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Super Exclusive- देखिये कैमरे पर Live कैसे हुआ है बंदूक की नोक पर पटना में बोकारो के इंजीनियर का पकड़ुआ विवाह

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ब्रिजभूषण कुमार, ब्यूरो प्रमुख, पटना सिटी

पटना Live डेस्क।बिहार में सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ विद्रोह का लंबा चौड़ा इतिहास रहा है। भारत
के स्वर्णिम काल खण्डो में इस जोरदार वर्णन है। ऐसा ही एक विद्रोह बिहार में दहेज के खिलाफ हुआ था और आज भी जारी है। दहेज के खिलाफ इस विद्रोह की कहानी नब्बे के दशक की है। इसे बिहार में पकड़ुआ बियाह(फोर्स्ड मैरेज) के नाम से जाना जाता है। दहेज ने आम लोगों को इतना असहाय कर दिया कि लोगों ने लड़के को अगवा कर विवाह कराना शुरू कर दिया था फिर धीरे धीरे यह समाप्त हुआ पर अब भी यदाकदा घटित होता ही रहता है। इस विद्रोह का डर या खौफ इतना बढ़ गया था कि अमूमन बिहार लोग अपने लड़के को किसी की बारात में भेजने से भी कतराते थे। धीरे धीरे यह डर खत्म हुआ है। पर कभी कभार यह घटना घटती है तो शोर चहु ओर होता है। इस प्रथा में लड़कों ने अकेले कहीं भी अंजान जगह पर जाना बंद कर दिया था। पहली बार पितृसत्ता के पुरोधा मर्द अब डरने लगे थे सहमने लगे थे यानी पकड़ुआ विवाह का खौफ़ सूबे में कुहासे की तरह छा गया था। कानून की नज़रों में पकड़ुआ बियाह के तौर-तरीके निस्संदेह सही नहीं है। कानून के लिए यह एक बेहद दंडनीय आपराधिक घटना है। लेकिन जब समाज ही लुटेरा बन चुका हो तो उसमें साधन पर बहस की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। तभी तो पूर्व के समय में दिनों-दिन दहेज की बढ़ती रकम के कारण पकड़ुआ बियाह को मान्यता मिलने लगी। इसके कई बेहद पुख्ता आधार बन गए। मुख्य वजह गरीब लड़की वालों का लगातार तिरस्कार। इसमें लड़के को बन्दूक की नोंक पर उठा लिया जाताऔर फिर पूरी पहरे दारी में तमाम रीति-रिवाज के साथ उसका विवाह लड़की से करा दिया जाता। इस घटना में कई बार लड़के के रिश्तेदारों की भी अहम भूमिका होती। रीति-रिवाजों को निभाने में लड़के की आना-कानी पर उसकी थोड़ी पिटाई भी की जाती रही है। सिंदूर-दान के समय लड़के का डर देखने लायक होता है। बीती रात पटना के पंडारक में हुए एक “पकडुआ बियाह” ने सुर्खिया बटोर ली है। पर इस घटना में भी उपरोक्त सभी बातों का चारचश्म स्पष्ट दिखता है। रोता हुआ दूल्हा और डरी सहमी दुल्हन और बंदूक …

यह किसी फिल्मी कहानी का स्क्रिप्ट नही है बल्कि वह सच्चाई है जो बिहार में कैमरे पर पहली बार पकड़ुआ विवाह का पटना LIVE आपको दिख रहा है। बिना बिना बैंड बाजा बाराती के ही शादी हो रही है। दूल्हा किडनैप है मगज पर पिस्तौल सटा है। शादी के मंडप में रोता हुआ दूल्हा और तमंचे के बल पर कराई गई इंजिनियर साहब की शादी का यह दृश्य ही तो पकड़ुआ विवाह कहलाता है। ये सब कहानी नही बल्कि हकीकत है बिहार की राजधानी पटना के पंडारक थाना क्षेत्र का जहा बोकारो में कार्यरत एक इंजीनियर साहब की शादी तमंचे के बल पर कराई गई जहा मंडप में दूल्हा फूटफूट कर रो रहा है।

आज तक की शादियों में हमने लड़की को सहमे और डरे हुए देखा है। लेकिन इस शादी में लड़के को सहमा हुआ किसी लड़की ने पहली बार देखा होगा। शादी के बाद लड़की-लड़के को एक कमरे जिसे “कोहबर घर” कहते हैं। सुहागरात के लिए छोड़ दिया जाता था और है। अब यह लड़की के ऊपर निर्भर करता था और है कि वो उससे यानी अपने जबरिया परमेश्वर बना दिये गए पुरुष से कैसे शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर ले।एक दूसरे का मन मिले या ना मिले लेकिन शादी में शारीरिक मिलन कितनाज़रूरी होता है, इस तरह का विचार ही मनुष्य में आत्मा का न होने का प्रमाण भी है। लेकिन जरूरत इस कुरीति से लड़ने की भी है जो इंसान को मजबूर करती यही ऐसा अपराध को अंजाम देने खातिर जिसमे एक लड़की महज एक गुड़िया होती है जिसे घर वालो ने एक अगवा कर लाये गए युवक से जबरिया सिंदूरदान कराकर सौप देते है। सहयोग इस मे भी एक औरत ही देती है। भले ही वो माँ हो बुआ हो दादी हो चाची हो या किसी अन्य रिश्ते की डोर से बधी हो।

इंजीनियर के पकडुआ विवाह का सचशादी के दौरान बिलखते हुए दूल्हे के नाम विनोद कुमार है। मूल रूप से पटना जिले के खुसरूपुर निवासी है। विनोद झारखंड के भारत सरकार के उपक्रम बोकारो स्टील प्लांट में जूनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। बीते 2 दिसंबर को रांची से पटना जाने वाली हटिया पटना एक्सप्रेस से पटना आए थे।अपने मित्र की शादी में शामिल होने आए इंजीनियर विनोद 3 दिसंबर को पटना पहुंचे थे। नालंदा के इस्लामपुर में दोस्त के विवाह जमकर नाचे गाये।
इसी दौरान विनोद के परिवार से जुड़े पंडारक थाना के गोपकिता गांव का सुरेंद्र यादव विनोद का ट्रांसफर करवाने के नाम पर उसे मोकामा बुलाया और कहा कि बहुत सारे सांसदों-विधायकों से उसकी जान पहचान है। मोबाइल पर हुई बातचीत के आधार पर विनोद यादव और उसका दोस्त गुड्डू मोकामा स्टेशन पहुंचे। मोकामा स्टेशन के बाहर सुरेंद्र यादव इंतजार कर रहा था। सुरेंद्र ने सूरजभान सिंह से मिलाने के नाम पर पूरा दिन इधर-उधर घुमाया और उसके बाद पंडारक थाना के गोपकिता गांव लेकर जबरिया शादी करवाने की कवायद हुई।
बोकारो स्टील सिटी में जूनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत विनोद यादव को धोखे में रखकर मोकामा से अगवा कर पंडारक ले जाया गया। वहां ले जाने के बाद मारपीट कर उसकी शादी कराई जाने लगी।इंजीनियर दूल्हा बिलखता रहा और शादी की रस्म जारी रही।शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई।पंडारक थाना ने कराया मुक्त

पंडारक थाना प्रभारी दिवाकर विश्वकर्मा को जब घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने ताबड़तोड़ छापेमारी कर
सुरेंद्र यादव के घर से अगवा किए गए विनोद यादव को रिहा कराया गया। पकड़ुआ विवाह का शिकार विनोद को उसके मौसा अपने साथ लेकर थाने से निकल गए। लड़के के परिजनों द्वारा मोकामा थाना में मामला दर्ज करने की बात कही गई है क्योंकि उसका अपहरण मोकामा रेलवे स्टेशन से किया गया।

 

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