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जानिए किस मर्डर और आर्म्स एक्ट के मामले में आरोपी हैं नीतीश कुमार!

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पटना Live डेस्क. नीतीश कुमार के बिहार में सत्ता संभालते ही एक बार फिर सूबे का राजनीतिक पारा चरम पर है. सत्ता से दूर हो चुके लालू प्रसाद की पार्टी ने नीतीश कुमार पर आरोपों की बौछार कर दी है.नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खुद लालू प्रसाद ने संभाला है और उनके खिलाफ तरह-तरह के आरोप लगाए हैं. सरकार गिरने के बाद लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को मर्डर और आर्म्स एक्ट का आरोपी बता दिया और कहा कि इस मामले में नीतीश को सजा होने वाली थी जिसके चलते नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव का मामला उठाया. लालू के खुलासे के बाद नीतीश कुमार के समर्थक भी हैरान हैं. दरअसल यह मामला साल 1991 का है जिसका उल्लेख लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के खिलाफ लगाए आरोपों में किया है.  लालू प्रसाद यादव ने बाढ़ के पंडारक थाना के ढिबर गांव में हुई साल 1991 की सीताराम सिंह हत्या मामले में नीतीश कुमार को आरोपी बताया है और कहा है कि वो जल्द ही इस मामले में घिरने वाले हैं.
साल 1991 के नवम्बर में बाढ़ लोकसभा उप चुनाव में सीताराम सिंह नामक व्यक्ति की बूथ पर हत्या हुई थी जिसमे नीतीश कुमार सहित 4 लोगो के खिलाफ दर्ज करवाया गया था. मृतक सीताराम सिंह के भाई राजा राम सिंह के अनुसार,’ मामला सत्य है इसलिये लालू यादव ने फिर इसको उठाया है.जिस दिन घटना हुई वो वहा मौजूद थे.’
लालू के मुताबिक मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर एक नागरिक और एक वोटर की हत्‍या का मामला दर्ज है. लालू यादव के अनुसार 1991 में पंडारक थाने में हत्या के एक मामले में नीतीश कुमार धारा 302 के तहत आरोपी है. लालू ने कहा इस मामले में उन्होंने फर्जी दस्तावेज देकर जमानत ली है. राजद सुप्रीमो में इसको लेकर मीडिया के समक्ष दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि खुद को ईमानदार करार देने वाले नीतीश कुमार को पता था कि अब वे इस मामले में घिरने वाले है. इसको लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के साथ फिर से जाने का मूड बना लिया है.

जानिए पूरा मामला
हत्या का यह मामला बिहार की बाढ़ संसदीय क्षेत्र से जुड़ा है. नवम्बर 1991 में बिहार में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में तब बाढ़ में सीताराम सिंह नाम के एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले को लेकर उस समय ढिवर गांव निवासी अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था.मृतक सीताराम के रिश्तेदार राधे श्याम सिंह के अनुसार इस मसले पर 16.11.1991 पंडारक थाने में मामला दर्ज हुआ था.
1 सितम्बर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी पाते हुए उनपर इस मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था. बाद में इस मामले का हाईकोर्ट में स्‍थानांतरित करा दिया गया. वर्ष 2009 से लेकर अबतक यह मामला हाइकोर्ट में लंबित है.

चल रही मामले की सुनवाई
न्यायाधीश सीमा अली खान ने इस मामले में नीतीश की पैरवी कर रहे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. बाद में फिर से मामले पर सुनवाई शुरू हुई जो अभी भी चल रही है.

वोेटर की हुई थी हत्या

बाढ़ लोकसभा सीट के लिए 16 नवंबर वर्ष 1991 को हुए उपचुनाव के दौरान एक मतदान केंद्र पर कांग्रेस कार्यकर्ता और ढिवर गांव निवासी सीताराम सिंह की हत्या कर दी गयी थी.

सीताराम की हत्या के मामले में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पूर्व में नीतीश और दुलारचंद को छोड़कर अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया था.

वे आरोपी जिनके खिलाफ अदालत द्वारा संज्ञान लिया गया उनमें से एक योगेंद्र यादव द्वारा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय में यचिका दायर किए जाने पर उच्च न्यायालय ने आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी.

वोटिंग से मना किया
सीताराम सिंह हत्या मामले के एक गवाह अशोक सिंह ने बाद में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक प्रतिवाद सह शिकायत पत्र दायर कर आरोप लगाया था कि बाढ़ संसदीय उपचुनाव के दौरान 16 नवंबर वर्ष 1991 को वे सीताराम  सहित अन्य लोगों के साथ मतदान करने गये थे तभी वहां नीतीश कुमार जो कि जनता दल के उम्मीदवार थे, दुलारचंद यादव सहित अन्य लोगों के साथ पहुंचे और उन्हें वोट देने से मना किया था.
अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में कहा था कि नीतीश कुमार के साथ उस समय तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव थे और वे बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस थे.
गोली चलाने का आरोप
अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में आरोप लगाया था कि इन लोगों द्वारा वोट देने से मना किये जाने पर जब सीताराम ने उनकी बात नहीं मानी तो नीतीश ने उन्हें जान से मारने की नीयत से अपनी राइफल से गोली चला दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी.
उनके साथ आये अन्य लोगों द्वारा की गयी गोलीबारी से सुरेश सिंह, मौली सिंह, मन्नू सिंह एवं रामबाबू सिंह घायल हो गये थे.
शपथ पत्र में आरोपों की चर्चा
अशोक सिंह के परिवाद पत्र पर बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजन कुमार ने 31 अगस्‍त 2010 को सिंह के बयान और दो गवाहों रामानंद सिंह और कैलू महतो द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपराध दंड संहिता 202 के अंतर्गत नीतीश और दुलारचंद यादव को अदालत के समक्ष गत नौ सितंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया था. बाद में नीतीश द्वारा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय का रुख किये जाने पर न्यायालय ने बाढ़ अनुमंडल अदालत के उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी तथा इस कांड में नीतीश से जुड़े सभी मामलों को उसके पास भेजने को कहा था.नीतीश कुमार ने 2012 के विधान परिषद सदस्य के लिए चुनाव आयोग में जो शपथ पत्र दिया है, उसमें भी इस बात की चर्चा है.

 

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