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बीजेपी और जेडीयू के बीच कई सवालों को जन्म दे गया केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार! गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं होने के लगने लगे कयास

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पटना Live डेस्क. मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया..लेकिन इस विस्तार के बाद भी कुछ चीजें अटपटी लग रही हैं..अटपटी इसलिए कि अपमान का घूंट सहने के बाद भी जिस साथी की तलाश बीजेपी को साल 2014 के गठबंधन टूटने के बाद से ही थी..वो साथी उसे दोबारा मिल गया…बीजेपी के लिए जेडीयू के साथ गठबंधन कितना महत्वपूर्ण था इस बात का अंदाजा नीतीश कुमार के महागठबंधन सरकार से इस्तीफा और उसके फौरन बाद पीएम के ट्वीट से लगाया जा सकता है..इधर महागठबंधन टूटा नहीं कि उधर पीएम ने नीतीश कुमार को ट्वीट कर उन्हें बधाई भी दे दी… आनन फानन में नीतीश कुमार को अपना नेता मानकर बीजेपी ने उन्हें सरकार बनाने को अपना समर्थन भी दे दिया..सरकार गठन के बाद यह लगने लगा कि अब बीजेपी कम से कम बिहार के लिए निश्चिंत हो गई..अब बिहार के विकास की गति जोर पकड़ेगी और केंद्र में जेडीयू को उचित स्थान भी मिलेगा…पिछले एक महीने से यह चर्चा जोरों पर थी कि जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगी और मंत्रियों के नाम भी तय हो गए थे..कोई रामनाथ ठाकुर और आरसीपी सिंह के नाम की भविष्यवाणी कर रहा था तो कोई इससे एक कदम और आगे जाकर ये फैसला कर रहा था कि रामनाथ ठाकुर के बदले पूर्णिया के सांसद मंत्री बनेंगे कारण कि बीजेपी राज्यसभा से दो-दो मंत्री बनाने को तैयार नहीं है..ये अफवाह मंत्रिमंडल गठन के एक दिन पहले तक मीडिया और लोगों के बीच खबर बनती रही…लेकिन शपथ ग्रहण के ठीक एक दिन पहले शाम में दिए गए नीतीश कुमार के उस बयान ने सारी स्थितियां साफ कर दीं…मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल होने का कोई औपचारिक न्यौता नहीं मिला है..राजनीतिक पंडित भी हैरान रह गए कि आखिर यह क्या हो गया..क्या एक महीने में ही जेडीयू-बीजेपी का हनीमून पीरियड खत्म हो गया…क्या होगी बिहार की राजनीति की हालत..राजनीति के जानकार यह सोचने लगे कि आखिर एक महीने में ही बीजेपी और जेडीयू के संबंध इतने नीचे क्यों हो गए…आम जनता के बीच भी यह फिलहाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर क्या हो गया…चर्चा यह है कि अगर जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो जाती तो एनडीए पहले की तरह ही मजबूत हो जाती…लेकिन अंदरूनी स्तर पर जो खबरें छन कर आ रही हैं उससे साफ है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के बीच मंत्रियों की संख्या को लेकर बात नहीं बन पायी..सूत्रों के मुताबिक जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रही थी…जानकारों के मुताबिक पार्टी तीन मंत्री पद की मांग कर रही थी, जिसमें दो कैबिनेट रैंक के मंत्री और एक राज्यमंत्री का पद शामिल था…लेकिन बीजेपी के लिए जेडीयू की ये मांगे पूरी करना इतना आसान नहीं था..बीजेपी एक कैबिनेट मंत्री या फिर दो राज्यमंत्री पद देने को तैयार थी,जिसके लिए जेडीयू तैयार नहीं थी..

हालांकि जेडीयू दो मंत्री पद के लिए भी राजी हो सकती थी,बशर्ते उनमें से एक कैबिनेट और दूसरा राज्यमंत्री का पद मिल जाए..बस मामला यहीं अटक गया..बीजेपी एक कैबिनेट या फिर दो राज्यमंत्री पद ही देने के लिए तैयार थी..

दरअसल लोकसभा में जेडीयू के महज दो ही सांसद हैं..जबकि राज्यसभा में उसके दस सांसद हैं…12 सासंदों के साथ जेडीयू कुल तीन पद मांग रही थी जो बीजेपी के लिए देना असंभव था..कारण कि इससे दूसरे सहयोगी दलों को समझाना मुश्किल हो रहा था..शिवसेना के पास कुल 18 लोकसभा सांसद हैं लेकिन उसे महज एक ही कैबिनेट मंत्री का पद मिल पाया है..

दूसरी तरफ, बिहार में रामबिलास पासवान की पार्टी एलजेपी के छह लोकसभा सांसद हैं जिसको केवल एक कैबिनेट मंत्रालय मिला है….

अब चाहे असल मुद्दा जो भी हो पर इस कैबिनेट विस्तार ने बीजेपी और जेडीयू के खिलाफ विपक्षियों को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है…राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद इसी बहाने नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं…

 

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