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Super Exclusive – 45 दिन बाद अब भी जमे है थानेदार,आखिर क्यों? रीडर कैडर को फिल्ड में न भेजने की पुलिस मुख्यालय की पहल राजधानी में ही बेअसर

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पटना Live डेस्क। सितंबर महीने की शुरुआत में बिहार पुलिस मुख्यालय ने नई पहल के तहत नए फरमान जारी करते हुए रीडर कैडर को पुलिस के जेनेरल कैडर से अलग कर दिया है। साथ ही इस नई शुरुआत के तहत स्पष्ट कर दिया गया है कि रीडर कैडर के पुलिस अधिकारी अब फिल्ड में नहीं जाएंगे। यह फरमान बड़ी प्रमुखता के साथ समाचार माध्यमो से पब्लिक डोमेन में आया और खासा चर्चित हुआ। लेकिन सूबे के अन्य जिलो कि क्या बात की जाय जब राजधानी पटना में ही इस पहल का असर नही दीख रहा है। इस पहल को शुरू हुए 45 दिन बीत गए है पर इस बाबत अबतक कोई विशेष कार्रवाई नही हुई है।और रीडर कैडर के खाकी वाले अबतक थानेदारी तक की जिम्मेदारी पूरे शानो-शौकत और जबरिया अकड़ के साथ निभा रहे है।


पुलिस मुख्यालय के फरमान में यह स्पष्ट किया गया है कि रीडर कैडर से आनेवाले पुलिस अफसर अब फील्ड में तैनात नहीं होंगे। चाहे डीएसपी में ही प्रोन्नति क्यों न मिल जाए। स्टेनो कैडर को अब पूरी तरह पुलिस के जेनरल कैडर से अलग कर दिया गया है। दारोगा और इंस्पेक्टर के पद पर भी उन्हें फील्ड में काम करने का मौका नहीं मिलेगा।

पुलिस मुख्यालय की पहल

पुलिस मुख्यालय के मुताबिक रीडर कैडर में बहाल होने वाले पुलिस अधिकारी डीएसपी बनने पर भी फील्ड में नहीं तैनात होंगे। यानी एसडीपीओ आदि पदों पर उन्हें तैनात नहीं किया जाएगा।


साथ ही यह भी स्पष्ट है कि रीडर कैडर के खाकीवाले इसके अलावा उन पदों पर नियुक्त नहीं होंगे जिन्हें पर्यवेक्षण और अनुसंधान की जिम्मेदारी होती है। इनकी तैनाती वरीय पुलिस अफसरों के कार्यालय में बतौर स्टेनो डीएसपी होगी। ये कार्यालय के कामकाज को देखेंगे। पर्यवेक्षण या अनुसंधान से संबंधित काम इन्हें नहीं सौंपा जाएगा।

स्टेनो एएसआई में होती है बहाली

रीडर कैडर के तहत बहाली स्टेनो एएसआई के पद पर होती है। इसके बाद स्टेनो एसआई और फिर स्टेनो इंस्पेक्टर होते हैं। पहले स्टेनो एसआई या इंस्पेक्टर के साथ डीएसपी बनने पर भी इन्हें पुलिस के जेनरल कैडर के समान काम करने का मौका मिलता था। पर नई व्यवस्था में ऐसा नहीं होगा। दारोगा और इंस्पेक्टर में भी ये कार्यालय के काम को ही देखेंगे। रीडर कैडर में स्टेनो एएसआई के 156 स्वीकृत हैं। सभी पद रिक्त हैं। वहीं स्टेनो एसआई के 115 स्वीकृत पदों के मुकाबले मात्र 85 कार्यरत हैं।

 

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