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RJD के घमासान के बीच बोले तेजप्रताप-‘जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है…’

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पटना Live डेस्क। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव विगत एक सप्ताह से बिहार के सियासी गलियारे में सुर्खियों में हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के साथ उनकी ‘तनातनी’ चल रही है। वे लगातार हमलावर बने हुए हैं।

इसके बाद वे तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव पर आरोप लगा रहे हैं। यहां तक कि कल रात तेजप्रताप यादव ने उन पर हत्या की साजिश रचने तक का आरोप लगा दिया। हालांकि, वे तेजस्वी के साथ अर्जुन-कृष्ण के संबंध की दुहाई दी। लेकिन आज अचानक तेजप्रताप यादव ने राष्ट्रीय कवि रामधारी प्रसाद सिंह दिनकर की कविताओं को उदधृत करते हुए अपनी पीड़ा बयां की। उन्होंने रश्मिरथी से कविता के एक हिस्से को अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया।

तेजप्रताप यादव ने इसी कविता को किया है सोशल एकाउंट पर पोस्ट:

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

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