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BiG News-सरकारी कर्मियों की काली कमाई धरवाईये ईनाम पाइए

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पटना Live डेस्क। अगर आप एक जागरूक नागरिक है। सरकार की मदद करना चाहते है। घूसखोर और काली कमाई करने वाले भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों को पसंद नही करते है। तो यकीन मानिए सरकार का यह बदलाव आपके लिए ही है। दरअसल,विजिलेंस में भी अब पुलिस के तर्ज पर ली जायेगी मुखबिर की सेवा। बस आपको अपने आँख कान नाक खुले रखने होंगे।

किस अधिकारी ने नयी कार या प्रॉपर्टी खरीदी है।कहां निवेश किया है।अफसर-कर्मचारियों की अवैध कमाई-आचरण की जानकारी जुटाने के लिए निगरानी विभाग भी पुलिस के तर्ज पर मुखबिर रख सकेगा।

सूचना सही पाये जाने पर एक हजार से 50 हजार तक प्राेत्साहन राशि दी जायेगी। यदि दोष सिद्ध नहीं होता है, तो भी इसे वापस नहीं लिया जायेगा।कोर्ट में दोष सिद्ध होने पर संपत्ति जब्ती आदि से सरकार को जो आय होगी, मुखबिरी करने वालों को उसका दो फीसदी अलग से दिया जायेगा। हालांकि, इसकी अधिकतम राशि पांच लाख निर्धारित कर दी गयी है।

राज्य सरकार ने भ्रष्ट अफसरों पर नकेल कसने के लिए कई नये नियम बनाये हैं। इससे काली कमाई करने वालों की सूचना देने वालों को 50 हजार रुपये तक का इनाम मिलेगा। गुप्त सेवा कोष की मदद से निगरानी अपने मुखबिरों का पूरा तंत्र विकसित करेगी। गवाहों को भी अब ट्रेन-बस का पूरा भाड़ा मिलेगा। इसके अलावा दो सौ रुपये प्रतिदिन अलग से मिलेंगे।

एडीजी विजिलेंस 25 हजार रुपये तक का पुरस्कार दे सकेंगे। इससे ऊपर एवं 50 हजार रुपये तक के पुरस्कार का भुगतान एडीजी के प्रस्ताव पर प्रधान सचिव की सहमति से होगा।घूसखोरों को पकड़वाने वाले को ट्रैप की राशि वापस करने के साथ- साथ पुरस्कार के रूप में कम से कम एक हजार और अधिकतम एक लाख रुपये दिये जा सकते हैं।

इसलिए पड़ी नये नियमों की जरूरत :

भ्रष्टाचार में पकड़े गये लोक सेवकों में कई कोर्ट से बरी हो गये थे। निगरानी विभाग ने इसके कारणों की जांच की, तो चौंकाने वाली बात सामने आयी। निगरानी ने पाया कि भ्रष्टाचारी शिकायत करने वाले व्यक्ति को लालच देते हैं। अपने पक्ष में उससे शपथपत्र आदि दिलाकर मामले को रफा -दफा करने का प्रयास करते हैं। इससे केस जटिल हो जाता है और सरकार कारगर कार्रवाई नहीं कर पाती है।

अब तक 3850 मामले दर्ज :

विजिलेंस विभाग ने वर्ष 2006 से अब तक भ्रष्टाचार से जुड़े करीब 3850 मामले दर्ज किये हैं।अब तक घूसखोरी के 904 मामले सामने आये हैं। 23 जनवरी, 2020 के बाद से घूसखोरी का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। भ्रष्टाचार में दोषी पाने वालों में सरकार करीब 90 पर विभागीय कार्रवाई, 29 का निलंबन, 18 को बर्खास्त व सात लोगों की पूरी पेंशन जब्त कर चुकी है।10 से अधिक को अन्य दंड दिया जा चुका है।

घूसखोरी में पकड़े गये

ट्रैप मामलों में पकड़े गये अधिकारियों में सिविल सर्जन, कार्यकारी अभियंता, बीडीओ, बीइइओ, बीएओ और विभिन्न फील्ड स्टाफ शामिल हैं।।कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रधानाध्यापक,पुलिस अधिकारी,उपनिदेशक मत्स्य,सहायक श्रम आयुक्त,जेल अधीक्षक,ग्रामीण बैंकों के प्रबंधक, डीसीओ,जिला उपपंजीयक, जिला टीबी अधिकारी, डीएसओ व गोदाम मैनेजर भी सतर्कता विभाग के जाल में आ गये हैं।

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