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BiG Breaking-NMCH के अधीक्षक ने खोली सुशासन की Corona से लड़ाई के दावों की पोल-ऑक्सीजन तक .. पढ़िए खौफनाक सच

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पटना Live डेस्क। देश भर में जिस स्पीड कोरोना पैर पसार रहा है,उसे देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के तो हाथ-पैर फूल ही रहे हैं। देश भर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं भी जवाब देती दिख रही हैं। कोरोना का प्रकोप देश में तो बर्बादी का मंजर दिखा ही रहा है, साथ ही साथ तमाम राज्यो में भी स्थिति हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती दिख रही है।

ऐसा ही कुछ हाल बिहार का भी है। लेकिन हालात के मद्दे नज़र सूबे की सुशासन सरकार लगातार बड़े बड़े दावे कर रही है। लेकिन जमीनी हक़ीक़त कितनी स्याह है इसका खुलासा सूबे के सबसे बडे डेडिकेटेड Covid सेंटर यानी राजधानी स्थित NMCH (नालन्दा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल) के अधीक्षक ने खोल कर रख दिया हैं। ये महज एक लैटर है। पहले आप इस लैटर का हर शब्द पढ़िए फिर आपको बताते है आख़िर क्या है पूरा माजरा

ये महज एक लैटर नही हैं। यह वो भयावह हालात का तफसरा है जिससे ख़ौफ़ज़दा को NMCH के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार लगभग घिघियाते हुए खुद को ‘पद’ से हटाने की गुहार लगा रहे है।कोरोना संकट के बीच एनएमसीएच के अधीक्षक ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से कार्यमुक्त करने की गुहार लगाई है। इस संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है।

प्रत्यय अमृत को लिखा पत्र

अपनी गुहार में शिशु रोग विभागाध्यक्ष व प्रभारी अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह लिखते हैबल्कि यूँ कहे कि सुशासन की कोविड के खिलाफ जारी अभियान के की किरचें किरचें उघाड़ देते है… मुझे नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक के कार्यभार से मुक्त किया जाए। सारा ठीकरा मुझ पर ही फोड़े ने की तैयारी है और बिना वजह मुझपर आरोप गठित कर कार्यवाही की जाएगी। इसलिए समय रहते मुझे अधीक्षक नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया जाए।

दरअसल एनएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह को एनएमसीएच के अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 21 जुलाई 2020 को अधीक्षक का अतिरिक्त प्रभार दिया था।

उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ दिनों से प्रशासन द्वारा NMCH में ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता के भंडार पर नियंत्रण कर ऑक्सीजन सिलेंडर एनएमसीएच की बजाय दूसरे अस्पतालों को भेजा जा रहा। इस कारण इस संस्थान में ऑक्सीजन की काफी कमी हो गई है। मेरे अथक प्रयास के बाद भी ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा आ रही है, जिससे दर्जनों भर्ती मरीजों की जान खतरे में बनी है।

उन्होंने कहा, “अस्पताल में कई मरीज और बच्चे भर्ती हैं।अगर किसी को कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी फिर अधीक्षक पर आएगी। इस संबंध में लगातार मंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग से संबंधित लोगों तक इसकी जानकारी दी गई लेकिन व्यवस्था में दो-तीन दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ। अगर समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया जाता है तो मरीज दम तोड़ सकते हैं।”

मैं सशंकित हूं कि ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मृत्यु के बाद इसकी सारी जवाबदेही हम पर थोप दी जाएगी और आरोप गठित कर कार्यवाही की जाएगी। इसलिए समय रहते मुझे अधीक्षक के कार्यभार से मुक्त कर दिया जाए।

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