पटना Live डेस्क। जम्मू-कश्मीर में 3 दिन में दूसरा आतंकी हमला हुआ है। दोनों बार आतंकियों ने फोर्स के ठिकाने को निशाना बनाया। सोमवार को आतंकियों ने श्रीनगर के करन नगर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया। फोर्स ने इसे नाकाम कर दिया। आतंकियों ने AK-47 राइफल समेत कई हथियारों के साथ सीआरपीएफ कैंप में घुसने की कोशिश की। गोलीबारी में एक जवान शहीद हो गया। आतंकी कैंप के बाहर एक खाली बिल्डिंग से गोलीबारी कर रहे हैं। वहीं, जम्मू के सुंजवान आर्मी कैंप में बीते 54 घंटे से ऑपरेशन जारी है। शनिवार तड़के आर्मी कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था। इसमें 5 जवान शहीद हो गए और एक सिविलियन की मौत हो गई। रविवार को आर्मी कैंप में टैंक भी भेजे गए थे।
जम्मू कश्मीर में CRPF कैप पर आतंकी हमले का मुंह तोड़ जवाब देते हुए बिहार के माटी का लाल शहीद हो गया है। शहादत देने वाले बेटे का नाम मोजाहिद खान है। मूल रूप से बिहार के पीरो थाना क्षेत्र के पीरो गांव के बड़ी मस्जिद के निकट के रहने वाले थे। इसी गांव की गलियों की माटी में खेल कर बड़े हुए शहीद मोजाहिद शुरू से बेहद निडर और बहादुर थे। मोजाहिद खान वर्ष 2011 से 49वीं बटालियन CRPF में बतौर जवान श्रीनगर के करन नगर स्थित सीआरपीएफ कैंप तैनात थे और लंबे समय से देश के दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। उनकी शहादत की खबर से परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह करन नगर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला करने में नाकाम आतंकी एक मकान में घुस गए। इसके बाद सीआरपीएफ के जवानों ने इलाके की घेराबंदी की।इस दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए CRPF 49वीं बटालियन के जवान मो. मुजाहीद खान शहीद हो गए। मूल रूप से भोजपुर के पीरो गांव निवासी राजमिस्त्री रहे अब्दुल खैर खां के पुत्र मुजाहीद सितम्बर 2011 में सीआरपीएफ की 49वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। केरल के पलीपुरम में उनकी ट्रेनिंग हुई, जिसके बाद उनकी पोस्टिंग हैदराबाद में हुई। छह माह पहले उनकी बटालियन श्रीनगर गई थी।25वर्षीय मुजाहीद बचपन से ही देशभक्ति की भावना से लवरेज थे।
वही परिवार को अपने बेटे पर गर्व है जो मादरे वतन पर शहादत देने से भी नही हिचका। बुजुर्ग पिता अपनी आँखों पर चश्मा लगाये हर आने जाने वाले को देख रहे है। घर में मां हसीना खातून व भाभी का रो रोकर बुरा हाल है।उनकी शहादत की खबर मिलते ही घर पर लोगों का तांता लगा हुआ है।मुजाहिद की शहादत की खबर मिलने के बाद से शहीद के दरवाजे पर परिजनों और परिवार से जुड़े शुभचिंतकों के आना जाना जारी है। लेकिन बूढ़े पिता गमजदा है पर गर्व की अनुभूति में एक बूंद आंसू उनकी आखों से नही टपके है। जवान बेटे की शहादत से फक्र से सीना चौड़ा है।
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