूटआउट में घायल मोहर सिंह की तहरीर पर आजमगढ़ के कुंटू सिंह समेत चार लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने जांच की तो 11 और आरोपी सामने आए।

जांच के दौरान जौनपुर से पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह को साजिश रचने का आरोपी बनाया गया।पुलिस ने अजीत सिंह हत्याकांड में धनंजय सिंह पर शिकंजा कसना शुरू किया तो एक पुराने मामले में धनंजय जमानत कटवा कर जेल चला गया। नैनी जेल में रहने के दौरान धनंजय सिंह ने जेल में जान को खतरा बताया तो 11 मार्च 2021 को धनंजय सिंह को नैनी जेल से सेंट्रल जेल फतेहगढ़ शिफ्ट कर दिया गया। तदुपरांत फतेहगढ़ जेल पहुंचने के 20 दिन के अंदर ही कोर्ट से धनंजय सिंह को जमानत मिल गई और तभी से धनंजय सिंह बाहर है।

इधर लखनऊ पुलिस ने अजीत सिंह हत्याकांड में मिली कॉल डिटेल, सबूतों के आधार पर धनंजय सिंह को इस पूरे हत्याकांड की साजिश रचने का आरोपी बनाते हुए वांटेड घोषित किया। धनंजय सिंह के जौनपुर स्थित आवास पर जौनपुर और लखनऊ पुलिस ने कई बार छापेमारी भी की, लेकिन धनंजय सिंह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।

धनंजय सिंह का राजनीतिक सफर, एक नजर

बाहुबली धनंजय सिंह ने साल 2002 के विधानसभा चुनाव में रारी सीट पर पहली बार निर्दलीय जीत हासिल करने के बाद 2007 के अगले विधानसभा चुनाव में जेडीयू का दामन थामा और फिर जीत गए। मल्हनी सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्‍तित्‍व में आई थी। इससे पहले यह रारी सीट के नाम से जानी जाती थी। साल 2002 की जीत के बाद धनंजय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती के साथ हो गए। साल 2009 में उन्‍होंने बीएसपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीता। दो साल बाद उनका मायावती व बीएसपी से नाता टूट गया। इसके बाद वे राजनीति के हाशिए पर जाते दिखे। इसके बाद वे कई चुनाव हार गए। चुनावी हलफनामे के अनुसार 39 से भी ज्यादा आपराधिक मामले भी दर्ज हो गए। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह एक बार फिर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार व जेडीयू के करीब आ गए। पार्टी ने उन्हें मल्हनी विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन जीत नही सके।

क्‍या कहते हैं धनंजय स‍िंह

दो बार विधायक रहे धनंजय सिंह एक बार जौनपुर से सांसद भी रह चुके हैं। उनकी पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह इस समय जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने पर धनंजय सिंह ने मीड‍िया से कहा, ‘वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह और मुख्यमंत्री बिहार नीतीश कुमार को इसके लिए धन्यवाद देते हैं। पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, वह उसका ईमानदारी से निर्वहन करेंगे। शीर्ष नेतृत्व के विश्वास पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे।’

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