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4 अक्टूबर को शपथ लेंगे बिहार के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मालिक की जीवनी

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पटना Live डेस्क। बिहार के नये राज्यपाल सत्यपाल मलिक 4 अक्टूबर को पदभार ग्रहण करेंगे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक सत्यपाल मलिक 3 अक्टूबर को दोपहर बाद पटना पहुंचेंगे। 4 अक्टूबर को सुबह में राजभवन में आयोजित समारोह में पदभार संभालेंगे।
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन सत्यपाल मलिक को राज्यपाल पद की शपथ दिलाएंगे। नये राज्यपाल के पदभार ग्रहण के मद्देनजर तैयारी शुरू कर दी गई है।शपथ ग्रहण समारोह में सीएम नीतीश कुमार समेत राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, न्यायाधीश और अन्य गणमान्य लोग मौजदू रहेंगे।

                         कहते है “होनहार बिरवान के होते है चिकने पात” यह मुहावरा बिहार के नवनियुक्त गवर्नर सत्यपाल मलिक पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सत्यपाल जी का जन्म यूपी के बागपत जिले के हिसवाड़ा में सामान्य किसान परिवार में हुआ। उनका बालपन और जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। वे महज 3 साल के थे,जब उनके पिता बुध सिंह की मौत हो गई। तब मां जुगनी देवी ने तमाम चुनौतियों से जूझते हुए उनका लालन-पालन किया। बचपन से ही मलिक अपनी मां का खेती में हाथ बंटाते थे और खुद चारे का जुगाड़ करते। उन्होंने अपने पड़ोस के ढिकौली गांव से इंटर तक की पढ़ाई पूरी की और स्कूल जाने के लिए भी दूसरे की साइकिल का सहारा लेते थे। उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई मेरठ यूनिवर्सिटी से की।

मलिक 21 अप्रैल, 1990 से 10 नवंबर, 1990 तक केंद्रीय पर्यटन एवं संसदीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। इसके पहले वे 1980 से 84 और 1986 से 1989 तक राज्यसभा सांसद और 1989 से 1990 तक लोकसभा सांसद के साथ-साथ 1974 से 1977 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा के सदस्य थे। वे लोकदल और जनता दल के सदस्य रहे। बाद में भाजपा में शामिल हुए और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुए।

मलिक ने 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और 51.5 फीसदी वोट लाकर जीत दर्ज की। उन्होंने1966-67 में मेरठ कालेज से बीएससी और 1970 में एलएलबी की। उन्होंने मेरठ काॅलेज में छात्रसंघ की नींव डाली। उस समय तक वहां छात्रसंघ चुनाव की परंपरा नहीं थी। वे प्रीमियर छात्रसंघ अध्यक्ष बने और खुद दिलचस्पी लेकर चुनाव की नियमावली बनाई और फिर उसी आधार पर चुनाव लड़कर दो बार अध्यक्ष बने। इस चुनाव के दौरान उनसे मिलने कद्दावर नेता चौधरी चरण सिंह भी मेरठ कालेज आए थे। आज भी वही नियमावली वहां चुनाव का आधार है। मलिक ने कहा-मैं जिस पद पर जा रहा हूं उसका काफी महत्व है। मुझसे पहले वहां जो शख्स थे, आज वे देश के राष्ट्रपति हैं।

 

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