पटना Live डेस्क। राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर हाल में ही राज्यसभा पहुचे कटिहार मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन अशफ़ाक़ करीम एक बार फिर विवादों में आ गए है। दरअसल राज्यसभा सांसद के मेडिकल कालेज द्वारा सेशन 2018-19 एडमिशन खातिर जो प्रपत्र दिया जा रहा है उसपर मुल्क के नक़्शे के साथ छेड़ छाड़ करते हुए छापा गया है। इस के वायरल होने के बाद से कटिहार में जहाँ सियासी पारा गरम हो रहा है वही इसको लेकर राजद को घेरने खातिर भाजपा नीत गठबंधन के सियासी दलों ने कमर कसली है। वही अब इस प्रपत्र को लेकर सियासी बवाल होने की बनती दिखाई दे रही है।
कौन है अशफ़ाक़ करीम
राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्य अहमद अशफाक करीम तीन अप्रैल को आरजेडी के टिकट पर बिहार से राज्यसभा सदस्य के रूप मनोनीत किये गये थे। जन्म 12 मार्च 1956 को वैशाली जिला के बलिगांव थाना, पातेपुर ब्लॉक के तेनरआ गांव में हुआ था। हाजी अहमद करीम रहमानी के पुत्र असफाक करीम बी.फार्मा और डॉक्टरेट के डिग्री के बाद से ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार के लिए कुछ चाहते थे।
इस की शुरुआत उन्होंने अक्टूबर 1987 में पटना में मेडिकल कॉलेज के स्थापना से शुरू की, 8 मार्च 1988 में ही पटना में इसकी विधिवत क्लास भी शुरू की।फिर तय सोच के अनुसार जमीन अधिग्रहण के बाद 21अप्रैल 1991 को कटिहार में कटिहार मेडिकल कॉलेज की स्थापना की। शिक्षा के साथ-साथ राजनीति में भी करीम ने हाथ आजमाया।सियासी सफरनामा
पहली बार उन्हें कांग्रेस ने दरभंगा के क्यूटी विधानसभा से उम्मीदवार भी बनाया। वहीं दूसरी बार कांग्रेस ने ही उन्हें कटिहार के बलरामपुर विधानसभा से मौका दिया। फिर करीम ने कांग्रेस का दामन छोड़ रामविलास पासवान के साथ हो गए।
पासवान से इनकी नजदीकी के कारण इन्हें लोजपा की तरफ से 2009 में कटिहार से सांसद उमीदवार के रूप में भी मौका मिला। लेकिन, सक्रिय राजनीति में वो जनादेश के आधार पर कभी जीत नहीं पाए। हालांकि, फिर भी शांत स्वभाव और प्रभावशाली व्यक्तित्व के सहारे ‘कोशी बेदारी मोर्चा’ के बैनर तले करीम हमेशा बाढ़-कटाव विस्थापितों के साथ बेबाकी से अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं।
करीम दावा करते है कि कटिहार मेडिकल कॉलेज को कोसी का एम्स कहा जाता है, जहां बिहार ही नहीं बल्कि बंगाल और नेपाल तक के लोग आते हैं। वैसे वे ‘ऑल करीम ट्रस्ट’ द्वारा संचालित विश्वविद्यालय खोलने की योजना भी बना रहे हैं, जहां कई तकनीकी विषय की पढ़ाई होगी
दाम पर लगा दाग
कटिहार मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चेयरमैन सह निदेशक अहमद अशफाक करीम पहली बार तब मीडिया की सुर्खियों में आये थे जब 15-16 जून 2013 की दरमियानी पटना के शास्त्रीनगर स्थित उनके घर से छापेमारी के दौरान पुलिस ने दो युवतियों समेत नौ लोगों को हिरासत में लिया है। वे लाखों रुपये लेकर प्रश्नपत्र खरीदने आए थे। उनके घर से सैकड़ों छात्रों के अंकपत्र,उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल,मेडिकल के प्रश्नपत्र, ढाई करोड़ रुपये और लाइसेंसी हथियार जब्त किए गए हैं।
वही अशफाक करीम को एसएसपी मनु महाराज द्वारा रुपयों के गद्दे पर रात को सोते पहर पकड़े गए थे। ढाई करोड़ से अधिक रुपयों की नकद उनके बिस्तर के नीचे से जब्त किया गया था। तब करीम ने मनु महाराज के सामने अपनी सियासी पहुच और रुतबे रुआब का बहुत ताव दिखाया था,लेकिन बच नहीं सके थे। उन पर कटिहार मेडिकल कालेज में दाखिले की सीट को बेचने और परीक्षा पेपर आउट करने का गंभीर आरोप लगा था।
पुलिस को उनके कब्जे से करीम द्वारा स्वलिखित हिसाब की डायरी मिली थी। दरसअल उस वक्त पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज को गुप्त सूचना मिली थी कि अशफाक के शास्त्रीनगर थानांतर्गत आशियाना-दीघा रोड स्थित आवास पर रविवार को जेडी वीमेंस कॉलेज में होने वाली मेडिकल परीक्षा के प्रश्नपत्र की बिक्री हो रही है। छापा मारा गया तो मौके से अशफाक को गया से आई दो लड़कियों से प्रश्नपत्र के एवज में लाखों रुपयों की वसूली करते मिले। उन लड़कियों के साथ तीन अभिभावकों को भी हिरासत में लिया गया था।
इस मामले में तकरीबन 11 महीने जेल में रहने के बाद कोर्ट ने उन्हें निर्दोष साबित किया और वो रिहा हुए थे।
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