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बिहार की ‘पूजा’ अंडर 19 राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में शामिल, सब्ज़ी वाले की बेटी को मिला विदेश में खेलने का मौका

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पटना Live डेस्क। बिहार के कटिहार की पूजा का चयन अंडर 19 राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में हो गया है। हाल ही में जब पटना में ऊर्जा टैलेंट सर्च टूर्नामेंट सम्पन्न हुआ था, उस वक्त पूजा मुजफ्फरपुर टीम की तरफ से खेल रही थी। उस मैच के दौरान पूजा ने सबसे अधिक गोल दागा था और उन्हे वूमैन ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा भी गया था। इस बार राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें मौका मिला है, जिसमे पहले पूजा को रायगढ़ और बाद में दुबई में खुद को साबित करना होगा जिसके लिए पूजा अभी से काफी एक्ससाइटेड है।


पूजा के पिता का नाम रामजन्म चौहान है और माता का नाम सजनी देवी है। पूजा का घर उसके माता पिता सब्जी बेच कर बड़ी मुश्किल से चला पाते है। फुटबॉल खेलने और पढ़ाई करने के साथ साथ पूजा सब्जी की दुकान में अपने मां-बाप की मदद भी करती है। यहाँ तक कि सब्जी का ठेला खिंचने में भी पूजा को कोई संकोच नहीं होता। मुश्किलों के बावजूद रामजन्म चौहान ने अपनी बेटी को फुटबॉल में खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और बेटी को स्पोर्ट्स में नाम बनाने के लिए उसके पूरे परिवार ने भरपूर साथ मिला। अब इस सलेक्शन के बाद पूजा देश के बाहर जा कर खेलेंगी और देश का नाम रौशन करेंगी। पूजा शुरू से ही एक सफल फुटबॉलर  बनना चाहती थी और अब जब उन्हें ये मौका मिला है तो उनका बेहतरीन परफॉरमेंस लाज़मी है। पूजा के परिवार के लिए पूजा का विदेश जाना मात्र ही किसी हसीन ख्वाब से कम नहीं है। पूजा पांच भाई-बहन है जिसमे वो तीसरे नंबर पर हैं।


जिस इलाके से पूजा आती है वो काफी पिछड़ा इलाका माना जाता है। एक तरफ जहाँ उस जगह पर औरतों को घूँघट में ही देखा जाता है, लड़कियां घर से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचती है तो वही दूसरी तरफ उसी जगह पर पल रही पूजा, कटिहार गांधी उच्च विधालय की 10वीं की छात्रा, हाफ-पैंट और टीशर्ट के साथ स्पोर्ट्स शू पहने जब मैदान में जर्सी नंबर 10 के टैग के साथ उतरती हैं, तो मानो जैसे खेल में रोमांच भर देती है। विपक्षी टीम पर ये जर्सी नंबर 10 भारी पड़ जाती है। पूजा अपने स्कूल में और फुटबॉल के ग्रुप में माराडोना के नाम से मशहूर है।

कटिहार के लोहिया नगर की रहने वाली पूजा कहतीं है, “मैं रोज शाम में स्कूल जाकर फुटबॉल की प्रैक्टिस करती हूँ। मुझे स्कूल जाने और परिवार के कामों में हाथ बंटाने के कारण समय अभाव महसूस तो होता है पर मैं कोशिश करती हूँ की फुटबॉल को पूरा टाइम दूँ। मुझे समाज के सारे लोग एक सब्जी वाली की बेटी होने के कारण नीच निगाहों से देखते थे पर अब समय आ गया है की मैं उन लोगो का नजरिया बदल दूँ। साथ ही मेरी सभी पैरेंट्स से अपील करती हैं कि अपनी अपनी बेटियों का बाल विवाह न करें। अपनी बेटियों को मौका दे ताकि वो खुद को साबित कर पाए। बेटी और बेटे में कोई फर्क न करे क्योंकि दोनों बराबर है। ”

 

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