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Super Exclusive – एक आईपीएस ने बतौर एसपी पहली पोस्टिंग में ही बना लिया अपने रीडर की बेटी को हवस का शिकार

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पटना Live डेस्क।बिहार के एक आईपीएस पर बेहद गंभीर आरोप लगे है। मामला पुलिस मुख्यालय तक पहुच चुका है। मामले की जांच में घटना को सत्य पाया गया है। बकायदा इसबात की तस्दीक भी हो चुकी है। आईपीएस ने जिले में अपनी पदस्थापना के दौरान इस कुकृत्य को न केवल अंजाम दिया है बल्कि लगातार इस सच को अपने रुतबे और रुआब के सहारे दबाये रखने का पुरजोर प्रयास भी किया है और लगातार कर भी रहे है। लेकिन आखिर कार उस अबला के सब्र का बांध टूट गया और वो अपने बच्चे के हक़ खातिर मुखर हो गई है। मामले में इंसाफ की गुहार लगाने बिहार पुलिस के मुखिया से संपर्क करते हुए पुलिस मुख्यालय पहुच गई। युवती का सच और साथ मे बच्चे को देख मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले को  तात्कालिक आईजी कमजोर वर्ग के सुपुर्द करते हुए जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।

अपनी बेहद ईमानदार छवि,कड़क स्वभाव और नो नॉनसेंस जीरो टॉलरेंस खातिर विख्यात तात्कालिक आईजी विकर सेक्शन ने मामले का सच जानने खातिर जब पीड़िता से बात कर पूरे मामले को सुना तो उन्हें भी मामले की गम्भीरता और एक आईपीएस के कुकृत्य का अंदाज़ा हो गया। लेकिन मामले कि तहत पहुचने और सुबूत इकट्ठा करने की प्रक्रिया भी जरूरी थी। ताकि यह महज एक आरोप भर न हो और एक आईपीएस की प्रतिष्ठा का हनन न हो जाये।
मिली जानकारी के अनुसार इस घटना का जिम्मेदार आईपीएस 2006 बैच का बिहार कैडर का आईपीएस है। पढ़ाई लिखाई में बेहद तेज इस आईपीएस ने बीएससी की पढ़ाई करने के बाद वर्ष 2006 में देश की बेहद प्रतिष्ठित यूपीएससी की परीक्षा पास की और बतौर आईपीएस कामयाबी पाई फिर सरदार वल्लभ भाई पटेल पुलिस अकादमी हैदराबाद में 59 RR बैच में ट्रेनिग प्राप्त किया फिर अपने गृह राज्य यानी बिहार कैडर में ही योगदान किया।

पहली पोस्टिंग एसपी नौगछिया के तौर पर

बातौर प्रशिक्षु आईपीएस एएसपी हिलसा जिला नालंदा में पोस्टिंग हुई। यही से आईपीएस महोदय को पहली पोस्टिंग वर्ष 2009 जून महीने में बातौर एसपी नौगछिया में हुई। पहली बार इन्हें तात्कालिक एसपी रहे गोपाल प्रसाद का नौगछिया से तबादला शेखपुरा करते हुए इन्हें प्रमोट करते हुए एसपी नौगछिया बनाया गया। यही पर अपनी पहली की पोस्टिंग के दौरान आईपीएस ने एसपी दफ्तर में तैनात रीडर की बेटी को यूपीएससी की तैयारी के नाम पर पढ़ाने और गाइड करने का उपक्रम किया। जनाब ने पढ़ाने के दौरान ही बेहद घिनौनी और शर्मनाक हरकत और वो करतुत कर दी जिसे दुनिया की नज़रों में अवैध संबंध कहा जाता है।

अब तक के सफर में आईपीएस महोदय

वर्ष 2016 में इस आईपीएस ने सारण के 5वें पुलिस अधीक्षक के रूप में योगदान किया था। इस 2006 बैच के आईपीएस अधिकारी ने नालन्दा में हिलसा एएसपी के तौर पर सूबे में अपने कैरियर का आगाज करते हुए सूबे में पुलिस प्रशासन के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया हैं।इनकी पहली पोस्टिंग बातौर एसपी नवगछिया हुई है। फिर वक्त के साथ ही इन्होंने सूबे के विभिन्न पुलिस जिलों जैसे सुपौल,नवादा और किशनगंज जैसे जिलों में बातौर एसपी के रूप में योगदान भी दिया।

विवाद से है चोली दामन का साथ

इन आईपीएस महोदय का विवादों से चोली दामन का साथ रह है। हाल ही में ये ज़नाब राजधानी पटना में सीएम नीतीश कुमार के सेमिनार के दौरान एक अजीबो -गरीब मामले में शामिल थे। हुआ यूं कि नीतीश और डीजीपी एक सेमिनार में अफसरों को संबोधित कर रहे थे,वहीं ये आईपीएस महोदय बैठ कर मोबाइल पर गेम कैंडी-क्रश खेल रहे थे।


वही सारण एसपी के तौर पर इनपर बेहद गंभीर आरोप लगे थे। हुआ ये था कि जिले में ट्रक चालकों से लगातार मिले 20 रुपयों के बिलकुल नये करारे नोट ने बालू माफिया से सांठ-गांठ रखने के आरोप में छपरा के एसपी को फांस दिया था। छपरा के डीएम ने तब मामला गंभीर बताया था। साथ ही बड़ी जांच की जरुरत बताई थी। इस गड़बड़ी के खुलासे के बाद छपरा एसपी उस दौरान मीडिया कर्मियों फोन तक रिसीव नहीं कर रहे थे।

DM को मिले बालू लोड ट्रक

पूरे मामले का खुलासा मीडिया में हुआ था। बताते चलें, जिले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल ने बालू उत्‍खनन पर रोक लगा रखा है। फिर भी सोन नदी से लगातार बालू के अवैध कारोबार की खबर छपरा के तात्कालिक डीएम दीपक आनंद को मिल रही थी। एक रात वे स्‍वयं इस मामले की जांच करने टीम के साथ निकले। डोरीगंज थाने की सीमा में डीएम ने रात 10.30 बजे से सुबह 4 बजे तक आ-जा रहे सभी ट्रकों की जांच की। इन सभी ट्रकों में बालू लोड था।

20 रुपये का नोट कर रहा था रोड परमिट का काम

डीएम साहब तब दंग रह गए थे, जब अवैध ढंग से बालू ले जा रहा प्रत्‍येक ट्रक ड्राइवर उनके साथ जांच कर रही टीम को 20 रुपये का बिलकुल नये नोट दिखाता जा रहा था।सभी ट्रक ड्राइवरों के पास ये नोट खास मार्का के साथ लैमिनेट किये हुए थे। ट्रक ड्राइवरों ने बताया था कि ये नोट उनके लिए रोड परमिट की तरह है। इस 20 रुपये का नोट देखकर ही पुलिस उन्‍हें बेरोकटोक आने-जाने देती है। इस नोट पर जो मार्का लगा होता है,वह पुलिस के अधिकारी ही देते हैं।

मार्का वाले 20 रुपया दिखाओ और जाओ

इस तरह बालू माफिया से छपरा पुलिस की मिलीभगत को जान डीएम ने तफ्तीश करते हुए सच का पता लगाया था।उस वक्त ट्रक चालकों ने खुलासा किया कि मार्का वाले 20 रुपयों का नोट देने के बदले जो रिश्‍वत पुलिस लेती है, बताया गया था कि उसका शेयर तात्कालिक एसपी साहब तक पहुंचता था। हर महीने पुलिस 20 रुपयों के नोट की नई सीरीज देती है, जो सिर्फ महीने भर मान्‍य रहता है। डीएम ने कहा था कि मीडिया से कहा-आगे की जांच बड़ी है और वह जरुर होगी। तब डीएम की इस कार्रवाई के बाद पक्ष रखने को भी एसपी किसी से मिल नहीं रहे थे।

रोजाना 1400 बालू लदे ट्रक गुजरते हैं हैं छपरा से

मिली जानकारी के अनुसार एक मोटा अनुमान लगाया गया था कि रोजाना तकरीबन 1400 बालू लदे ट्रकों की आवाजाही छपरा से हो रही थी। तब आरोप लगा था कि प्रत्‍येक ट्रक से 6000 रुपयों का नजराना वसूला जाता। पुलिसिया मदद के बूते बालू माफिया का मन इतना बढ़ा हुआ था कि उस रात जब डीएम जांच कर रहे थे, तभी बालू ले जा रहे एक ट्रक ने जांच से बच तेज भागने के लिए छपरा डीटीओ की गाड़ी को टक्‍कर मार दी थी। उस घटना में डीटीओ और उनके बाडीगार्ड मामूली चोट खाकर बच गए थे।

डीईजी साहब क्या बोले ?

इस बड़े खुलासे के बाबत जिसमे बालू माफ़िया और पुलिसिया गठजोड़ का खुलासा हुआ था तब छपरा के डीआईजी अजीत कुमार राय ने कहा था कि अवैध बालू उत्‍खनन और व्‍यापार को रोकने को उन्‍होंने पहले ही डीएम-एसपी को चार पत्र लिखे थे।अब डीएम की जांच के बाद जब आरोपों के घेरे में स्‍वयं एसपी आ गये हैं, तो इसकी गहन जांच की जाएगी चुकी यह मामला बड़ा है।

क्रमशः – जारी रहेगा कल तक …दिखाएंगे वो चेहरा 

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