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Super Exclusive -(CCTv फुटेज) बाल कैदी ने लूटा 55 किलो 700 ग्राम सोना ! SIT बनी लुटेरों ख़ातिर पर लूट में पुलिस की घोर लापरवाही के खुलासे से सकते में सुशासन

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  • तकनीक के दौर में “चिट्ठी” भेजने वाला तंत्र
  • फरार कुख्यात लुटेरे को CCtv देख सकते पड़ गई थी वैशाली पुलिस 
  • सबसे बड़ी लूट और सबसे बड़ी SIT और पुलिस की कहिलियत के सबसे बड़े खुलासे जारी 

पटना Live डेस्क। बिहार में सुशासन है यानी कानून का राज है। सूबे के मुखिया इस व्यवस्था का बखान करते नही अघाते है।लेकिन कानून की रखवाली का जिम्मा जिन कंधों पर है उनकी कहिलियत के रोज़ ब रोज़ होते खुलासे से आमआदमी का पुलिसिया व्यवस्था पर से भरोसा लगभग उठ ही चुका है। लेकिन पिछले महिने की 23 तारीख़ (23 नवम्बर) को राजधानी पटना से सटे हाजीपुर में देश में अब तक के सबसे बड़े गोल्ड लूट काण्ड को अंजाम दिया गया। महज 20 मिनट के अंदर दिनदहाड़े 7 की संख्या में रहे लुटेरों ने हाजीपुर में मुथूट फाइनेंस कंपनी की शाखा में घुसकर कर्मचारियों को हथियार के बल पर बंधक बनाया और 55 किलो 700 ग्राम का सोना लूट लिया। जिसकी कीमत 21 करोड़ रुपये से ज्यादा की आंकी गई। लूट की इस वारदात की सूचना मिलते ही पुलिस महकमें में खलबली मच गई। हाजीपुर से लेकर पटना पुलिस मुख्यालय तक मोबाइल बजने लगे।

सूबे में दिनदहाड़े गोल्ड लूट की सबसे बड़ी वारदात ने पूरे पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया। आनन फानन में लूट की इस वारदात की जांच के लिए अब तक की सबसे बड़ी एसआईटी (SIT-Special Investigation Team) बनाई गई। कहा जा रहा है कि बिहार में अब तक हुए किसी भी कांड के उद्भेदन के लिए इतनी बड़ी एसआईटी नहीं बनाई गई। एसआईटी में 5 आईपीएस और 4 डीएसपी रैंक के अधिकारियों को शामिल किया गया।

बिहार पुलिस के मुख्यालय द्वारा गठित एसआईटी में STF के SP मानवजीत सिंह ढिल्लों,मुजफ्फरपुर के SSP जयकांत,वैशाली के प्रभारी एसपी मृत्युंजय कुमार चौधरी, शिवहर के एसपी संतोष कुमार और सीआईडी के एसपी शैलेश कुमार तथा इनके अलावा डीएसपी रैंक के चार अधिकारियों को शामिल किया गया। तो उम्मीद जगी की SIT के बड़े अफसरों की यह फौज अब जल्दी ही लूट को अंजाम देने वाले लुटेरों को धर दबोचेगी और काण्ड का उद्भेदन कर देगी।

पुलिस की ही खुलने लगी कलई

लेकिन, हुआ ठीक इसके उलटा एसआईटी द्वारा जांच शुरू हुई लेकिन बजाए लुटेरों का खुलासा होने के पुलिस की ही कलई खुलनी शुरू हो गई। पुलिस की जांच ने ही पुलिस की नाकामियों को उजागर करना शुरू कर दिया। खुलासा हुआ कि पुलिस की लापरवाही ने ही इस बड़े लूट को अंजाम तक पहुंचने का रास्ता बनाया था। अबतक के खुलासे ने बिहार पुलिस की अति लचर व्यवस्था की न केवल पोल खोल कर रख दी है बल्कि इस हकीकत के उजागर होने से वैसे ही सूबे में ताबड़तोड़ बढ़ते अपराध की वजह से सुशासन सरकार की धूमिल होती छवि को लगभग ध्वस्त ही कर दिया है।

CCTv में देख उड़े ख़ाकीवालो के होश

दरअसल ,वारदात के बाद जब पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो उसमें लुटेरों में से एक ऐसे लुटेरे का चेहरा दिखा जिसे देखकर पुलिस के तोते उड़ गए और होश फाख्ता हो गए। पुलिस को यह समझ में नहीं आ रहा था कि लूटपाट की घटना में शामिल यह चेहरा कैद से कैसे बाहर निकलकर लूट काण्ड को अंजाम दे सकता है? जबकि एक साल पहले भी एक सोना लूट कांड में शामिल रहे इस शातिर को तीन माह पूर्व यानी अगस्त महीने में ही पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था । वह और कोई नहीं वैशाली जिले के बिदुपुर थाना के गोखुलपुर के निवासी राजकुमार सिंह का नाबालिक बेटा कुख्यात लुटेरा मुकुल राय था।

दरअसल, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जिन तीन अपराधियों के स्केच पुलिस ने जारी किए उनमें से एक मुकुल राय का भी था।मुकुल राय का पोस्टर जारी होने के बाद पुलिस को पता चला कि जिसे वह पोस्टर लगाकर ढूंढ रही है वह तो मुजफ्फरपुर रिमांड होम में बंद है।

और वो चिठ्ठी….

कई बार आखों को मिचमिचाने के बाद आखिरकार पुलिस वालों को एतमाद हुया की ये मुकुल ही है। वही, 23 नवम्बर की लूट के बाद डाक से वैशाली पुलिस को मुज़फ़्फ़रपुर बाल सुधार गृह के अधीक्षक का खत मिला जिसमें बाल अपराधी मुकुल राय के भागने की बात कही गई है।

खत में बाल सुधार गृह के अधीक्षक ने मुकुल के फरार होने की पूरी घटना की चर्चा करते हुए लिखा है कि कुछ दिन पहले मुकुल राय को पेशी के लिए हाजीपुर कोर्ट ले जाया गया था। वापसी के क्रम में मुकुल के साथी पुलिसवालों को पिस्टल दिखाकर आसानी से उसे छुड़ा कर फरार हो गए। पुलिस के चारों जवानों पेशी के बाद चुपचाप मुजफ्फरपुर लौट आए मगर उन लोगों ने इसकी सूचना तक लोकल पुलिस को नहीं दी।

इधर, वैशाली पुलिस आनन फानन कूदते फांदते जब रिमांड होम पहुंची तो उसके होश उड़ गए पता चला की मुकुलवा तो कब्बे फरार हो चुका है। तदुरान्त आखिरकार इसके बाद 27 नवंबर को एफआईआर दर्ज कर पुलिस अब उसकी तलाश में भटक रही है।

मुजफ्फरपुर रिमांड होम के सुपरिटेंडेंट ने भी मुकुल के फरार 1होने को लेकर वैशाली पुलिस को फोन या मोबाइल से सूचना देने की बजाय एक चिट्ठी डाक से भेज दी। वह डाक जब तक पुलिस मुख्यालय पहुंचती इससे एक दिन पहले मुकुल सूबे के सबसे बड़े गोल्ड लूट को अंजाम देकर फरार हो गया था।

21 दिन बाद दर्ज हुआ फरारी का FIR

बिहार के हाजीपुर में नगर थाना क्षेत्र के सिनेमा रोड में बीते 23 नवंबर को मुथूट फाइनेंस से 55 किलो सोना लूट मामले में पुलिस जिस शातिर बालबंदी की तलाश में खाक छान रही है, उसके पुलिस कस्टडी से भाग निकलने की घटना के 21 दिन बाद नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।।मालूम हो कि 55 किलो सोना लूटकांड में एसआइटी लालगंज थाने के बलुआ बसंता निवासी राजेंद्र शर्मा का पुत्र विरेंद्र शर्मा, समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय थाने के साहपुर पमरा निवासी स्व विजय शंकर झा के पुत्र विकास झा व बाल बंदी (बिदुपुर थाने के गोखुलपुर के राजकुमार सिंह का पुत्र मुकुल कुमार राय) की सरगर्मी से तलाश कर रही है।पुलिस ने इन तीनों की तस्वीर भी जारी कर रखी है।

7 नवम्बर को आवेदन 26 नवम्बर को दर्ज  FIR

बताया जाता है कि बीते 6 नवंबर को मुजफ्फरपुर रिमांड होम से पांच बाल बंदियों को हाजीपुर जुबेनाइल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। पेशी के बाद मुजफ्फरपुर वापस ले जाने के दौरान हाजीपुर नगर थाना क्षेत्र के अनवरपुर चौक के समीप बाइक सवार चार अपराधियों ने हथियार के बल पर बंदी को ले जा रही गाड़ी को घेर लिया था तथा बिदुपुर के बाल बंदी समेत दो को भगा ले गये थे। 7 नवंबर को रिमांड होम के अधीक्षक ने इस संबंध में नगर थाने को आवेदन दिया था।

सबसे बडी गोल्ड लूट के 3 दिन बाद जागी पुलिस

रिमांड होम के अधीक्षक के लिखित जानकारी और आवेदन को पुलिस ने तबतक दबाए रखा जबतक लूट की वारदात नही हुई। गला फसने लगा खुलासे होने लगे तो 7 नवम्बर के ही उस आवेदन के आलोक में 26 नवंबर को इस घटना की प्राथमिकी दर्ज की गयी। यानी 55 किलो सोना लूटकांड के तीन दिन बाद। अब पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए उसके रिश्तेदारों के यहां भी छापेमारी कर रही है।

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