बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

एक मॉल ने मचायी लालू परिवार में अशांति!

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सुंदर राजनीतिक भविष्य के साथ-साथ आर्थिक तौर पर भी बिहार में नाम कमाने के सपने ने लालू प्रसाद के राजनीतिक ख्वाब को तहस-नहस कर दिया. पटना के बेली रोड पर बन रहे एक मॉल ने लालू परिवार में अशांति मचा दी. लालू परिवार के उत्तराधिकारी और भविष्य के नेता तेजस्वी यादव राजनीति की पारी शुरु करते ही दागी हो गए. उऩके खिलाफ पहली बार कोई मुकदमा दर्ज हुआ है. लालू की राजनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षा ने तेजस्वी को नेता बनने से पहले ही उनके भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा दिया. खुद लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में अभी उबर भी नहीं पाए कि सीबीआई ने उन्हें एक दूसरे मामले में आरोपी बना दिया. राबड़ी देवी को भरोसा नहीं हो रहा है कि उनका परिवार अचानक कैसे आरोपों के जाल में उलझ गया. लालू परिवार की बड़ी बेटी मीसा भारती और उसके पति शैलेश आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी हैं. देखा जाए तो सीबीआई ने एक साथ लालू परिवार के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. सीबीआई का आरोप है कि लालू परिवार ने पटना में बन रहे मॉल की तीन एकड़ जमीन को महज 65 लाख रुपए में खरीदा जबकि उसकी बाजार दर 94 करोड़ रुपए थी और सर्किल रेट 32 करोड़ रुपए.

मुकदमे की नींव

धोखाधड़ी का ये खेल शुरु होता है विनय कोचर और विजय कोचर से जो फिलहाल चाणक्या होटल के मालिक हैं.विजय कोचर और विनय कोचर की तीन एकड़ जमीन बेली रोड में थी जो इऩ्होंने लालू प्रसाद की ही पार्टी के प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को 1 करोड़ 47 लाख रुपए में बेच दी. जबकि उस समय के हिसाब से इस जमीन की कीमत करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपए होनी चाहिए थी. इसके बाद डिलाइट मार्केटिंग कंपनी ने यह जमीन लालू प्रसाद की कंपनी लारा प्रोजेक्टस का महज 65 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दी. इस कंपनी के प्रोमोटरों में तेजस्वी यादव भी शामिल हैं.

विवादों में मॉल

इस मॉल की वजह से ही लालू परिवार में हलचल मच गई. बिहार सरकार ने भी अब पटना हाईकोर्ट में ये जानकारी दी है कि मॉल के निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया. इसके लिए पर्यावरण क्लीयरेंस भी नहीं ली गई. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाईकोर्ट में दिए अपने जवाब में केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय का एक पत्र भी दाखिल किया है, जिसमें मंत्रालय ने स्पष्ट किया है नियमों के मुताबिक मॉल बनाने की अनुमति नहीं ली गई. उधर इस मामले में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है जिसमें कोर्ट से मॉल निर्माण और यहां की मिट्टी की पटना जू में गैरकानूनी ढंग से बिक्री की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. प्रदूषण बोर्ड ने कोर्ट को वह पत्र भी सौंपा है जिसमें मॉल के डवलेपर को काम रोकने की बात कही गई है. पर्यावरण मंत्रालय की मानें तो बीस हजार स्क्वायर मीटर से अधिक के निर्माण के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस की आवश्यकता होती है,जबकि यह मॉल 71,214 स्क्वायर मीटर में बन रहा है.

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