बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

“समवेयर टू गो” मेरी मेहनत और जूनून का परिणाम नहीं बल्कि हर लड़की के लिए एक प्रेरणा है : शांभवी

266

पटना Live डेस्क। पटना की शांभवी ने लिखा “समवेयर टू गो” नॉवेल, जो इन दिनों पाठकों के बीच काफी सुर्खियां बटोर रही है। “समवेयर टू गो” नॉवेल प्रकृति और पर्यावरण पर आधारित है, जिसको लिखने में शांभवी को पूरे तीन साल का वक़्त लग गया। लाइफ को नेचर और एनवायरनमेंट से कैसे कनेक्ट कर के रखा जाए, इस नॉवेल में उससे संबंधित भिन्न रोचक जानकारियां दी गयी हैं। बता दें कि शांभवी पटना सेंट्रल रीजन के डीआइजी राजेश कुमार की धर्म-पत्नी है। इस नॉवेल का विमोचन पिछले ही दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था। शांभवी लखनऊ में पली-बढ़ी है और मॉडर्न ख्यालों वाली लेडी हैं, जिन्होंने बचपन से ही कुछ बड़ा करने का ख्वाब देखा था। आज ख्वाब को अंजाम देने की कोशिश करते हुए उन्होंने अपनी पहली नॉवेल “समवेयर टू गो” लिखी, जो आज रीडर्स को काफी पसंद आ रही है। शांभवी अपने नॉवेल को सिर्फ अपनी मेहनत और जूनून का नतीजा नहीं बताती, बल्कि हर उस लड़की के लिए एक प्रेरणा समझती है, जो अपने सपने को जीने का जज़्बा रखती है।

जब शांभवी से पुछा गया कि कैसे उन्हें इस नॉवेल को लिखने का ख्याल आया तो शांभवी ने बताया कि, ” उस दौरान मैं ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में काम करती थी जब अचानक मुझे यह नॉवेल लिखने का ख्याल आया। मैंने खुद को याद रखा और हर छोटी चीज जो हमारे आसपास होती हैं, उनको अपनी कलम से उकेरा।” शांभवी ने अपने नॉवेल के बारे में बताया कि इसमें दो कैरेक्टर हैं जिनका नाम अयशेर और रिशा है। एक ही मीडिया इंडस्ट्रीज में काम करने वाले दो लोगों की लाइफ सिंपल दिखती है पर होती बिल्कुल नहीं है। ऐसे में रिश्ते को किस तरह संजोये जाते हैं ये इस नॉवेल में लिखित माध्यम से दिखाने की कोशिश की गई है। बता दें कि शांभवी को प्रकृति, जीवन और इसके विविध रूपों से बचपन से ही काफी लगाव रहा है। इसलिए इन सब चीजों को किताबों के कैनवास पर लिखना उनको काफी इंटरेस्टिंग लगता है। पर इस भागमभाग वाली जिंदगी में प्रकृति और खुद को लोग कहीं खो देते है। जबकि, प्रकृति ही सही मायने में लोगों की लाइफ लाइन होती है। सबको इस बात से एक बार फिर से रूबरू करने की कोशिश है ये नॉवेल।


शांभवी बताती हैं कि शादी के बाद परिवार और दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारियां उन पर आ गयी थी। पर इस नॉवेल को लिखना उनका सपना था, इसलिए उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने सपने को लिखा। इसमें उन्हें उनके परिवार वालों एवं करीबियों का भरपूर सहयोग मिला। फिलहाल शांभवी साउथ बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में पीएचडी कर रही हैं। “समवेयर टू गो” नॉवेल से प्रेरित होकर शांभवी ने अब दूसरे नॉवेल को लिखने का भी मन बना लिया है। उम्मीद है कि जल्द वो नॉवेल भी पाठकों के सामने होगी और उसे भी लोग “समवेयर टू गो” की तरह ही पसंद करेंगे।

Comments are closed.