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अगले 48 घंटे में होगा महागठबंधन के सियासी भविष्य का फैसला, नीतीश और लालू ने बुलाई पार्टी नेताओं की बैठक

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पटना Live डेस्क। सूबे की सियासत में महागठबंधन के सियासी भविष्य पर मंडराते उमड़ते घुमड़ते कारे-कारे बादलो का सिलसिला बदस्तूर बिहार के हर आमो खास की दिलचस्पी का सबब बना हुआ है। सरकार के  भविष्य पर उपापोह के हालात के बीच सियासत में जारी लगातार उठापठक के बीच अगले 48 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं। सोमवार और मंगलवार इन दो दिनो में इस बात के स्पष्ट संकेत मिल जाएंगे कि राजद  सुप्रीमो लालू यादव के परिवार के सदस्यों पर लगे करप्शन के आरोपों के बाद महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार का रुख क्या रहेगा? साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि राजद इस मुद्दे को किस तरह आगे ले बढ़ाएगी। पल पल बदलते हालात और विकल्पों उ विचार के लिए दोनों दलों ने मीटिंग बुलाई है। वही दूसरी तरफ सियासी हलकों में इस बात को भी लेकर बेचैनी भारी उत्सुकता है कि बेनामी संपत्ति मामले या रेलवे घोटाले के नए मामले की जांच कर रही दोनों में से कोई भी जांच एजेंसी लालू प्रसाद के परिजनों को गिरफ्तार भी कर सकती है। ईडी और सीबीआई सूत्रों ने संकेत दिया कि पूछताछ के लिए नामजद से कुछ मेंबर को गिरफ्तार करने का विकल्प खुला है। यानी लालू कुनबे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

सोमवार को जहां लालू यादव अपने दल के सभी नेताओं के साथ मंत्राण करेंगे, तो मंगलवार को नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगे। वर्त्तमान हालात की वजह से दोनों दलों में बेचैनी भरी खामोशी है। इस मीटिंग के बाद दोनों सियासी दलों के नेताओं द्वारा अपने विचारों से पार्टी को अवगत कराया जाएगा।ये भी हो सकता है कि बिहार की राजनीति में सियासी कोहराम मच जाये।  रेलवे से जुड़े एक घोटाले के आरोप में सीबीआई ने लालू प्रसाद और उनके बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सहित परिवार के दूसरे सदस्यों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस घटना पर अब तक बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है। दोनों दलों ने कोई बड़ा बयान नहीं दिया है।

लालू यादव आक्रामक रुख अख्तियार करेंगे

पार्टी सूत्रों के अनुसार, सोमवार को मीटिंग में लालू प्रसाद द्वारा आक्रामक रुख अख्तियार करने की संभावना है। पार्टी के वरीय नेताओं द्वारा राय मशवरे से से लालू प्रसाद और उनके परिवार के साथ मजबूती से खड़ा होने के औपचारिक एलान करने के बाद लालू प्रसाद द्वारा अपने अगले कदम का एलान किया जा सकता है। पूरी उम्मीद है कि लालू प्रसाद सीबीआई छापेमारी प्रकरण को 27 अगस्त को उनकी ओर से विपक्ष की संयुक्त रैली को विफल करने की मोदी सरकार की साजिश के रूप में पेश करेंगे। साथ ही पार्टी औपचारिक तौर पर तेजस्वी के इस्तीफा देने की किसी प्रकार की संभावना को खारिज करेगी। कांग्रेस ने लालू प्रसाद को अपना पूरा सपोर्ट देने का ऐलान किया है।

नीतीश की चुप्पी का राज खुलेगा?

लालू प्रसाद-तेजस्वी यादव पर सीबीआई छापे के बाद कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने उन्हें सपोर्ट किया है। लेकिन जेडीयू ने अब तक इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। वही नीतीश कुमार ने पटना से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर राजगीर में तीन दिन तक सिर्फ और सिर्फ आराम किया।साथ ही उन्होंने अपने दल प्रवक्ताओं और वरीय नेताओं को इस मुद्दे पर खामोशी अख्तियार की हिदायत भी दी। उनकी आश्चर्यजनक खामोशी ने हालात की न केवल जटिलता बढ़ाई है वही राजद के सस्पेंस और बढ़ाया ही है।यह घटनाक्रम राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर नीतीश का विपक्ष एकता से अलग होकर एनडीए उम्मीदवार को वोट देने के फैसले के तुरंत बाद सामने आ रहा है। जदयू के एक वरीय नेता ने माना कि स्थिति बेहद उलझी हुई है।11 जुलाई यानी मंगलवार को ही तस्वीर साफ हो पाएगी। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार बनी रहे और उनकी छवि पर कोई विशेष असर नहीं पड़े, इसके लिए कोई बीच का रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव त्यागपत्र देंगे ?

विपक्षी दल डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर सीबीआई की छापेमारी के बाद उनसे लगातार इस्तीफा मांग रहे हैं। ऐसे में क्या मंगलवार को नीतीश कुमार उनसे इस्तीफा मांगेंगे या नहीं, इस बारे में सियासी अटकल भी जारी हैं।सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार अंतिम चार्जशीट दाखिल होने तक इस्तीफा नहीं मांगेगे, लेकिन बेनामी संपत्ति के मुद्दे पर लग रहे तमाम आरोपों पर वह अपनी नाखुशी जाहिर कर सकते हैं। जेडीयू सूत्रों के अनुसार, बेनामी संपत्ति के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने वाले नीतीश कुमार इन मुद्दों पर स्पष्ट राय रख सकते हैं। इसके बाद सियासत में घटनाक्रम तेजी से बदल सकता है।

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