पटना Live डेस्क। देश की कमान संभालने वाली भारतीय जनता पार्टी नैतिकता और सुचिता की बात करती है। वही पीएम “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” की बात करते है। लेकिन भाजपा के कई जनप्रतिनिधियों की भाषा का स्तर बीते दिनों गिरता देखने को मिला है। इसी को गिरते भाषा स्तर को नया आयाम देते हुए छत्तीसगढ़ के कोरबा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद बंसीलाल महतो ने एक बेहद विवादित बयान दिया है। सोमवर यानी 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन एक कुश्ती प्रतियोगिता में बोलते हुए सांसद ने कहा कि ‘छत्तीसढ़ की लड़कियां टना-टन होती जा रही हैं।’ महतो के इस बयान पर विपक्ष ने सार्वजनिक रूप से माफी की मांग रखी है। गांधी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए 77 वर्षीय सांसद ने कहा, ”राज्य खेल मंत्री भैयालाल रजवाड़े अक्सर मुझसे बताते हैं कि अब मुंबई और कोलकाता की लड़कियों की जरूरत नहीं रह गई है। कोरबा और छत्तीसगढ़ की लड़कियों अब टनाटन होती जा रही हैं।” हालांकि टाइम्स ऑफ इंडिया का दावा है कि जब उन्होंने रजवाड़े से पूछा कि महतो ने कभी ऐसा कुछ कहा है, तो उन्होंने खुद को इस टिप्पणी से पूरी तरह अलग कर लिया। रजवाड़े ने कहा कि सांसद ने उनके पिछले भाषण की एक लाइन उठाई और उसे अलग संदर्भ में पेश किया। रजवाड़े के प्रवक्ता ने टीओआई को बताया कि मंत्रीजी ने एक बार कहा था कि मुंबई और दिल्ली से कलाकारों को लाने की जरूरत नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ की लड़कियां ‘प्रतिभाशाली और योग्य’ हैं। प्रवक्ता के अनुसार, रजवाड़े का महतो की टिप्पणी से कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि महतो के बयान के बाद विपक्ष को मुद्दा मिल गया। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे, अमित जोगी भी उसी कार्यक्रम में मौजूद थे। जोगी ने ऐसी टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, ”एक वेटरन सांसद द्वारा इस तरह की अशोभनीय टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह महिलाओं के प्रति भाजपा की मानसिकता दर्शाता है।”
यह पहला मौका नही जब भाजपा के जनप्रतिनिधि ने विवादित दिया हो पूर्व में भी और हालिया दिनों में दल के कई जनप्रतिनिधियों की भाषा का स्तर बीते दिनों गिरता देखने को मिला है। हाल ही में पत्रकार गौरी लंकेश की जघन्य हत्या के बाद कर्नाटक से बीजेपी विधायक डीएन जीवराज ने भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ”जब से कांग्रेस की सरकार आई है, बीजेपी और हिन्दू समूहों के 11 नेता राज्य में मारे जा चुके हैं। अगर गौरी लंकेश ने हत्याओं की निंदा की होती और सिद्धारमैया सरकार की आलोचना की होती तो क्या आपको नहीं लगता कि वह आज जिंदा होती?”
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