बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

BiG Breaking-दिवंगत Shahabuddin को पाया गया Corona निगेटिव,परिजनों ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा आखिर क्यों? जानिए

मरहूम शहाबुद्दीन को दिल्ली में सुपुर्द-ए-खाक़ करने की तमाम तैयारियां को अचानक बेटे ओसामा ने उस वक्त रुकवाया जब पूर्व सांसद की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव होने की मिली जानकारी, अब साहेब के पार्थिव शरीर को उनके गाँव लाने ख़ातिर कोर्ट से लगाई गुहार, सोमवार फर्स्ट आवर में कोर्ट करेगा फैसला

666

पटना Live डेस्क। पूर्व सांसद सिवान मोहम्मद शहाबुद्दीन के फ़ौत होने बाद से जारी उपापोह के हालात बन गए है। इसी बिच परिजन जब पूर्व सांसद के शव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत दिल्ली में ही उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों में लगे थे अचानक पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव पाए जाने की जानकारी मिलो यानि उन्हें कोरोना नहीं था। जाँच रिपोर्ट की जानकारी मिलते ही दिल्ली में सुपुर्द-ए-खाक की तैयारियों को रोकते हुए साहेब के साहबज़ादे ओसामा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया। दरअसल, इससे पहले कोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम क्रिया कर्म दिल्ली में ही करने के निर्देश दिया था।

                   सनद रहे कि मरहूम शहाबुद्दीन को दिल्ली में सुपुर्द-ए-खाक़ करने की तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई थी। तभी अचानक बेटे ओसामा ने उस वक्त तैयारियों को रुकवाया जब पूर्व सांसद की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव होने की जानकारी मिली। अब साहेब के पार्थिव शरीर को उनके गाँव लाने ख़ातिर कोर्ट से लगाई गुहार, सोमवार फर्स्ट आवर में कोर्ट करेगा फैसला।

                   सनद रहे कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का 1 मई की सुबह निधन हो गया। शहाबुद्दीन कोरोना वायरस से संक्रमित थे। शहाबुद्दीन का निधन दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में हुआ। हालांकि,इससे पहले वो तिहाड़ जेल के हाईरिस्क वॉर्ड में भर्ती थे।उनके वकीलों व निजी सचिव ने कोर्ट को बताया था कि शहाबुद्दीन के साथ सेल में बंद एक शख्स को कोरोना संक्रमण हुआ था। शहाबुद्दीन 19 अप्रैल को संक्रामित पाए गए थे और 20 अप्रैल को इलाज के लिए उन्हें DDU अस्पताल शिफ्ट किया गया था।

28 अप्रैल को शहाबुद्दीन के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट में रिट पेटिशन दायर कर उनकी जिंदगी बचाने, उनके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग और उन्हें एक मोबाइल फोन दिए जाने के निर्देश के लिए अपील की थी। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि साथी कैदी के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भी शहाबुद्दीन को उसके साथ रखा गया। वकीलों ने कहा, “इस बीमारी की मृत्यु दर जानते हुए भी जेल प्रशासन ने याचिकाकर्ता के लिए कोई अलग इंतजाम नहीं किया और बार-बार निवेदन के बाद भी उन्हें कोविड मरीज के साथ सेल शेयर करना पड़ा।इस तरह जेल प्रशासन ने उनकी जिंदगी खतरे में डाली।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि शहाबुद्दीन को ‘लगातार डॉक्टर की निगरानी में रखा जाए ताकि उनकी जिंदगी खतरे में न हो। 53 साल के शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में 2004 के एक डबल मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

Comments are closed.