पटना Live डेस्क। एक बार फिर बिहार में बिजली का संकट पांव पसारने लगा है। पटना में तो अभी ठीक-ठाक है, लेकिन गांवों में स्थिति खराब होने लगी है। कहीं-कहीं तो यह 10-10 घंटे तक कटने लगी है। बिजली संकट को देश में उत्पन्न हुए कोयला संकट से जोड़कर देखा जा रहा है। कोयला की कमी की वजह से इसका सीधा असर बिजली के उत्पादन पर पड़ रहा है। इससे बिहार को मिलने वाली बिजली भी प्रभावित हुई है। कोटे को कम कर दिया गया है।
दरअसल, एक्सपर्ट बताते हैं कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कोयले के दाम में लगभग 40% का इजाफा हो गया है। इससे बिजली कंपनी जूझ ही रही थी कि पिछले माह सितंबर में देश भर में हुई अतिवृष्टि ने कोयला खदानों को भी डिस्टर्ब कर दिया है। कोयला खनन में कमी आ गई है। कोयला संकट को भांप कर एनटीपीसी ने भी अपने बिजलीघरों से उत्पादन को कम कर दिया है। मैक्सिमम बिजलीघरों में कुल क्षमता की तुलना 55 से 60 परसेंट तक बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। यानी 40 से 45 परसेंट तक की कमी, जिसका सीधा असर पावर कट के रूप में सामने आ रहा है।
देश भर में कम हो रहे बिजली उत्पादन का असर बिहार पर भी पड़ने लगा है। गांवों में बिजली कटने लगी है। बताया जाता है कि बिहार का कोटा 5768 मेगावाट का है, लेकिन इसे 3447 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। कोयले की कमी की वजह से मुजफ्फरपुर स्थित कांटी बिजली घर की एक यूनिट बंद हो गई है। सूत्रों की मानें तो बिहार को फिलवक्त डिमांड की तुलना में 30 परसेंट बिजली कम आपूर्ति हो रही है इससे गांवों के साथ ही भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया, मधुबनी, गया जैसे शहरों में भी पावर कट करना पड़ रहा है।
Related Posts
Comments are closed.