पटना Live डेस्क। बिहार में जाति आधारित जनगणना की मांग पर सोमवार को सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि जब देश में जानवरों और पेड़ों की गिनती हो सकती है तो जातियों के आधार पर इंसानों की क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं समझ पाते कि इसमें दिक्कत क्या है। जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं हो रही है। यदि आपके पास कोई आंकड़ा ही नहीं होगा तो आप सभी के हित के लिए योजनाएं कैसे बनाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जाति आाधरित जनगणना की ये मांग सिर्फ बिहार नहीं पूरे देश के लिए है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर कोई विरोध नहीं है। कहा जा रहा है कि इससे उन्माद फैलेगा। यदि उन्माद फैलता तो फिर धार्मिक आधार पर जनगणना क्यों कराई जाती है। उससे तो कभी उन्माद नहीं फैला। जहां तक खर्च का सवाल है जब पहले से एससी-एसटी, माइनारिटी की जनगणना हो ही रही है तो जाति आधारित जनगणना भी हो जाएगी। इससे कम से कम सभी की सही स्थिति का पता चलेगा।
तेजस्वी यादव ने कहा कि राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर हम सब 10 पार्टियों के लोग एक साथ आए हैं। यह ऐतिहासिक काम होने जा रहा है। देश के गरीब आदमी को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने से पहले पता ही नहीं था कि देश में कितनी जातियां हैं। इसकी रिपोर्ट लागू होने के बाद पता चला कि हजारों जातियां हैं। जब जानवरों, पेड़-पौधों की गिनती होती है। जनगणना में भी एससी-एसटी और धर्म के आधार पर होती है तो फिर सभी की क्यों नहीं हो सकती। क्यों नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब आपके पास कोई वैज्ञानिक और सही आंकड़ा ही नहीं है तो फिर योजनाएं कैसे बनेंगी। जातिगत जनगणना से पता चलेगा कि कौन दिहाड़ी मजदूर है, कौन भीख मांगता है। हाल में केंद्र ने राज्यों को ओबीसी सूची में नई जातियों को शामिल करने का अधिकार दिया है लेकिन इसका लाभ तब तक कैसे मिलेगा, जब तक पता ही नहीं कि किसकी क्या स्थिति है। उन्होंने कहा कि पहली बार बिहार में सभी राजनीतिक दल जिसमें भाजपा भी शामिल है, इस मु्द्दे पर एक हैं। यह प्रस्ताव दो बार विधानसभा से पास किया जा चुका है। केंद्र ने कहा कि कोई पालिसी नहीं है। जबकि लालू जी के समय में जातिगत जनगणना हुई थी। उसका डेटा जारी नहीं किया गया। कहा गया कि करप्ट हो गया है।
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