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Fact Finding-इस खुलासे को मैं क्या नाम दूँ?एक फर्जी IPS और एक असली DySp कहानी दिलचस्प है जानिए

बिहार पुलिस में एक डीएसपी का पति जो पहनता है IPS की वर्दी,दोनों की जोड़ी भी खूब जँचती है।दोनों तस्वीरों मेंबड़े खुश नजर आते है। लेकिन जब हक़ीक़त बाहर आई तो एसडीपीओ साहिब जो मीडिया में लेडी सिंघम और न जाने क्या क्या कहलाती थी बगले झांकने लगी वही जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी बिहार पुलिस मुख्यालय को न कुछ कहते बन रहा है न कुछ लिखते

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पटना Live डेस्क। बिहार में सुशासन है। मतलब कानून का शासन है। लेकिन सुशासन पर लगातार सवाल उठ रहे है। खैर, फैशन अपनी जगह है और कानून अपनी जगह।भारत में एक नहीं कई कानून हैं जिनके तहत सैन्य और पुलिस पोशाकों को पहनने पर पाबंदी है।इससे जुड़े तमाम नियम व कानून प्रावधान सशस्त्र बल अधिनियम(एफए), आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में भी हैं।आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा छह में इस पर प्रतिबंध है और इसका उल्लंघन करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।भारतीय दंड संहिता की धारा 140 के तहत भी इस पर प्रतिबंध है और उल्लंघन करने पर 3 महीने तक की जेल और 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

आम भारतीय पर यह कानून न केवल मुसलसल लागू होता बल्कि अमूमन फर्जी वर्दी वाले की खबर मीडिया की सुर्खियां बनती है। लेकिन अब यह सवाल बिहार पुलिस की गृह जिला पटना के एक डीएसपी से जुड़ गया है। न केवल जुड़ गया है बल्कि बाकायदा इस के सुबूत भी मिले है। साथ ही PMO(प्रधानमंत्री कार्यालय) तक को इस बाबत न केवल मय सुबूत जानकारी दी गई बल्कि बकायदा जांच की मांग की गई। ख़ैर, बात उस खुलासे की करते है जिसने बिहार पुलिस मुख्यालय से लेकर पूरे पुलिस महकमे में “कोहराम” मचा हुआ है।

दरअसल, यह मामला जुड़ा है भागलपुर जिले के कहलगांव की एसडीपीओ(अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी) रेशू कृष्णा से जुड़ा है। मूल रूप से बिहार के पटना जिले की निवासी रेशु ने बीपीएससी परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल कर डंके की चोट पर डीएसपी पद पर चयनित हुई। चयन प्रक्रिया और बाद में ट्रेनिंग (प्रशिक्षण) का समय पूरा किया और खाकी की जिम्मेदारिया निभाने लगी है। भोजपुर जिले में अपनी तैंनाती के दौरान कई कांडों का सफलता पूर्वक उद्भेदन कर सुर्खियों में आ गई। समय का पहिया अपनी गति से आगे बढ़ता रहा है। डॉ रेशु कृष्णा भी अब पुलिस की नौकरी के तरीक़े और जद्दोजहद को समझ चुकी थी। Dr रेशु महिला बटालियन होते हुए उनकी नई तैनाती हुई भागलपुर जिले में बतौर एसडीपीयों कहलगाँव। भागलपुर में कमान संभालते ही मैडम का एक अलग ही तौर तरीका और आचार व्यवहार शुरू हुआ। मैडम का रुतबा रुआब और फैशनेबल अवतार कइयों को हैरान परेशान करने वाला था।

दरअसल, मैडम को जानने वाले उनके बेहद हम्बल बैकग्राउंड से न केवल परिचित है बल्कि पटना की मूल निवासी इस डीएसपी के संघर्ष के साथी भी रहे है।लेकिन सफलता का नशा ऐसे सर चढ़कर बोलेगा किसी ने भी सपने में भी नही सोचा था। मैडम को अब अपने पुराने दिनों से चिढ़ होने लगी थी।

दरअसल कहने वाले कहते है मैडम को अब सिर्फ ताकतवर और बड़े लोगो के साथ ताल्लुकात रखने का जुनून सवार हो गया था। इसी क्रम में हदो को पार करते हुए मैडम ने ग़ज़ब का कांड करना शुरू किया उनके पति जो कथित तौर पर कुछ नही करते है उनके साथ अपनी तस्वीरें साझा करनी शुरू कर दी। करना भी चाहिए पति के संग पत्नी की तस्वीरें होनी ही चाहिए। लेकिन जरा ठहरिए इन तस्वीरों में भी मैडम ने खेल कर दिया।

दरअसल, मैडम ने अपने पति के साथ जो तस्वीरें साझा की उनमें वो बाकायदा IPS की वर्दी पहने बेहद ठसक से अपनी डीएसपी पत्नी के साथ गाड़ी में या पार्क में दिखते है। साथ ही बाकायदा विक्ट्री साइन भी देते है। लेकिन ठहरिए जो सबसे बड़ी बात है वो तो आपको बता दे .. मैडम SDPO के साथ दिखाई दे रहे शख़्स जिसने IPS की वर्दी पहन रखा है इस नाम और चेहरे का पूरे देश मे कोई आईपीएस है ही नही। दरअसल, ये एक बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा है जिसमें डीएसपी डॉ रेशु कृष्णा की भी महती भूमिका है।

यानी मैडम के पति IPS है ही नही बल्कि ये तो महज आईपीएस के लिबास में पिक्स क्लिक करवाकर किसी शातिराना खेल ख़ातिर प्रचारित करने से जुड़ा मामला है। इस तरह की तमाम तस्वीरों के बाद जब मामला किसी जानकार द्वारा PMO तक पहुचा दिया गया और जांच की मांग की गई तो फिर क्या था पीएमओ से बिहार पुलिस मुख्यालय और फिर जांच का जिम्मा भागलपुर की एसएसपी नताशा गुड़िया को मिला। मैडम ने जब सच की तहक़ीक़त की तो उनके पैरों तले जमीन निकल गई।

दरअसल, एक डीएसपी की इस बेहद शर्मनाक और शातिराना खेल में शामिल होने के तमाम सुबूत मिल रहे थे जो इस बात की ताक़ीद कर रहे थे कि इस पूरे प्रकरण में कहलगाँव एसडीपीयों की भूमिका बेहद संदिग्ध और निर्णायक है। इस शातिराना खेल की  शुरुआती जांच दौर में ही स्पष्ट हो गया था कि इस फर्जीवाड़े में मैडम डीएसपी और उनके फर्जी IPS पति की संलग्नता पुरज़ोर और पुरसुकून है। लेकिन महज चंद दिनों में जो सच एसएसपी भागलपुर में जांचा परखा इससे स्पष्ट हो गया कि तस्वीरों में बड़े शान से IPS की वर्दी पहन पोज दे रहा शख्स IPS तो छोड़िए जनाब एक मामूली सिपाही भी नही है।

अब जब हक़ीक़त बाहर आई तो एसडीपीओ साहिब जो मीडिया में लेडी सिंघम और न जाने क्या क्या कहलाती थी बगले झांकने लगी है। तो वही दूसरी तरफ जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी बिहार पुलिस मुख्यालय को न कुछ कहते बन रहा है न कुछ लिखते बन रहा है। लेकिन जिस तरह से एक SDPO की भूमिका इस पूरे प्रकरण में स्पष्ट हुआ है इससे साफ पता चलता है कि साज़िश गहरी है . तो वही पुलिस मुख्यालय की आश्चर्यजनक खामोशी भी सवालों के घेरे में है?

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