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BIG NEWS – अबतक 47 – पटना का एक थाना जो बनता जा रहा है थानेदार और पुलिसकर्मियों ख़ातिर कब्रगाह,एक रिपोर्ट

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पटना Live डेस्क। राजधानी में एक थाना पुलिसकर्मियों के बीच अब दहशत का पर्याय बनता जा रहा है। हालात ऐसे बनते जा रहे है कि उक्त थाने का नाम सुनते ही एकबार को खाकी वालों के चेहरे पर घबराहट तारी होने लगता है। दरअसल, पटना जिले के इस थाने पर विगत 2 सालों में कई बार वरीय पुलिस अधिकारियों की डेढ़ी नज़र पड़ी और कुछ घंटों में ही होमगार्ड जवानों समेत पूरा का पूरा थाना ही दंडित कर दिया गया। वही इस थाने के थानेदार तो बाकायदा निलंबित होने के बाद जेल यात्रा कर चुके है और कर रहे है। वही इस थाना के प्रभारी थानेदार के निलम्बित होने का कारण एक सत्ताधारी दल के नेता द्वारा थाना में धरना भी रहा है।

                 आइए आपको बताते है बेउर थाना पुलिस की कुछ बेहद बडी करतूतें जिसमे वरीय अधिकारियों ने अबतक कुल 47 पुलिस वालों को निलंबन, लाइन हाजिर और जेल यात्रा तक की सज़ा तजवीज़ की। इसने थानेदार से जमादार तक मुंशी से दरोगा तक सिपाही से हवलदार तक शामिल है।

काण्ड संख्या-1

ताज़ा प्रकरण में थानेदार बेउर समेत 5 पुलिस वालों के निलंबन और फिर गिरफ्तारी हुई है। मामला डेढ़ लाख लेकर लुटेरों और लूटी गई वैन के साथ छोड़ने का है। जानिए पूरा मामला..

BiG Breaking -पटना पुलिस को लगा जोरदार झटका, लुटेरों को पकड़कर पैसे लेकर छोड़ने के आरोप में बेउर थानेदार प्रवेश भारती समेत कुल 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार, एक निजी ड्राइवर को भी किया गया डिटेन

काण्ड संख्या -2

वही, इसी वर्ष मार्च महिने में सत्ताधारी दल जदयू विधायक श्याम रजक पर  बेउर थाने के प्रभारी थानाध्यक्ष एसआइ बीके चौधरी ने अभद्र भाषा के इस्तेमाल और नौकरी से बर्खास्त कराने की धमकी देने का आरोप लगाया। लेकिन दोपहर बाद विधायक ने आरोपों को बेबुनियाद बताया और कुछ भी बोलने से इन्कार किया। लेकिन शाम को विधायक समर्थकों के साथ बेउर थाने पहुंच गए और कहा कि यदि वे दोषी हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए। मामला गर्म होते देख डीएसपी रामाकांत प्रसाद पहुंच गए। विधायक आइजी या डीआइजी को बुलाने की मांग कर रहे थे। इस बीच एसएसपी मनु महाराज बेउर थाने पहुंचे। मामले की जांच का आदेश देते हुए दारोगा बीके चौधरी को लाइन हाजिर कर दिया। मामला शांत हुआ तो विधायक भी लौट गए। थाने में करीब तीन घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला।

काण्ड नम्बर-3

पूरे थाने की सफाई के बाद तब मुंगेर से तबादले के बाद पटना आये बेहद ईमानदार छवि के राकेश यादव को थानेदार के रुप में बेउर थाने की कमान सौंपी गई थी। हालांकि थाने में व्याप्त भ्रष्टाचार-घूसखोरी की तस्वीर नहीं बदली और महज 5 महिने बाद जून महीने में 29 तरीख को थाने में ही एफआईआरदर्ज करने के एवज में सवा लाख रुपए रिश्वत ले रहे बेउर थानाध्यक्ष राकेश कुमार यादव निगरानी (विजिलेंस) के हत्थे चढ़ गए। दरसअल, 29 जून गुरुवार की सुबह साढ़े 10 बजे निगरानी की छापेमारी से थाने में पुलिसकर्मियों के बीच हड़कंप मच गया। थानेदार अपने ऑफिस में ही रिश्वत की राशि ले रहे थे।

दरअसल दीदारगंज के गुलमेहिया बाग के कच्ची दरगाह निवासी अमरेंद्र कुमार ने थानेदार की घूसखोरी के बाबत ब्यूरो के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप था कि मारपीट के मामले में एफआईआर करने के बदले थानेदार द्वारा 1.25 लाख रुपए घूस मांगी जा रही है। इसके बाद ब्यूरो की टीम की आरंभिक जांच में आरोप सही पाए गए।आखिरकार निगरानी के डीएसपी महाराज कनिष्क कुमार के नेतृत्व में धावा दल ने जाल बिछा कर थानेदार राकेश यादव को रिश्वत लेते अपनी गिरफ्त में ले लिया था।

काण्ड नम्बर – 4

वर्ष 2017 के फरवरी महिने की 4तारीख़ को घूसखोरी के कारण ही थाने के तमाम पुलिसकर्मियों पर हुई थी सामूहिक कार्रवाई के तहत 40 पुलिस वाले नाप दिया।दरअसल फरवरी महिने में शराब तस्करों के साथ साठगांठ रिश्वत का पुख्ता प्रमाण मिलने पर तत्कालीन डीआईजी शालीन ने बेउर थाने के तत्कालीन थानेदार समेत तमाम पुलिसकर्मियों को हटा दिया गया थाउस समय पोस्टेड थानेदार की अनुपस्थिति में थाना स्टाफ ने शराब पकड़ी पैसे लिए और छोड़ दिया। मामला खुला और फिर पूरा थाना साफ कर दिया गया।

दरअसल,बेउर पुलिस ने छापेमारी के दौरान एक गाड़ी से लाखों रुपये की शराब पकड़ी थी।पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था,।लेकिन बाद में पैसे लेकर पुलिसकर्मियों ने सभी आरोपियों को छोड़ दिया था। इसी लेनदेन के दौरान बेउर थाने के एक पुलिसकर्मी ने सारे मामले को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया और वीडियो को डीआईजी को भेज दिया।

इसी वीडियो को देखने के बाद डीआईजी इतना भड़क गए कि पूरे थाने को लाइन हाजिर करने का आदेश दे दिया. बहरहाल पटना पुलिस (पश्चिम) के पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है जो जल्द डीआईजी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. हालांकि जिस दिन शराब माफिया को पैसे लेकर छोड़ा गया था उस दिन थाना प्रभारी छुट्टी पर थे, पर उन्हें भी नाप दिया गया और लाइन हाजिर कर दिया गया।

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