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BiG News – मुंगेर AK-47 बरामदगी मामले में NIA ने कुख्यात हथियार तस्कर को गया से लिया दबोच

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पटना Live डेस्क। मध्यप्रदेश के जबलपुर के ऑर्डिनेंस डिपो से एके-47 गायब कर उसकी तस्करी करने के मामले में एनआईए की टीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है। गया जिले से कुख्यात हथियार तस्कर राजीव रंजन सिंह उर्फ चुन्नू सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। दरअसल बिहार और एमपी पुलिस की जांच में यह बात सामने आई थी कि जबलपुर स्थित सीओडी से तस्करों ने एक-दो नहीं बल्कि 63 एके 47 राइफल जबलपुर स्थित आर्डिनेंस डिपो से गायब की गई थी। अनुसंधान के दौरान 20 एके 47 बरामद हुई पर कई अन्य हथियारों का पता नहीं चला। बाद में यह केस एनआईए को सौंप दिया गया। तब से इस मामले का अनुसंधान एनआईए कर रही है।

एनआईए को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। सेना के जबलपुर स्थित ऑर्डिनेंस डिपो से गायब कर एके 47 को अपराधियों और नक्सलियों को बेचने के मामले में हथियार तस्कर राजीव रंजन सिंह उर्फ चुन्नू सिंह को सोमवार को गया शहर के मगध कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया गया।एनआईए के मुताबिक चुन्नू सिंह आदतन हथियार तस्कर है। गिरफ्त में आए चुन्नू के खिलाफ हथियार तस्करी के कई साक्ष्य मौजूद हैं।मिली जानकारी के अऩुसार राजीव रंजन सिंह मोहड़ा प्रखंड के तेतर पंचायत का मुखिया है और उसका यह घर अतरी थाना क्षेत्र में पड़ता है।

इसकी जानकारी एनआईए ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके दी है। इसमें राजीव रंजन की गिरफ्तारी आरसी 31/2008/NIA/DLI में करने की बात कही गयी है। राजीव रंजन सिंह पर मध्य प्रदेश के जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से हथियार के पार्ट्स की चोरी करने और उसके बाद चोरी के पार्ट से हथियार बनाने का काम करता था।हथियार की चोरी के गिरोह में वह किंगपिन का काम करता था।

क्या है पूरा मामला 

उल्लेखनीय है की 29 अगस्त 2018 को मुंगेर के प्रभारी एसपी बाबू राम के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में तीन एके 47 राइफल बरामद हुई थी। जांच में यह बात सामने आई कि तस्करों ने एक-दो नहीं बल्कि 63 एके 47 राइफल जबलपुर स्थित आर्डिनेंस डिपो से गायब की गई थी। अनुसंधान के दौरान 20 एके 47 बरामद हुई पर कई हथियारों का पता नहीं चला। बाद में यह केस एनआईए को सौंप दिया गया।

जांच में यह बात सामने आई कि प्रतिबंधित बोर की एके सीरिज की राइफलों को डिपो से चुरा कर तस्करों के हाथ पहुंचाया गया। इसमें डिपो के तत्कालीन कर्मियों के साथ पूर्व कर्मियों की संलिप्तता सामने आई थी। चोरी किए गए हथियारों को मुंगेर के तस्करों तक पहुंचाया गया। बाद में हथियार नक्सलियों और बड़े आपराधिक गिरोहों को बेच दिए गए।

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