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पश्चिम चंपारण: घूसखोर इंजीनियर चढ़ा निगरानी के हत्थे…साबिर से मांगी घूस में सत्तर हजार…निगरानी ने सिखाया सबक..

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शकील अहमद/पश्चिम चंपारण

पटना Live डेस्क.   जरा तस्वीर को देखिए…नाम..संतोष कुमार..पद सहायक अभियंता..मतलब असिस्टेंट इंजीनियर…विभाग..ग्रामीण कार्य विभाग..पोस्टिंग का स्थान-पश्चिम चंपारण…अगर वेतन का अंदाजा लगाएं तो यह कम से कम चालीस से पचास हजार मासिक के बीच…उपर से चोरी छिपे उपरी कमाई अलग से..कहने का मकसद यह है कि अगर महीने की सैलरी को ही लिया जाए तो एक आदमी इतनी तनख्वाह में आराम से जिंदगी गुजार सकता है…लेकिन उसका क्या जिसकी आदत ही घूसखोरी की हो..जिसके लिए रुपए कमाना एक नशा हो….और वो उस नशे में हमेशा चूर रहे..उसके लिए तो फिर तनख्वाह क्या…रुपयों की बरसात क्या…हवस ही ऐसी की जो कभी खत्म न हो…कुछ यही हाल है इस इंजीनियर साहब का…जब मेहनत के कमाए रुपयों से पेट नहीं भरा तो उतर आए घूसखोरी पर…वो भी पांच हजार..दस हजार नहीं…इस इंजीनियर साहब का पेट पचास हजार..एक लाख से कम में नहीं भरता है…दफ्तर में काम करने के लिए सरकार इनहें मासिक पगाड़ देती है..लेकिन भला इंजीनियर साहब इस बात को कहां समझने वाले थे…काम के बदले खुलेआम दफ्तर में रुपए मांगना इनकी फितरत थी…दफ्तर में इनसे काम कराने आया आदमी पेशगी देने के बाद ही अपने काम कराने में सफल हो पाता था…अगर आपने रुपए नही दिए तो आपकी फाइल किस कोने में गुम हो जाएगी इसका पता केवल इन साहब को ही होगा…हां अगर आपने रुपए दे दिए..तो आपका हर काम आसानी से तय समय के अंदर हो जाएगा..कुछ ऐसा ही हुआ साबिर हुसैन के साथ…

अपने काम के बदले रुपए का भुगतान कराने पहुंचे साबिर को नही पता था कि इंजीनियर साहब बिना चढ़ावे के कोई काम नही करते..काफी दिनों तक दफ्तर के चक्कर लगाने के बाद भी जब साबिर का काम नहीं हुआ तो उसने इस बात की जानकारी चाही की सारे कागजात जमा करने के बाद भी आखिर उसका काम हो क्यों नहीं रहा…इंजीनियर साहब से बात करने के बाद साबिर को यह अंदाजा हो गया कि बिना घूस दिए वो अपना काम यहां नही करवा सकता…लेकिन भला मेहनत के कमाए रुपए कोई कैसे किसी को बिना ठोस वजह के दे सकता है.. कई दिनों तक  दफ्तर के चक्कर लगाकर और इंजीनियर साहब की रुपयों की मांग से तंग साबिर ने आखिरकार उन्हें सबक सिखाने की ठानी…और इंजीनियर साहब से पूछा कि आखिर वो उसके काम के बदले में कितने रुपए लेंगे..रुपयों के भूखे इंजीनियर ने साबिर को उसके काम के बदले में सत्तर हजार रुपयों की मांग की…दोनों के बीच बातचीत फाइनल होने के बाद इंजीनियर साहब ने साबिर को बीस हजार रुपए अग्रिम के तौर पर जमा करने की बात कही…इस बीच साबिर ने इस घूसखोर इंजीनियर की कारस्तानी को निगरानी विभाग से बता दिया…निगरानी ने भी साबिर के आरोपों की जांच कर मामले को सही पाया..

तय योजना के मुताबिक साबिर ने बीस हजार रुपए का अग्रिम भुगतान घूसखोर इंजीनियर संतोष को कर दिया…और बाकी के पचास हजार रुपए जल्दी ही देने की बात कही…इस बीच निगरानी ने भी सारे आरोपों की जांच की और मामले को सही पाया..साबिर से बातचीत कर निगरानी ने जाल बिछाया और बाकी के पचास हजार रुपए इंजीनियर को देने की बात कही…साबिर ने योजना के मुताबिक पचास हजार रुपए घूसखोर इंजीनियर को पश्चिम चंपारण के सगुनी मोड़ पर देने के लिए बुलाया…दरअसर घूसखोर इंजीनियर ने ही इन रुपयों को ऑफिस में लेने से मना कर दिया था और सगुनी मोड़ पर साबिर को बुलाया था..बस क्या था..मौके पर पहले से ही तैनात निगरानी की टीम ने साबिर से पचास हजार रुपए लेते घूसखोर इंजीनियर संतोष को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया…अब निगरानी आरोपी को कोर्ट में पेश कर आगे की कार्रवाई करने में जुट गयी है…

 

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