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BiG News (वीडियो)अपहरण का ककहरा सीख ने ख़ातिर मनीष को था उठाया,SP विनय तिवारी और टीम ने लिया दबोच, पढ़े पूरी साज़िश क्या था प्लान

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  • लाल रंग के स्विफ्ट डिजायर कार से पाटलीपुत्रा थाना क्षेत्र से किया था अपहरण
  • निजी कंपनी से किया था स्विफ्ट को हायर 
  • एसएसपी उपेन्द्र शर्मा द्वारा गठित पुलिस टीम ने महज चार दिनों के अंदर पा लिया कामयाबी
  • सिटी एसपी विनय तिवारी में DIU की टीम को मिली सफलता

पटना Live डेस्क।राजधानी में आईआईटी JEE (Main) की परीक्षा देने बक्सर जिले के चौसा के तीसरी बार पैक्स अध्यक्ष बने मनोज सिंह के 19 वर्षीय पुत्र मनीष रंजन के अपहरण कांड में शामिल सभी अपराधियों को पटना पुलिस ने महज 4 दिनों के अंदर धर दबोचा है। पटना के पाटलिपुत्र थाना अंतगर्त दिनदहाड़े लाल स्विफ्ट कार पर सवार 8 अपराधियों ने अंजाम दिया था। इसमें अंतरजिला गिरोह के अपराधी भी शामिल थे।पुलिस ने उक्त स्विफ्ट डिजायर कार को भी बरामद कर लिया हैं।

गिरफ़्तार सभी आठो अपहरणकर्ता छात्र है। इन्होंने फर्स्ट टाइम अपहरण करने का प्लान बनाया था ताकि मिली सफलता से बड़े बड़े अपहरण कांड को अंजाम देकर मोटी कमाई कर सके। लेकिन पहले प्रयास में दबोच लिए गए।

दरअसल, बक्सर में रहकर पढ़ाई करने वाला छात्र मनीष रंजन का पाटलीपुत्रा थाना क्षेत्र से बीते 9 जनवरी के अपहरण कर लिया गया था। हुई इस लोमहर्षक घटना से पुराजधानी की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे। अपहरण कांड को एक चुनौती के तौर पर लेटे हुए एसएसपी उपेन्द्र शर्मा ने चुनौती के रूप लिया। अगवा छात्र की सकुशल बरामदगी और आपराधियों की गिरफ्तार करने ख़ातिर सीटी एसपी विनय तिवारी ,एएसपी कोतवाली सहित कई थाने के तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारियों और डीआईयू (DIU) के ख़ाकीवालो को शामिल कर एक पुलिस टीम गठित किया। तकनीकी सेल की निगाहें शहर में लगे सभी सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुट गयी। सेंट्रल रेंज के आईजी संजय सिंह पुरी कार्रवाई की समीक्षा प्रति दो घंटे पर कर रहे थे।

बिल्कुल ब्लाइंड केस था अपहरण का

शुरुआत में पाटलिपुत्र थाना ने इसे गुमशुदगी का मामला माना पर ज्यो ज्यो जांच आगे बढ़ी और अपहरण की घटना में तब्दील हो गई। चुकी मनीष का अपहरण करने वाला गिरोह बिल्कुल नही था। जिसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नही थी। ये गिरोह पटना के छात्रों ने मिलकर जल्द से जल्द बोल्ड एंड ब्यूटफुल लाइफ ख़ातिर बनाया था। सिनेमा और अन्य माध्यम से सीख कर प्लानिंग की थी। अपहरण के जरिये अकूत सम्पती कमाने की योजना थी।

अपहरण-फिरौती का ककहरा था सीखना

सभी ने मिलकर तय किया कि पहली बार मे राजधानी पटना से किसी का भी अपहरण कर लेना है। उसे अपहृत कर राजधानी से निकल जाना है। इस दौरान पुलिस की मुस्तैदी और एक्शन को देखना है। फिर अपहरण के बाद फिरौती कैसे सेफ ढंग से लिया जाए का तजुर्बा हासिल करना था। तय हुआ था कि किसी को भी पटना से उठा लेना है। उठाकर उनकी पृष्ठभूमि जानकर फिरौती की रकम 3-4 दिनों के बाद वसूली जाएगी। ताकि पुलिस की सक्रियता कुछ कम हो जाए और अपहृत के परिजन दहशत से पस्त। फिर आराम से 10-15 लाख वसूली का इरादा था।

योजना बनी और शिकार बना पैक्स अध्यक्ष का बेटा

टारगेट की तलाश शुरू की गई। रकम वसूली का इरादा था कोई पूर्व का अनुभव था। तय हुआ अच्छे कपड़े और देखने मे ठीक ठाक युवक को उठाना है। कार की जरूरत पड़ती ईद लिए जूम कार से रेड कलर की एक स्वीफ्ट कार को बुक कर लिया गया। किडनैपिंग के इरादे से 9 जनवरी को कार में 6 सवार होकर 6 युवक सड़क पर निकले। कार बोरिंग रोड होते हुए पानी टंकी होते हुए एनआईटी मोड़ की तरफ पहुची। तभी इनकी नज़र रेस्टुरेंट से खाना खाकर 2 दोस्तो के साथ निकल रहा था। सबकी नज़रे पैक्स अध्यक्ष के बेटे पर जम गई। कार में आंखों ही आँखों मे इशारा हुआ और 4 लड़के कार से उतरे और पांचवा कार के पास और एक कार ड्राइवर के तौर पर स्टेयरिंग सभाले रहा। लड़के कार से उतरे और मारपीट कर मनीष को जबरन कार में बैठाए और सीधे मोतिहारी के लिए निकल गए। कार से सीधे मोतिहारी के बनारिया थाना स्थित लॉज में मनीष को कैद कर लिया। निगरानी के लिए तीन लड़कों को तैनात किया गया।

पैक्स अध्यक्ष को आये कॉल ने खोला राज़

मनीष को लॉज में कैद करने के बाद अब सुरक्षित वसूली की कोशिश शुरू हुई। इधर, एसएसपी ने सिटी एसपी सेंट्रल विनय तिवारी की अगुवाई में एक स्पेशल टीम भी बना डाली ताकि मनीष को सकुश बरामद किया जा सके। तभी एक नंबर से मनीष के पिता पैक्स अध्यक्ष मनोज सिंह कुशवाहा के मोबाइल पर कॉल आया था। यही कॉल इस केस का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

एसएसपी के अनुसार उनकी टीम ने सबसे पहले पटना से ही अंकित कुमार और बेतिया के रहने वाले राहुल उर्फ चरसी को उठाया. इन दोनों से पूछताछ हुई। इसके बाद ही सारी साज़िश खुल गई। दोनों की निशानदेही पर ही सिटी एसपी सेंट्रल की अगुवाई वाली टीम ने मोतिहारी के बनारिया थाना स्थित लॉज में छापेमारी की, जहां मनीष को किडनैप कर रखा गया था। वहां से 5 लड़कों को पकड़ा गया। जबकि एक को बाद में पटना से पुलिस ने अपने कब्जे में लिया। अब तक कुल 8 अपराधियों को इस केस में गिरफ्तार किया जा चुका है। अब भी दो अपराधी फरार चल रहे हैं।

अपहरण में हथियार का नहीं हुआ इस्तेमाल

बक़ौल एसएसपी के अनुसार अंकित और राहुल पर पहले से सिर्फ मारपीट के मामले दर्ज है। वही गिरफ्तार सभी अन्य लड़को ने पहली बार किसी अपराध को अंजाम दिया है। इस पूरी वारदात में सबसे बड़ी बात है कि कांड में अपराधियों ने किसी भी तरह के हथियार का इस्तेमाल नहीं किया।

वही, एसएसपी उपेन्द्र शर्मा के अनुसार मनीष रंजन अपहरण कांड को कुल 8 अपराधियों ने अंजाम दिया था। इसमें अंतरजिला गिरोह के भी शामिल थे। गिरफ्तार किये गये अपराधियों का पहचान अंकित कुमार उर्फ अंकित सरकार ,संजीत कुमार सिंह ,दोनों पटना जिला ,रानू मिश्रा उर्फ रजनीश मिश्रा ,शिवेन्द्र कुमार चौबे ,राहुल कुमार उर्फ चरसी उर्फ आर्यन, कमल कुमार पांडे उर्फ प्रिंस ,अर्जुन कुमार उर्फ सन्नी, सुजन कुमार गुप्ता ,सभी बेतिया जिला के रूप में हुई हैं।

एसएसपी ने बताया की पुलिस ने उक्त स्विफ्ट डिजायर कार(डब्लू बी 0 4 एच/7427 ) बरामद कर लिया हैं । इनमें दो अपराधी के ऊपर पूर्व से मामला दर्ज हैं ,अन्य अपराधियों का अपराधीक इतिहास खंगाला जा रहा हैं।

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