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दिल्ली में नेताओं से मुलाकात के क्या हैं मायने?

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पटना Live डेस्क.   राजनीति में संकेतों की भाषा को ही ज्यादा तवज्जो दी जाती है और यही भाषा का उपयोग फिलहाल नीतीश कुमार कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार खासा व्यस्त रहे हैं और उनका ज्यादा प्रवास दिल्ली ही रहा है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का विदाई समारोह हो या फिर नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का शपथ ग्रहण समारोह. नीतीश कुमार ने इन दोनों कार्यक्रमों के बीच दिल्ली में बिहार की राजनीति के बारे में एक नया माहौल बनाने की कोशिश की है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर उन्होंने तेजस्वी  यादव के मसले पर किसी तरह के समझौते से इनकार किया है. बताया जाता है कि नीतीश ने तेजस्वी को लेकर अपना रूख साफ कर दिया है कि उनका समर्थन करना सत्ताधारी गठबंधन के हित में नहीं है. वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव से भी मुलाकात कर उन्होंने अपनी राय उनके सामने रखी. शरद यादव को महागठबंधन सरकार का बड़ा हिमायती माना जाता है.

दरअसल इस मुलाकात का मकसद नेताओं को अपनी राय से अवगत कराकर नीतीश अपने स्टैंड को मजबूत करना चाहते हैं. नीतीश कुमार इस मामले में अपनी छवि से कोई समझौता नहीं करते दिखाई दे रहे हैं. आज उनकी मुलाकात संभवतया सोनिया गांधी से भी होनी है जहां वो अपनी और अपनी सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर नीतियों की बात को रखेंगे साथ ही उनकी भी राय जानने की कोशिश करेंगे. नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेने से पहले अपने पक्ष में जनमत तैयार करना चाहते हैं. पार्टी के दो बड़े नेताओं के सी त्यागी और अखिलेश कटियार से उन्होंने दिल्ली में मुलाकात कर अपनी राय साफ तरीके से जाहिर कर दी है.ऐसे में संकेतों की ये भाषा क्या गुल खिलाएगी इसका अंदाजा लगाना फिलहाल तो बेहद मुश्किल है लेकिन इतना तो तय लग रहा है कि नीतीश कुमार पिछले बीस दिनों से चल रहे इस घटनाक्रम का जल्द अंत करना चाहते हैं.

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