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BiG News -अबतक 38, पहले 20 और अब फिर 18 धुरंधर और तेजतर्रार,एक पड़ताल क्या पटना को सच मे इन पोस्टिंग्स से नसीब होगा चैन? जल्द होगी इनकी तैनाती

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पटना Live डेस्क। बिहार सरकार द्वारा सूबे में सुशासन के दावों की ज़मीनी हक़ीक़त से आवाम हलकान है।सूबे में अपराधियों का तांडव चरम पर है। शायद ही कोई ऐसा दिन गुज़रता हो जब अपराधियों की बंदूक शोले न उगले और किसी बेगुनाह की जान न जाती हो। हालात गंभीर से संगीन होते जा रहे है। अन्य जिलों और  मुख्यालय की क्या बात की जाय जब सुशासन सरकार के नाक के नीचे यानी राजधानी में आमआदमी की सुरक्षा के हालात बद से बदतर होते जा रहे है।पटना पुलिस के तमाम दावों और आंकड़ों के उलट जिले में अपराध बेतहाशा बढ़ रहा है।आप हालात का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते है कि विगत 21 जून को पटना के अबतक के पुलिसिया इतिहास की सबसे बड़ी लूट की घटना को दिनदहाड़े अंजाम देकर अपराधी अब भी पुलिस की पकड़ से कोसो दूर है और एसएसपी गरिमा मलिक के नेतृत्व वाली एसआईटी महज दावे पर दावे कर रही है।

राजधानी में स्नैचिंग (मोबाइल और गोल्ड चेन) और चोरी (बाइक से लेकर घरों में) को तो शहरवासियों ने महज एक दुर्घटना मान लिया है। हालात ये है कि पटना की सड़कों पर अब स्नैचिंग आमबात हो गई है। खैर, पुलिस मुख्यालय भी राजधानी में बढ़े अपराध के ग्राफ पर लगाम लगाने की पुनः एक बार कवायद करता दिखाई दिया है। तभी तो राजधानी की सुरक्षा चुस्त दुरुस्त और विधि व्यवस्था में गुणात्मक सुधार ख़ातिर सूबे के विभिन्न जिलों में तैनात 17(सत्रह) जांबाज और तेज़तर्रार इंस्पेक्टरों समेत 01(एक) दारोगा को पटना जिला बल में प्रतिनियुक्ति देकर बुलाया गया है। पहले आप लिस्ट देखिए, फिर आगे की बात करते है। हाँ मगर लिस्ट देखियेगा ध्यान से ..

ऐसा दावा किया जा रहा है कि 18 पुलिस वालों को प्रतिनियुक्ति की कवायद राजधानी पटना में बढ़ते अपराध और सुरक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार को लेकर किया गया है। पटना  में क्राइम कंट्रोल ख़ातिर आईजी मुख्यालय ने सूबे के अन्य जिलों से एक दरोगा और कुल 17 इंस्पेक्टर को पटना बुलाया।ताकि अपराध नियंत्रण और शहरवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह एक अच्छी और सच्ची पहल हो सकती थी, लेकिन। सवाल है कि आख़िर इन 18 पुलिसवालों को ही क्यो ? क्या मापदंड अपनाया गया है इनको डेपूटेशन पर पटना लाने ख़ातिर ? खैर

प्रयास राजधानी की विधि व्यवस्था और अपराध नियंत्रण ख़ातिर किया जा रहा है। तो जाहिर सी बात है टारगेट तो अपराध और अपराधी ही है। यानी जरूरत है अनुसंधान में माहिर, स्ट्रांग नेटवर्क और डेडिकेटेड पुलिसवालों की। राजधानी में बढ़ते अपराध के आकड़ो पर नज़र दौड़ाए तो जिले में पिछले वर्ष यानी वर्ष 2018 के जून महिने के आखरी सप्ताह से पटना में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि दर्ज की जाने लगी थी। ये दावा हमारा नही है बल्कि इसको तार्किकता प्रदान किया था बिहार पुलिस मुख्यालय ने यकीन नही हो रहा तो हम बताते है आपको पूरी बात। दरअसल,उस वक्त के आईजी मुख्यालय ने पटना की सुरक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार का हवाला देते हुए पुलिस विभाग के अन्य शाखाओ एवं सूबे के विभिन्न जिलो में तैनात 20 बेहद तेजतर्रार, जाबाज और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस पदाधिकारियों को पटना पुलिस बल में प्रतिनियुक्ति दी थी। मकसद था पटना की सुरक्षा को चाक चौबंद करना। देखिये वो लिस्ट फिर आगे की बात करते है। हाँ मगर पुनः निवेदन है लिस्ट देखियेगा ध्यान से ..

चूंकि, उपरोक्त 20 जांबाज और तेजतर्रार विशेषकर अपराध नियंत्रण ख़ातिर पटना जिला पुलिस बल में प्रतिनियुक्ति किये गए थे तात्कालिक एसएसपी मनु महाराज ने जल्द ही सभी को विभिन्न जिम्मेदारियों और थानों की कमान सौंपने वाला आदेश निर्गत कर दिया।देखिये वो लिस्ट फिर आगे की बात करते है। हाँ मगर पुनः निवेदन वही है लिस्ट देखियेगा ध्यान से ..

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त महीने में विभिन्न जिलों और पुलिस शाखाओं से प्रतिनियुक्ति पर लाये गए उन्ही 20 जांबाजों में कुछ को छोड़कर प्रायः सभी के हाथों में राजधानी के तमाम बड़े थानों की कमान है। लेकिन पटना पुलिस अपराधियों के सामने बिल्कुल पस्त नज़र आ रही है। हालात ये है कि रात की बात कौन करे दिनदहाड़े राजधानी में वारदातों को अंजाम देकर आराम से अपराधी शहर की भीड़ में खो जारहे है और पुलिस महज कागजी कार्रवाई कर मौन हो जा रही है। पूर्व में प्रतिनियुक्ति पर लाये 20 तेज़तर्रार इंस्पेक्टरों में से 2-4 को छोड़कर कर बाकियों का दमफुलता नज़र आ रहा है,थानाक्षेत्रों में अपराध बेतहाशा बढ़ रहा है। यानी पूर्व में प्रतिनियुक्त किये गए जांबाजों का प्रयोग पूरी तरह फेल नज़र आ रहा है। यही उक्त कवायद पटना की सुरक्षा-व्यवस्था को पुख्ता और असरदार बनाने को लिया गया था और परिणाम ये निकला कि अपराधियों की ही लॉटरी निकल पड़ी और राजधानी में अबतक के सबसे बड़े लूट की वारदात को अंजाम दे दिया गया।

खैर, एक ओर जहां 18 जांबाजों और तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को प्रतिनियुक्त पर पटना तत्काल प्रभाव से बुलाया गया। इन जांबाजों में कई चेहरे ऐसे है जो सत्ता और सियासत के बेहद करीबी है। तो वही दूसरी तरफ 11 को पटना से विरमित करते हुए अन्य जिलों और पुलिस शाखा में चलता कर दिया गया है। तर्क वही है प्रशासनिक अनिवार्यता। खैर, देखिये वो लिस्ट … इस लिस्ट में एक नाम मौजूद है जिसे पिछले वर्ष प्रतिनियुक्ति पर पुलिस शाखा से पटना जिला बल में लाया गया था,पर अब … खैर,

अबतक आप ने पिछले साल अगस्त में पटना में अपराध नियत्रंण ख़ातिर लाये गए जांबाजों और तेजतर्रार पुलिसवालों की पुलिसिग का असर बख़ूबी देख लिया है।अब इंतजार करिये इन नवनियुक्त खाकी वालो का जिनके जरिए पटना की सुरक्षा चाकचौबंद करने की कवायद की गई है। लेकिन सवाल ये है कि जब पैरवी- सियासी पहुच और सत्ताधारी हैवीवेटो से रिश्तेदारी ही पटना मे प्रतिनियुक्ति और तेज़तर्रार होने का मापदंड हो तो क्या आम पटनावासी अपनी सुरक्षा को लेकर मुतमइन बना रह सकता है ? सवाल बडा है पर आवश्यक है … सोचिए

जल्द  इनको मिलेगी बतौर थानेदार तैनाती

वही, विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इन 18 नए पुलिस अधिकारियों को जल्द से जल्द ही तैनाती दी जाएगी।

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