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बड़ी खबर – गुजरात मे पिछले 22 सालों में भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन

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पटना Live डेस्क। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजे आ गए हैं। अबतक के रुझान ले अनुसार 7 सीट पर बढ़त बनाये हुए है वही बीजेपी 93 सीट जीत गई है। वहीं,कांग्रेस अबतक 76 सीट जीत गई है और 7 पर बढ़त बनाए हुए है। ऐसे में गुजरात विधानसभा का यह चुनाव काफी करीबी रहा। रुझान में सुबह से बढ़त बनाए हुई बीजेपी 10 बजे के करीब पिछड़ने लगी फिर कुछ ही देर बाद बीजेपी ने जो बढ़त का मोमेंटम पकड़ा वह अंत तक बना रहा।                                                                 1995 के बाद सबसे खराब प्रदर्शनगुजरात मे भाजपा ने भले ही विधानसभा जीत लिया है। सत्ता भी बरकरार रखने जादुई आंकड़ा जीत गई है।लेकिन साल 1995 के बाद से यह उसका सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। भाजपा इस बार 100 सीट के आस-पास जीतती दिख रही है। जबकि वह इससे वर्ष 2012 में 115 सीट से ऊपर ही रही है। वहीं, कांग्रेस ने 1995 के बाद से अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। इससे पहले वह अधिकतम 60 सीट तक ही पहुंच पाई थी।                     मोदी ने दिलाई थी सबसे बड़ी जीत बता दें कि साल 1995 में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में चुनाव लड़ी बीजेपी को 121 सीट पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस 45 सीटों पर सिमट के रह गई थी। वही साल 1998 के चुनाव में बीजेपी को जहां 117 सीटें मिली थी तो कांग्रेस को 53 सीट मिली थी। साल 2002 का चुनाव बीजेपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ी और उसने रिकॉर्ड 127 सीट पर जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 51 सीट जीतने में कामयाब रही। साल 2007 के चुनाव में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही बीजेपी जहां 117 सीट जीती, वहीं कांग्रेस 59 सीट तक पहुंची साल 2012 के चुनाव में बीजेपी 116 सीट तो कांग्रेस ने 60 सीट पर जीत हासिल की।                        मोदी के पीएम बनने के बाद बदला समीकरणसाल 2014 में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मई महने 2014 में आनंदीबेन पटेल वहां की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, वह नरेंद्र मोदी जैसा मजबूत और करिश्माई नेतृत्व देने में नाकामयाब रहीं राज्य में एक के बाद एक कई बड़े आंदोलन हुए, जिसमें ऊना की घटना और पटेल आंदोलन काफी चर्चा में रहे।ऐसे में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने अगस्त 2016 में विजय रूपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया।                                                       राहुल गांधी का नेतृत्व

साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस को तीन युवा चेहरे हार्दिक पटेल,जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर का साथ मिला।हार्दिक जहां खुद को पटेलों को नेता साबित करने में लगे रहें, वहीं जिग्नेश दलितों ,अल्पेश ओबीसी नेता के तौर पर उभरे।इस बीच राहुल गांधी भी एक नई क्षमता के साथ कांग्रेस के लिए प्रचार करते दिखे। ऐसे में कांग्रेस एक मजबूत लड़ाई लड़ती दिखी। कांग्रेस ने सत्ता विरोधी माहौल बनाने की कोशिश करने के साथ-साथ विकास के गुजरात मॉडल पर सवाल उठाने की कोशिश की।                                                                        मोदी की रैलियों ने बदला रुख 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश होने की वजह से गुजरात एक बड़ा किला नजर आ रहा था।ऐसे में बीजेपी इस बार 150 से ज्यादा सीट जीतने का टार्गेट लेकर चुनाव लड़ रही थी।लेकिन, उसके पास मुख्यमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी जैसा करिश्माई चेहरा नहीं था। चुनाव करीब आते-आते वह पिछड़ती नजर आ रही थी। लेकिन, इसके बाद नरेंद्र मोदी की एक के बाद एक 34 रैलियों ने चुनाव का रुख बदल दिया।                                             कॉंग्रेस के नाकामयाब रही कोशिश

रिजल्ट के पहले ईवीएम पर उठ रहे तमाम सवाल के बीच बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत का दावा करते नजर आए। वहीं, हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश भी बीजेपी की हार की भविष्यवाणियां करते रहें।पटेल, ओबीसी और दलित फैक्टर्स के बीच नरेंद्र मोदी ने अपने विकास और गुजराती अस्मिता पर यह चुनाव लड़ा और यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि केंद्र और राज्य की सरकार मिलकर गुजरात को एक नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।हालांकि, रिजल्ट ये बताते हैं की इन कोशिशों के बावजूद वह बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में नाकामयाब रहे और बीजेपी 100 सीट के आस-पास ही आकर सिमट गई।

 

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