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प्रसंग विशेष – चित्रगुप्त ने जब लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया ? 4 पहर यानी 24 घंटे कायस्थ नही छूते है कलम जानिए पूरा सच

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पटना Live डेस्क। दीपोत्सव की पूजा पाठ के बाद देश का कायस्थ समुदाय “कलम” को रख देते हैं।यानी परेवा काल शुरू हो चुका है और यानी आज के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करता है। यानी किसी भी तरह का का हिसाब तक नहीं करता है। अमूमन हम सभी ने कायस्थ बिरादरी द्वारा कलम भगवान के सामने रख देने की परंपरा को देखा भी है और जानते भी है। लेकिन, कभी किसी ने यह जानने की कोशिश भी नही की, कि आखिर ऐसा होता क्यों है ? या इस के पीछे की धार्मिक मान्यता और कहानी क्या है?
लेकिन, जब इसके पीछे का सच तलाशने की कवायद की तो सोशल मीडिया पर “कायस्थ ख़बर” नामक एक पोर्टल द्वारा इस लिखा गया एक बेहद उम्दा जानकारी पूर्ण ख़बर लिखी मिली। साथ ही इस बाबत एक बहुत रोचक घटना का संदर्भ हमें किवदंतियों के जरिये भी पता चला। जिसमे यह बताया गया है कि इसको लेकर सर्व समाज के भी कई सवाल अक्सर लोग कायस्थों से करते है,ऐसे में अपने ही इतिहास से अनजान कायस्थ युवा पीड़ी इसका कोई समुचित उत्तर नहीं दे पाती है।

धार्मिक आधार और किवदंती

कहते है जब श्रीराम चंद्र अपना 14वर्षीय वनवास कटाकर और श्रीलंका विजय यानी रावण का वध कर अनुज लक्ष्मण और माता सीता संग अयोध्या लौट रहे थे,तब प्रभु राम का खडाऊं राज सिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने गुरु वशिष्ठ को प्रभु राम के राजतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की आमंत्रित करने का आग्रह किया। गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर प्रभु राम के राजतिलक की तैयारी शुरू कर दीं। जब तय कार्यक्रम में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान राम ने अपने अनुज भरत से पूछा चित्रगुप्त कही नहीं दिखाई दे रहे है। इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं, इस कारण भगवान चित्रगुप्त नहीं राजतिलक में नही आये।

इधर, भगवान् चित्रगुप्त सब जान तो चुके थे और इसे भी नारायण के अवतार प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे। अतः उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा-जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया।जब सभी देवी देवता राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे। प्राणियों का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहा भेजे। पूरा सिस्टम ही गडमड हो गया।
तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुएभगवान राम ने अयोध्या में भगवान् विष्णु द्वारा स्थापित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर (श्री अयोध्या महात्मय में भी इसे श्री धर्म हरि मंदिर कहा गया है धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों को अनिवार्यत: श्री धर्म-हरि जी के दर्शन करना चाहिये,अन्यथा उसे इस तीर्थ यात्रा का पुण्यफल प्राप्त नहीं होता।) में गुरु वशिष्ठ के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति की और गुरु वशिष्ठ की गलती के लिए क्षमायाचना की, जिसके बाद नारायण रूपी भगवान राम के आदेश मानकर भगवान चित्रगुप्त ने लगभग ४ पहर (२४ घंटे बाद) पुन: कलम की पूजा करने के पश्चात उसको उठाया और प्राणियों का लेखा जोखा लिखने का कार्य आरम्भ किया।

यही वो कारण है जो कायस्थ समाज द्वारा आज भी पूरी श्रद्धा के संग 4 पहर यानी 24 घंटे कलम को पूजा कर उसे नही छूते है। कहते है तभी से कायस्थ ब्राह्मणों के लिए भी पूजनीय हुए और इस घटना के पश्चात मिले वरदान के फलस्वरूप सबसे दान लेने वाले ब्राह्मणों से  दान लेने का हक़ भी कायस्थों को ही है। कहते तभी से कायस्थ समाज दीपावली की पूजा के पश्चात कलम को रख देते हैं और यम द्वीत्या के दिन भगवान चित्रगुप्त का विधिवत कलम दवात पूजन करके ही कलम को धारण करते है।

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