बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

क्या पुुराने दिग्गजों के बीच राजद के सर्वमान्य नेता बन पाएंगे तेजस्वी?

138

पटना Live डेस्क. महागठबंधन सरकार टूटने के बाद राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ खुलकर मैदान में हैं. शायद ही किसी दिन ऐसा हो जब वो मुख्यमंत्री पर निशाना नहीं साधते हों. जाहिर है राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए तेजस्वी के लिए यह बेहद जरुरी भी है. अगर पूरे दमखम से मैदान में नहीं उतरे तो राजद का भविष्य फिर से उसी दौर में होगा जब पहली बार नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनायी थी. उन सात सालों के बीजेपी के साथ ने राजद और लालू प्रसाद को राजनीतिक रुप से हाशिए पर डाल दिया था. राजनीतकि पंडित तो कभी-कभार यह भी कयास लगा रहे थे कि अब शायद लालू प्रसाद का फिर से उदय नहीं हो और वो राजनीतिक अंधेरे में कहीं गुम न हो जाएं. लेकिन साल 2015 ने एक बार फिर लालू प्रसाद औऱ आरजेडी को नई संजीवनी दी और नीतीश कुमार के साथ मिलकर लालू प्रसाद ने महागठबंधन तैयार किया और बीजेपी को राज्य में मात दी. करीब बीस महीनों तक तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर और लालू प्रसाद के अड़ियल रवैये के चलते एक बार फिर लालू प्रसाद वहीं हैं जहां वो साल 2007 में थे. उस दौर में लालू प्रसाद अकेले थे और वर्तमान में भी अकेले ही हैं. लेकिन अबकी बार स्थिति बिल्कुल अलग है. लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप राजनीतिक तौर पर सक्षम हैं और इस बार उन्होंने लड़ाई की बागडोर खुद अपने हाथों में ले ली है. एक तरह से देखा जाए तो इस बार लालू प्रसाद के ज्यादा मुखर तेजस्वी ही हैं. रोजाना नीतीश कुमार पर हमला बोलकर वो अखबारों, टेलीविजन की नजरों में हैं लगातार वो नीतीश कुमार के खिलाफ बोलकर सुर्खियां बन रहे हैं. तेजस्वी के इस रुख के चलते नीतीश कुमार के लिए भी इस बार की लड़ाई आसान नहीं होगी. 27 अगस्त को राजद पटना के गांधी मैदान में ‘भाजपा भगाओ’ रैली का आयोजन कर रही है हालांकि इस रैली की घोषणा तो महागठबंधन सरकार के रहते ही हो चुकी थी और चूंकि भाजपा उस समय उस सरकार की मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी सो राजद ने उस रैली का नाम भाजपा भगाओ रैली रखा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही राजनीति ने पलटी मारी और अब महागठबंधन सरकार गिरते ही नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए ने सरकार बना ली है. सो सरकार भी बदली और राजनीतिक परिस्थिति भी बदली अब राजद के निशाने पर बीजेपी से ज्यादा नीतीश कुमार हैं. राजद का रोजाना हमला इस बात की तस्दीक कर रहा है. वर्तमान एनडीए सरकार के खिलाफ 9 अगस्त यानि बुधवार से तेजस्वी जनादेश अपमान यात्रा पर निकल रहे हैं. राजद का कहना है कि तेजस्वी इस यात्रा में पूरा बिहार घूमेंगे और लोगों को नीतीश कुमार के धोखे के खिलाफ गांधी मैदान आने को कहेंगे.

बिहार में सत्ता से दूर हुई आरजेडी की अब अग्निपरीक्षा है. नीतीश का साथ छूटने के बाद आरजेडी अपने खुद की जमीन तलाशने में जुट गई है. ऐसे में लालू यादव के नाम से जानने वाली आरजेडी को एक मजबूत उत्तराधिकारी मिल गया है. तेजस्वी यादव आज आरजेडी का वो युवा चेहरा बन गए हैं जिनपर पार्टी का पूरा दारोमदार है. पार्टी के अंदर और खुद लालू भी मानने लगे हैं कि तेजस्वी में बड़े नेता के सारे गुण हैं. ऐसी चर्चा जोरों पर है कि अब आरजेडी में तेजस्वी युग का जलवा है. लालू युग अब पुराने दिनों की बात है.
यह बात सही है कि बिहार में सियासत के बदलते माहौल में आरजेडी भी खुद को बदलना चाहती है. लालू के गरीब रैला, लाठी रैली के इतर 21 साल की युवा आरजेडी को अब तेजस्वी का सहारा है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के पुराने नेता इस बदलाव को खुले मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे. लेकिन पार्टी के अंदर खुले मन से कोई विरोध भी नहीं कर रहा. उधर जेडीयू ने तेजस्वी पर तंज कसा है. जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि तेजस्वी पहले घर में नेता बन जाएं. देश तो बाद में मानेगा, क्या मीसा भारती उन्हें नेता मानती हैं?, क्या तेजप्रताप उन्हें नेता मानते हैं?

ये सभी जानते हैं कि लालू के बगैर आरजेडी का कोई वजूद नहीं है और लालू के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलनेवाले उनके पुराने साथी तेजस्वी युग में खुद को कितना कंफर्टेबल रख पाते हैं यह वक्त बताएगा. लेकिन तेजस्वी पर यह बड़ा दांव ना सिर्फ आरजेडी बल्कि खुद तेजस्वी के लिए भी एक अग्निपरीक्षा ही है.

Comments are closed.