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बड़ी खबर – राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर हुए पूर्व सांसद शहाबुद्दीन,आखिर क्यो और कैसे? पढ़े वो पूरा सच..

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पटना Live डेस्क। बिहार की सियासी की गलियारों से लेकर जरायम की अंतहीन अंधेरी गलियों तक एक समान मकबूल और दबदबा कायम कर चुके साहब-ए-सिवान राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है। यह खबर आग के मानिंद मीडिया में फैली। लेकिन इस पूरी कवायद का सच बेहद रहस्यमयी और आपसी समझदारी से लिया गया है। जहाँ तिहाड़ में कैद पूर्व सांसद को कार्यकारणी से बाहर का रास्ता दिख दिया गया वही उनकी जगह पर उनकी शरीके हयात हीना शहाब को शामिल कर लिया गया है।
बिहार के सबसे दमदार और बड़े सियासी धमक वाले परिवार यानी लालू राबड़ी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव के अति -करीबी शहाबुद्दीन वर्त्तमान में  तिहाड़ जेल में बंद हैं।                                    इधर,शहाबुद्दीन को अपनी पार्टी में हमेशा बेहद महत्वपूर्ण ओहदे औ भूमिका से नवाजने वाले लालू यादव भी चारा घोटाले में सज़ायाफ्ता होकर रांची के होटवार जेल में बंद हैं। इस बीच लालू के इशारे पर बुधवार को राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन हुआ। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी के साथ मीसा भारती को जगह मिली। वही राष्ट्रीय कार्यकारिणी से शहाबुद्दीन का नाम गायब था। लेकिन साहब के नाम से मशहूर उनकी बेगम हीना शहाब को राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। लालू यादव ने राबड़ी देवी को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर संकट काल में राजद पर लालू प्रसाद का कब्जा बनाये रखने का मुकम्मल इंतजाम कर लिया।वहीं,अपने सबसे प्रिय नेता को इस टीम से बाहर रखा।
लेकिन अब सवाल यह उठता है अबतक इससे पूर्व लालू यादव ने कभी भी किसी शर्त पर  शहाबुद्दीन के नाम से परहेज नहीं किया। चाहे वह जेल में रहते हुए शहाबुद्दीन की लालू से बातचीत के टेप का मामला हो या फिर विरोधियों द्वारा शहाबुद्दीन को लेकर लालू पर लगातार होने वाला हमला हो। लालू यादव हर मौके पर शहाबुद्दीन के साथ खड़े रहे और लगातार और बारंबार उनका बचाव किया।
राजद में शहाबुद्दीन की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई बार शहाबुद्दीन के कहने पर लालू ने कई राजनीतिक फैसलों को तुरंत ही बदल दिया था। इस बार शहाबुद्दीन को कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है। लेकिन पार्टी से जुड़े और सिवान के साहेब से जुड़े लोगों का स्पष्ट तौर पर मानते हैं कि शहाबुद्दीन के शामिल नहीं करने का कारण है कि वह अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं और भविष्य में उनके बाहर आने की उम्मीद कम है। साथ ही उनकी छवि को लेकर पार्टी के नये नेतृत्व यानी तेजस्वी और राजद के बाकी नेताओं को जवाब देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए धीरे से शहाबुद्दीन को बाहर कर,उनकी पत्नी हीना शहाब को राष्ट्रीय कार्यकारणी में शामिल कर लिया गया है।
वहीं दूसरी ओर पूर्व सांसद के समर्थकों और चाहने वाले का दावा है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन से पहले साहेब (सिवान की अवाम शहाबुद्दीन को इसी नाम से आदर देती है) से बकायदा सलाह-मशविरा किया गया है। इतना ही नहीं, सूत्रों का तो यहाँ तक कहना है कि शहाबुद्दीन की सहमति पर ही उनकी पत्नी को कार्यकारणी में जगह दी गयी है।
साहेब अपनी मर्ज़ी से हुए बाहर
सूत्रों ने बताया है कि शहाब की सहमति से उन्हें पार्टी से बाहर रखा गया है। शहाबुद्दीन ने स्वयं राजद के शीर्ष नेतृत्व को यह सलाह दी थी कि उन्हें पार्टी में जगह नहीं दी जाये। राजद एक रणनीति के तहत यह संदेश देना चाहती है कि उनकी पार्टी अब बदल रही है। सियासी जानकारों की मानें,तो शहाबुद्दीन भी पूरी तरह लालू यादव के फार्मूले पर चल रहे हैं और उन्होंने अपनी पत्नी को राजनीति में आगे कर सियासी वर्चस्व को कायम रखने की दिशा में कदम बढ़ाया है। हीना शहाब शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद शहाबुद्दीन के संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं और लोग उन्हें पसंद भी करते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर शहाबुद्दीन ने पार्टी को यह सलाह दी थी कि उनकी पत्नी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया जाये।

 

 

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