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विधानपरिषद सदस्यता मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए सहमत,बढ़ सकती हैं नीतीश कुमार की मुश्किलें

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पटना Live डेस्क. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ विधानपरिषद की सदस्यता रद्द करने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. इस याचिका में सीएम नीतीश कुमार पर कथित तौर पर लंबित आपराधिक मामला छिपाने का आरोप लगाया गया है. याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा ने इस मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह सुप्रीम कोर्ट से किया है. हालांक न्यायमूर्ति दीपक मिश्र,न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय और न्यायमूर्त ए एम खानविलकर की पीठ कहा कि वो इस मामले को देखेगी कि कब उसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है.

दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार के खिलाफ आपराधिक मामला है और वो साल 1991 में कांग्रेसी नेता सीताराम सिंह हत्या और आर्म्स एक्ट मामले में आरोपी हैं. याचिकाकर्ता ने न्यायालय से सीबीआई को इस मामले में कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है. उन्होंने कहा, प्रतिवादी संख्या दो यानि चुनाव आयोग ने कुमार के खिलाफ आपराधिक मामले की जानकारी होने के बावजूद उनकी सदन की सदस्यता रद्द नहीं की और प्रतिवादी आज तक संवैधानिक पद पर बने हुए हैं. अधिवक्ता ने चुनाव आयोग के वर्ष 2002 के आदेश के अनुसार कुमार की सदस्यता रद्द करने की मांग की है, जिसके अनुसार उम्मीदवारों को नामांकन पत्र के साथ हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का ब्योरा भी देना पड़ता है. उन्होंने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2012 को छोड़कर वर्ष 2004 के बाद कभी भी अपने खिलाफ लंबित मामले की जानकारी नहीं दी.

 

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