बडी ख़बर -(वीडियो) पटना पुलिस को मिली जबरदस्त कामयाबी,राजधानी में पकड़ा अत्याधुनिक VOIP बेस्ड एक्सचेंज,लगा रहे थे देश की सुरक्षा में सेंध और राजस्व को चूना
पटना Live डेस्क। पटना पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस की विशेष टीम ने रविवार को देश की सुरक्षा सेंध लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है।इस बाबत राकेश कुमार दुबे अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) के मुताबिक इंटरनेशनल कॉल्स को लोकल में बदलने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस पूरे नेटवर्क का सरगना विदेश में बैठकर देश के विभिन्न हिस्सों में फ़र्ज़ी एक्सचेंज के माध्यम से पूरे रैकेट का संचालन कर रहा था। आईजी पटना प्रक्षेत्र को मिली गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई की गई। इस अत्याधुनिक एक्सचेंज को मोबाइक कंपनी के सीम कार्ड्स के जरिये चलाया जा रहा था। दबिश में पुलिस दस्ते द्वारा कई दर्ज़न सिम कार्ड मिले है। सभी सिम कार्ड्स के डिटेल खंगाले जा रहे हैं। इसके बाद बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है। मुख्यतःअभी शुरुआत में एक सिम कार्ड से पता चला है कि ज्यादातर कॉल्स मीडिल ईस्ट किये जा रहे थे।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में इसी वर्ष अक्टूबर में मुंबई से सटे भिवंडी में ठाणे क्राइम ब्रांच ने छापेमारी कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इसी इंटरनेट तकनीक यानी वीओआईपी के जरिए फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया था।इंटरनेशनल कॉल को सिम बॉक्स के जरिए लोकल कॉल में बदलकर करोड़ों की ठगी की जा रही थी। मामला तब उजागर हुआ,जब इस माध्यम से कुख्यात अंडरवर्ड डॉन छोटा राजन,रवि पुजारी और सुरेश पुजारी जैसे कुख्यात माफिया सरगना मुम्बई समेत अन्य राज्यों में व्यवसाय जगत के लोगो से रंगदारी की डिमांड किया करते थे। इस फ़र्ज़ी एक्सचेंज के गोरख धंधे के खुलासे के बाद मिले इनपुट के आधार पर ओडिशा के एक शहर पूरी, यूपी के लखनऊ और गोरखपुर में भी फर्जी एक्सचेंज पकड़े गए थे। फिर तोइसके बाद राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों ने सभी राज्यों की पुलिस को इस बाबत आगाह किया था। जोनल आइजी को मिली थी गुप्त सूचना
जोनल आइजी नैयर हसनैन खान को खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिली कि पटना शहर में भी वीओआईपी बेस्ड फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय सह अभियान) राकेश कुमार दुबे के नेतृत्व में टाउन डीएसपी एस ए हाशमी ,गांधी मैदान थानाध्यक्ष मितेश कुमार, दारोगा दिनेश कुमार और सिपाही सुधीर ठाकुर की टीम गठित की गई।
मुखबिर की मदद से विशेष पुलिस टीम में लालजी टोला के काफी अंदर एक पुराने से मकान में छापा मारा तो गोपालगंज जिले के रहने वाले बैंकुंठपुर निवासी सुशील ने पढ़ाई करने के नाम पर एक कमरा किराए पर ले रखा था। कमरे में प्रवेश करते ही पुलिस के होश उड़ गए। चौकी के नीचे एक बेहद अत्याधुनिक वीओआईपी बेस्ड मोबाइल एक्सचेंज बना था।जो बेहद हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन से जुड़ा था।इसके बाद मिले इनपुट से राजधानी के अन्य मोहल्ले लोहानीपुर के रेलवे हंटर रोड में लगे एक अन्य पुराने आए मकान में भी ऐसा ही नजारा अनिल चौरसिया के किराये पर लिए गए एक अन्य ठिकाने पर देखने को मिला। पिछले 6 महीने से जारी था कारोबार चौरसिया बंधु मई से टेलीफोन एक्सचेंज चला रहा था। पूछने पर उन्होंने बताया कि गोपालगंज और सिवान के उन परिवारों से उनके संबंध हैं। जिनके घर के सदस्य खाड़ी देशों में रहते हैं।वहां रहने वाले लोग इंटरनेशनल कॉल्स करते हैं,जिनमें काफी रुपये खर्च होते हैं। तब उन्होंने नलीन के बारे में पता लगाया और उसके माध्यम से टेलीफोन एक्सचेंज का कनेक्शन लिया। उन्हीं परिवारों को चौरसिया बंधुओं ने ग्राहक बनाया था।इससे प्रतिमाह उन्हें एक लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती थी।पुलिस ने एक सिम के इनकमिंग कॉल्स का डाटा निकाला तो मालूम हुआ कि अधिकांश कॉल्स मध्य पूर्वी देशों से आए जिन्हें गोपालगंज और सिवान की ओर डायवर्ट किया गया। विदेश में सरगना देशभर में नेटवर्क मुख्य सरगना विदेश में बैठा है। जो सस्ती दरों पर इंटरनेशनल कॉल्स करवाता है।उस सरगना ने सभी प्रदेशों ने नलीन जैसे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सर्वर ऑपरेटर को तैयार कर रखा है। उनके पास सर्वर होता है,जिससे वाइस कॉल्स को VOIP(वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) में बदल दिया जाता है। नलीन 40-50 हजार रुपये देकर सुशील और अनिल जैसे लड़कों से लोकल टेलीफोन एक्सचेंज खुलवाता है। इसके लिए हाईस्पीड इंटरनेट की आवश्यकता होती है। एक्सचेंज में रखी मशीन में 32 अथवा 64 सिम कार्ड लगाने की क्षमता होती है।फर्जी नाम और पते पर खरीदे गए सिम कार्ड उसमें लगा दिए जाते हैं।
सरगना सर्वर ऑपरेटर को एक नंबर उपलब्ध कराता है। उसी नंबर पर आइडी तैयार की जाती है। जिस पर विशेष पासवर्ड होता है। सरगना प्रति कॉल्स के अनुसार सर्वर ऑपरेटर को पे-टीएम के माध्यम से भुगतान करता है। टेलीफोन एक्सचेंज संचालक हर कॉल का लेखा-जोखा रजिस्टर में लिखकर रखते हैं।
पुलिस की दबिश में गिरोह के तीन सदस्य सुशील कुमार चौरसिया, उसके भाई अनिल चौरसिया और नलीन सिन्हा पुलिस के हत्थे चढ़ गए। ये न सिर्फ भारतीय सुरक्षा को ठेस पहुंचाने के साथ अर्थ व्यवस्था पर भी चोट कर रहे थे। इनके माध्यम से विदेशों से आने वाले कॉल्स भारतीय गेटवे से बाईपास कर दिए जाते थे,जिसके कारण कॉल करने वाले व्यक्ति को इंटरनेशनल टैरिफ के अनुसार भुगतान नहीं करना पड़ता था और उनके कॉल्स का ट्राई अथवा टेलीफोन कंपनियों के पास कोई ब्योरा भी नहीं होता था।
हाजीपुर के साहू कॉलोनी निवासी नलीन सिन्हा ने न्यू डाकबंगला रोड स्थित जेके मेंशन की दूसरी मंजिल पर होस्ट एक्सिस इंटरनेट सर्विस प्रोवोइडर नामक ऑफिस खोल रखा है।इसमें उसने जापान निर्मित का सर्वर लगाया है। जिसकी मदद से इंटरनेशनल कॉल्स को लोकल में बदले जाते हैं। पुलिस की नजर से दूर रहने के लिए वह कार्यालय में ऑल नेटवर्क सोल्यूशन नामक इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने वाला सेंटर चला रहा था।उसने कई कंपनियों और सर्विस प्रोवाइडर समूह का इंटरनेट कनेक्शन दे रखा है।नलीन के सहयोग से चौरसिया बंधु लालजी टोला और लोहानीपुर हंटर रोड में किराए पर कमरा लेकर तकनीक की मदद से वीओआईपी बेस्ड टेलीफोन एक्सचेंज चला रहे थे।गिरोह का सरगना विदेश में बैठा है। बड़ी बात है कि कस्टम विभाग को झांसा देकर जर्मनी से सी-गौस टेक्नो कंपनी का बेहद अत्याधुनिक सर्वर मंगाया गया था। पुलिस ने अलग-अलग ठिकानों से विभिन्न मोबाइल कंपनियों के 200 सिम कार्ड,छह सिम बॉक्स,दस राउटर,दो इनवर्टर एवं बैटरी,ब्रॉड बैंड एंटीना ,तीन मोबाइल,लैपटॉप,आठ एटीएम कार्ड, एक पैन कार्ड, कई पासबुक,दो रजिस्टर आदि बरामद हुए हैं। कौन है सरगना? पुलिस के लिए बड़ा सवाल है कि विदेशी में बैठा सरगना कौन है, जो वहां से भारत के हर राज्य में जालसाजी का यह कारोबार फैला रहा है। हाल में महाराष्ट्र पुलिस के उद्भेदन के बाद खुफिया एजेंसियों को इस तरह के एक्सचेंज की जानकारी मिली। विगत एक महीने में विभिन्न राज्यों में आधा दर्जन से अधिक फर्जी एक्सचेंज का भंडाफोड़ हो चुका है। नलीन ने सरगना के बाबत पुलिस को केवल इतनी जानकारी दी कि वह खाड़ी देश में है। वह न तो कभी उससे मिला और न ही सरगना का कोई नंबर उसके पास है। नलीन से अधिक पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लिया जा सकता है।
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