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Super Exclusive – एक बिहारी पड़ गया “आतंक के इंजीनियर” और “मौत के मास्टर” पर भारी, खदेड़कर लिया दबोच कर दिया पुलिस के सुपुर्द- गया गिरफ्तारी का सच

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पटना Live डेस्क। बिहार पुलिस,गया जिला पुलिस बल और एटीएस द्वारा हूजी आतंकी और 26 जुलाई 2008 में गुजरात के अहमदाबाद को 90 मिनट के अंदर 16 जगहों पर सीरियल बम धमाके कर दहलाने वाले तौसीफ़ अहमद खान जिसने 56 लोगो को मौत और 200 लोगो को जख्मी कर दिया था समेत उसके 3 अन्य सहयोगियो के संग गिरफ्तारी पर फुले नही समा रही है।वही गया से लेकर राजधानी पटना स्थित बिहार पुलिस मुख्यालय तक मे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसको बड़ी कामयाबी और महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया जा रहा है। दरअसल, इस उपलब्धि और 9 सालों से छप्पन लोगो की जान लेकर फरार चल रहे आतंकी जो लगातार देश के ख़िलाफ़ साज़िशें रच रहा था को एक बेहद नेकदिल और युवा कलमकार अनुराग बसु की अदम्य साहस ने सलाखों के पीछे पहुचाया है। आइये आपको बताते है मोहम्मद अतीक उर्फ तौसीफ अहमद खान उर्फ तौफीक पठान उर्फ मास्टर उर्फ इंजीनियर और 3 अन्य की गिरफ्तारी असली सच …..

साइबर कैफे का संचालक

बिहार का गया जिला वर्ल्ड मैप पर स्थान रखता है। एक ओर जहां बौद्धों की आस्था का बड़ा केंद्र और वही हिन्दू मतावलंबियों की आस्था का केंद्र भी है।पूर्व में साल 2013 में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया में आतंकवादी घटना हो चुकी है। ऐसे में तौसिफ का पकड़ा जाना किसी बेहद खौफ़नाक सुनियोजित गहरी साजिश की तरह इशारा कर रहा है। गिरफ्तारी से पूर्व यह इंजीनियर पिछले कई दिनों से शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के मंगला गौरी रोड पर राजेन्द्र आश्रम के समीप स्थित विष्णु साइबर कैफे से से कुछ तस्वीरें मेल करता और घंटों इंटरनेट कॉलिंग के जरिये बाते कर रहा था। कैफे संचालक को इसकी गतिविधियों पर शक हुआ क्योकि वो विगत कई दिनों से अपने साथी संग आता था और कई घंटे नेटसर्फिंग करता था साथ ही बेहद धीमी आवाज में इंटरनेट के ज़रिए किसी से लंबी बातें भी करता था। यह सिलसिला कई दिनों से जारी था। एक कलमकार और बेहद सतर्क रहने वाले सामाजिक सरोकारी युवा साइबर कैफे संचालक को कुछ गड़बड़ी का शक हुआ तो कई बार उन्होंने बहाने से उसके कम्प्यूटर के पास पहुचकर पड़ताल करने की कोशिश की पर बेहद चौकस और सतर्कता से तौसीफ स्क्रीन पर मेल आईडी पेज खोल देता और बातें करना बंद कर देता।उसकी गतिविधि पर कैफे संचालक को शक हुआ तो नेटसर्फिंग ख़ातिर पहचान पत्र मांगा,तो ,तो तौसिफ बहाने बाजी करने लगा साथ ही अन्य द्वारा भी अपने पहचान ख़ातिर आधार कार्ड या अन्य कोई भी आईडी कार्ड नही दिया गया। इसपर कैफे मालिक ने पुलिस को सूचित कर दिया। पुलिस की चर्चा होते ही तौसिफ व अन्य कैफे से बड़ी तेजी में बाहर निकल गए।

कैसे हुआ गिरफ्तार …..

एक आम आदमी अगर अपने आसपास की घटनाओं को लेकर गर सतर्क और चौकस रहते हुए पुलिस का सहयोग करे तो किसी भी खौफ़नाक और आतंकवादी साज़िश को समय रहते बेनकाब किया जा सकता है। इसकी एक बेहद उम्दा मिसाल है गया से सुरक्षा एजेंसियों की रडार से वर्ष 2008 के अगस्त महीने से ही गायब आतंकी की हुई गिरफ़्तारी।


मूल रूप से गुजरता के अहमदाबाद का रहने वाला तौसीफ़ बंगलुरु से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका है। इस पर 26 जुलाई 2008 में अहमदाबाद ब्लाष्ट को अंजाम देने ख़ातिर आईडी बनाने का आरोप है। यह शांतिर इंजीनियर अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट की घटना के तुरंत बाद अपने नाम का खुलासा होने पर भाग कर गया आ गया था। एक स्थानीय लाइनर की मदद से अपनी पहचान बदलकर मुस्लिम बहुल इलाके में रहता था। जानकारी के मुताबिक, तौफीक पठान पिछले कई वर्षों से गया के शाहदेव खास इलाके में रह रहा था। इलाके में मैथ टीचर के रूप में जाना जाता था। बच्चों को मैथ का ट्यूशन भी पढ़ता था। साथ ही उनको जेहादी बनाने ख़ातिर प्रेरीत भी करता था। ऐसे बीस बच्चों की शिनाख्त हुई है।
गया के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के विष्णु साइबर कैफे के संचालक अनुराग बसु जो स्वयं भी एक युवा कलमकार और पत्रकार है साथ ही साफ स्वर नामक मासिक पत्रिका का संपादक भी है अपने साइबर कैफे में लगातार आ रहे तौफिक पठान उर्फ मो. अतीक और उसके साथियों की गतिविधि पर शक हुआ। बुधवार को तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे जब तौफीक फिर अपने अपने 3 अन्य साथियों के संग कैफे पहुचा तो नेटसर्फिंग से पहले ही बसु ने आधार कार्ड की फ़ोटो स्टेटकॉपी की मांग। अचानक आईडी कार्ड की मांग पर तौफीक ने बहानेबाजी का सहारा लेते हुए देने से इनकार कर दिया। चुकी अनुराग को पहले ही कुछ गड़बड़ होने का शक हो गया था कैफे मालिक ने स्थानीय सिविल लाइन्स थानेदार हरि ओझा को मोबाइल से सूचित कर दिया। अनुराग द्वारा पुलिस को सूचित करता देख तौफ़ीक़ और उसके तीनो साथी तुरंत ही कैफे से बाहर निकलकर शहीद चौक की ओर चल पडे।

फिर लेट हुई पुलिस तो अनुराग ने दिखाई दिलेरी

पुलिस को फ़ोन कर अनुराग ने सूचित कर दिया पर हरबार की तरह पुलिस वक्त पर पहुची नही तो मौके का फायदा उठाकर तौफ़ीक़ और उसे साथी कैफे से निकलकर तेजी से शहीद चौक की ओर बढ़े और वहां से रिक्शे पर सवार हो गए, लेकिन अपने अदम्य साहस के बल पर अनुराग ने रिक्शे का पीछा किया और फिर तौफ़ीक़ और दूसरे साथी शने खान जो एक ही रिक्शे पर सवार थे को धर दबोचा। अनुराग द्वारा खुद को पकड़े जाने पर बहसबाजी शुरू होने के कुछ देर बाद ही पुलिस भी पहुच गई। इधर, मौके का फायदा उठाकर अन्य तौसीफ के साथ रहे अन्य दो वहा से फरार हो गए।

अदम्य साहस की सराहना

अनुराग की सतर्कता और दिलेरी से तौसीफ खान जो वर्षो से फरार था कि न केवल गिरफ्तारी हुई बल्कि गया में एक बड़ी साजिश और आतंकी नेटवर्क भी बेनकाब हुआ है।अबतक 3 लोगो की गिरफ्तारी हो चुकी है वही अन्य के भी गिरफ्तार होने की संभावना है। एसएसपी गरिमा मल्लिक ने इस सच को कुबूलते हुए बताया कि – यह शायद गया कि पहली घटना है जिसमे एक कानून का सम्मान करने वाले शख्स ने दिलेरी दिखाते हुये संदिग्ध के बाबत जानकारी दी और उसको पुलिस के सुपुर्द किया। साथ ही उन्होंने अनुराग के साहस की तारीफ करते हुए सम्मनित करने की बात कही।

पटना Live परिवार का सलाम 

“दिलेरी को सलाम”- गया को दहलाने की साज़िश किया बेनकाब और वर्षो से फरार हूजी आतंकी को दबोचने वाला अदम्य साहसी “हीरो” अनुराग बसु को सलाम।

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