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इस दिवाली माटी के मेले से मुफ़लिसी के चेहरे पर शिक्षा का प्रकाश फैलाने की मदर लैप स्कूल का अनूठा प्रयास

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पटना Live डेस्क। दीपोत्सव के पीछे की धार्मिक कहानी कुछ यूं है कि यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम  श्रीरामचंद्र, माता सीता और अनुज लक्ष्मण के संग 14 साल के वनवास को खत्म कर अयोध्या नगरी लौटे थे। नगरवासियों ने इस अवसर पर दीप जलाकर पूरे नगर को प्रकाशमय किया था। यही वो पारम्पारिक विरासत है जो अब दीवाली के तौर पर मनाई जाती है।
समय बदला मयार बदला बीत गई शताब्दियों पर यह रिवाज आज भी जारी है। लेकिन न अब राम है न सीता और ना ही लक्ष्मण पर राक्षसी वजूद के साथ गरीबी और भुखमरी मौजूद है।गरीबी की कोख़ से जन्म लेने वाले मुफ़लिसी से जंग लड़ने ख़ातिर राजधानी पटना के एक स्कूल ने बेहद सराहनीय प्रयास किया है। प्रयास भले ही छोटा है पर इसके मायने बेहद बड़े और सकारात्मक है। यह एक अनूठी पहल है जो बेहद सार्थक और सराहनीय कही जा सकती है।


कहते है सोच ने समाज और व्यवस्था को समय समय पर बदला या बदलने की नींव रखी है। इसी सोच और उम्मीद के तहत महज़ एक साल के सफर में राजधानी पटना के आशियाना नगर में वजूद में आये  मदर लैप स्कूल ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है और निभाने की सतत प्रयास को जारी निरंतर आयाम दे रहे है। इसी कवायद के तहत रविवार को प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन कुमार तथा शिल्पकार सन्यासी रेड की उपस्थिति में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट पवन कुमार तथा शिल्पकार सन्यासी रेड ने आज यहां आशियाना नगर स्थित मदर-लैप स्कूल परिसर में बच्चों द्वारा निर्मित हस्त-शिल्प मेला का उद्घघाटन किया। इस आयोजन का मकसद बहुआयामी है। एक तो बच्चों को उनकी तहज़ीब और संस्कृति से अवगत कराना साथ ही ल इकोफ्रेंडली दीपोत्सव के मायने समझना। साथ ही इस बेहद उम्दा आयोजन का सार तत्व बेहद सकारात्मक है।


इस सार को जानने ख़ातिर जब हमने स्कूल की संचालिका सुश्री प्रियंका से वजूहात की तो उनके शब्दो ने उम्मीदों की एक लौ जलाने के जैसे प्रभवशाली मायने का सच कुछ यूं बताया बक़ौल प्रियंका बच्चों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प के विक्रय से प्राप्त आय से गरीब बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तक सामग्री की खरीद कर उनमे वितरण किया जाएगा। इस अवसर पर स्कूल की अध्यक्षा हीना मुनीर , पत्रकार विपेंद्र कुमार , संजय कुमार, सुशीला सहाय उपस्थित थे।

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