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नीतीश-तेजस्वी मुलाकात: क्या सीएम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरोे टॉलरेंस नीति से निकलने का रास्ता ढू्ंढ रहे थे?

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बिहार में पिछले दस दिनों से चले आ रहे राजनीतिक खींचतान का आखिरकार पटाक्षेप हो गया. न तूं जीता और न मैं हारा. शायद होना भी यही था. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच वन टू वन मुलाकात ने सारी धुंधली तस्वीरों को साफ कर दिया. दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री तेजस्वी से इस्तीफे की बात कहेंगे. आखिर इन बीते दिनों में समां भी तो इसी बात का बांधा जा रहा था. कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर अपनी छवि की दुहाई दे रहा था. तो कोई इसे केंद्र सरकार की साजिश करार दे रहा था. दोनों पार्टियों के नेता भी एक दूसरे के सामने खड़े थे और बयानों के तीर भी खूब चलाए जा रहे थे. जेडीयू कह रहा था कि कुछ हो जाए नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ समझौता नहीं करेंगे. पिछले सालों की राजनीति को अगर देखें तो इसके पीछे तर्क भी था और सबूत भी. बीजीपे के साथ जब नीतीश कुमार थे तो एक छोटे मामले में जीतन राम माझी का इस्तीफा ले लिया गया. और भी कई उदाहरण हैं जिसे देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता था कि नीतीश कुमार इस मामले पर भी अपनी छवि के मुताबिक काम करेंगे और तेजस्वी से इस्तीफा देने की बात कहेंगे. लेकिन सारे कयास गलत साबित हुए. बातचीत के बाद जो जानकारी निकल कर आ रही है उसके मुताबिक तो तेजस्वी के इस्तीफे की बात भी नहीं हुई, और न ही भ्रष्टाचार के मामले पर जवाब देने को लेकर समय सीमा की. अब लाख टके का सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या बात हुई जो नीतीश कुमार अपने स्टैंड से पीछे हट गए? क्या अब उन्हें अपनी छवि से ज्यादा सत्ता प्यारी है?  हो सकता है ऐसा न हो लेकिन मैसेज तो यही गया है. अपने तर्क को तर्कसंगत बनाने के लिए जेडीयू को ये बताना चाहिए कि आखिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यदव के बीच क्या बातचीत हुई? इस बातचीत के बाद जेडीयू का क्या स्टैंड है? क्या उसने इस मामले पर तेजस्वी या फिर राजद को कोई ठोस तर्क रखने की बात  कही है? लेकिन शायद ऐसा नहीं होगा कारण कि जहां फैसले से ज्यादा तवज्जो इस बात को दी जा रही हो कि मामला किसी तरह सुलझ जाए वहां इस तरह के मांग की उम्मीद नहीं  की जा सकती. इस मामले में ज्यादा मजबूत होकर उभरे हैं लालू प्रसाद. उन्होंने ये एलान कर दिया था कि किसी भी सूरत में तेजस्वी अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. हुआ भी वही, जेडीयू की सारी तल्खी गायब हो गई. सारी सुचिता गायब हो गई. तेजस्वी ने अपनी बातें सीएम के सामने रख दीं और सीएम मान भी गए. खबरें जो आ रही हैं उसके मुताबिक सीएम अब तेजस्वी यादव के खिलाफ चार्जशीट फाइल होने का इंतजार करेंगे. हो सकता है चार्जशीट होने के बाद यह भी तर्क सुनाई दे कि अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

कांग्रेस ने ली राहत की सांस

गठबंधन बच गया तो कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली.  पिछले कुछ दिनों से राजद और जेडीयू के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रही कांग्रेस की कोशिश आखिरकार रंग लायी और कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की बैठक की सारी योजना और उसका क्रियान्वयन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी की पहल पर ही हुआ. खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी तेजस्वी को लेकर नीतीश कुमार से मिलवाने उनके कमरे में गए. फिलहाल गठबंधन पर किसी भी तरह के आफत को टालना कांग्रेस के लिए किसी जीवनदान से कम नहीं है. लेकिन सवाल नीतीश कुमार की छवि को लेकर जरुर उठ रहे हैं. लोग यही पूछ रहे हैं कि आखिर जब यही होना था तो इतने दिनों से एक दूसरे पर बयानों के तीर चलाना कोई नाटक तो नहीं था. जेडीयू के राष्ट्रीय स्तर के नेता के सी त्यागी बार-बार यही कह रहे थे कि तेजस्वी यादव को लोगों के सामने तार्किक स्तर पर अपने खिलाफ लगे आरोपों के बारे में पक्ष रखना होगा. लेकिन हुआ क्या? तेजस्वी ने अपनी बातें नीतीश कुमार से साझा की, लेकिन लोग गायब हो गए. अब उन दोनों के बीच क्या बात हुई इसके बारे में महज कयास ही लगाए जा सकते हैं. लेकिन ये तय माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों ने इस मसले को समय के साथ छोड़ दिया है, कुछ दिनों बाद ये खबरें लोगों के जेहन से भी हट जाएंगी और दोनों पार्टियों को माथापच्ची से निकलने का एक सुखद रास्ता भी मिल जाएगा.

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