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भगवान राम वाले अपने बयान पर बोले मांझी-‘अपनी बात पर हूं कायम, दोबारा कहता हूं कि मैं राम के अस्तित्व को नहीं मानता हूं’

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पटना Live डेस्क। बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने पर प्रदेश की सियासत तेज हो गयी है। बिहार बीजेपी भी यह मांग कर रही है कि यहां पर भी बच्चों के सिलेबस में रामायण को जोड़ दिया जाए। इसको लेकर जब बिहार की पूर्व सीएम और हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी से सवाल किया गया तो उन्होंने भगवान राम के आस्तिव पर ही सवाल उठा दिए। वहीं उनके द्वारा राम के बयान के बारे में उनसे दोबारा पूछा गया तो हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने कहा कि वह अपने पिछले बयान पर 200 फ़ीसदी कायम है और मैं दोबारा कहता हूं कि मैं राम के अस्तित्व को नहीं मानता हूं। अपनी-अपनी आस्था की बात है। कोई भगवान को मानते हैं और कोई नहीं मांते हैं।
हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने कहा कि कोई अपनी इमानदारी और कर्तव्य को मानते हैं, कोई नहीं मानते हैं। हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने कहा कि जिस रूप में राम को लोग मानते हैं, उस रूप में हम नहीं मामते हैं। वे महानायक थे। अच्छा काम, अच्छी नीतियां उन्होनें बताई हैं, जिसका लोगों को अनुश्रवण करना चाहिए। चीजों को देखने का अपना-अपना नजरिया है। रामायण महाकाव्य है। उसमें कई बातें और सूक्तियां कही गई हैं। रामायण में लिखी अच्छी बातों को मानना चाहिए।
गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने पर तो हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने हामी भरी, लेकिन यह कहकर विवाद पैदा कर दिया कि रामायण की कहानी सत्य पर आधारित नहीं है। राम महापुरुष थे, वह इस बात को भी नहीं मानते। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि बच्चे भी उसे पढ़ें। लेकिन, उन्होंने रामायण को काल्पनिक ग्रंथ बताया। मांझी ने कहा कि रामायण की कहानी को वे सत्य नहीं मानते। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीराम को कहा जाये कि वह महापुरुष थे और जीवित थे, इस चीज को भी वे नहीं मानते हैं।

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