बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

BiG News-नवम्बर में जिस हाथ पर सजती मेंहदी बेबसी ऐसी की काटना पड़ा हाथ!अस्पताल रूपी इन बूचड़खानो पर क्यों मौन रहता है सुशासन?

राजधानी में आरोग्य संस्थान की नर्स की घातक लापरवाही ने युवती को जीवन भर के लिए बनाया दिव्यांग, हाथ गवाया शादी टूटी भविष्य पर सवाल,किसान पिता पर टूटा दुखों का पहाड़, सदमे में पूरा परिवार

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पटना Live डेस्क। बिहार में अस्पतालों की घातक लापरवाही के किस्से अमूमन हर दो चार दिनों में खबरों की सुर्खियां बनते है। वही, दूसरी तरफ बिहार सरकार के हेल्थ विभाग द्वारा संचालित तमाम अस्पतालों में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं के दावों के उलट ईक्का दुक्का पीएचसी व कुछ अस्पतालों को छोड़कर बाकी तमाम जगह आपको कुव्यवस्था व मौजूद नर्सिंग स्टॉफ की बदमिजाजी व लापरवाही के अलावे टरकाने और सुविधाओं के भीषण अभाव और डॉक्टर व अन्य स्टाफ की अनुपस्थिति ही दिखाई देती है। हालात का तफ़सरा करे तो अमूमन राजधानी पटना समेत सूबे के हर शहर और कस्बे में कुकरमुत्ते की तरह मौजूद नर्सिंग होम्स और तमाम तरह के संस्थानो के बैनर तले चलने वाले अस्पताल बीमारियों/मर्ज के बेहतर इलाज़ करने के टैग लाइन के साथ धड़ल्ले से संचालित हो रहे है।लेकिन अमूमन इन नर्सिंग होम्स और निजी अस्पतालों में अयोग्य क्लिनिकल स्टाफ, अप्रशिक्षित नर्स और अकुशल डॉक्टरों की अज्ञानता से मर्ज तो ठीक नही ही होता है लाखों लाख खर्च कर भी मरीज ही खत्म हो जाता है या पुराने मर्ज के साथ एक नए रोग की चपेट में आजाता है। इसी परिपाटी की वजह से एक बार फिर राजधानी के चर्चित संस्थान द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल स्टाफ की घातक लापरवाही से एक युवती की जान के लाले पड़ गए बल्कि जीवित रहने ख़ातिर अपना एक हाथ गवाना पड़ा है साथ ही अब भविष्य भी अन्धकारमय प्रतीत हो रहा है।

कान का ईलाज कराने आई गवाना पड़ा हाथ

            दरअसल, बिहार के शिवहर जिले के एक किसान परिवार में जन्मी रेखा कुमारी विगत महिनों से कान दर्द की समस्या से पीड़ित थी। स्थानिए स्तर पर ईलाज करवाया तो समस्या से निजात नही मिली तो डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दे दी। परिजनों ने सीमित आय के विकल्पों को देखते हुए कम बजट और बेहतर इलाज़ के तहत पटना स्थित महावीर आरोग्य संस्थान के कंकड़बाग का रुख किया। रेखा 11 जुलाई को परिजनों संग राजधानी स्थित महावीर आरोग्य संस्थान पहुची ताकि बेहतर ईलाज हो सके।

नर्स की घातक लापरवाही

कान के ऑपरेशन ख़ातिर संस्थान की एक नर्स द्वारा रेखा को दर्द निवारक (Pain killer) इंजेक्शन दिया गया। लेकिन कान के ऑपरेशन के दर्द से बचाने ख़ातिर एक नर्स द्वारा दिए गए Dilona Aqua (डायलोना एक्वा) इंजेक्शन की वजह से रेखा को अब जिंदगी भर का कभी न खत्म होने वाला दर्द मिल गया है। यह ऐसा दर्द मिल गया है जिसकी टीस न केवल रेखा बल्कि इनके माता पिता समेत पूरे परिवार को ताउम्र सालता रहेगा।

               दरअसल,महावीर आरोग्य संस्थान में ऑपरेशन से पहले नर्स द्वारा डायलोना एक्वा नामक इंजेक्शन देते वक्त बेहद घातक लापरवाही की गई। डायलोना एक्वा इंजेक्शन को नसों में इंजेक्ट किया जाता है। लेकिन संस्थान में कार्यरत नर्स जिसने इंजेक्शन लगाया उसने बेहद घातक लापरवाही करते हुए नस की जगह मांसपेशी में इंजेक्ट कर दिया। नतीजन परिणाम यह हुआ जिस हाथ मे इंजेक्शन दिया गया रेखा का वह हाथ धीरे धीरे गलने लगा। हालात दिन ब दिन बद से बदतर होने लगे। जिन हाथों को पीला करने की तिथि नवम्बर महीने में निर्धारित कर रेखा को डोली में विदा करने की तैयारी में माँ बाप जुटे थे अब इस अकल्पित विपदा में डॉक्टरों के चक्कर लगाते शिवहर -पटना-दिल्ली के बीच भटकने लगे। लेकिन कही भी रेखा गलते हाथ का मुकम्मल इलाज़ नही हो पाया। उल्टा मर्ज लगातार बढ़ता ही जा रहा था। हालात लगातार खराब होते जा रहे थे गलते हाथ में इंफेक्शन बढ़ता ही जा रहा था। बेबसी और लाचारगी के बीच पिता को डॉक्टरों ने बताया कि हाथ काटना पड़ेगा नही तो बेटी की जान जा सकती है।

हाथ कट … और शादी टूट गई

बेटी के जिन हाथों को पीला करने का सुदिन नवम्बर में तय था उस के गलते हाथ और डॉक्टरों की स्पष्ट सलाह के बीच लाचार पिता पल पल अनजाने खौफ़ से सिहर रहे थे आखिर वो डर सच साबित हो गया। आखिरकार 12 अगस्त को राजधानी के उसी कंकड़बाग एरिया में जहाँ बेटी के साथ घातक लापरवाही महावीर आरोग्य संस्थान के नर्स द्वारा किया गया था स्थित एक बेहद चर्चित मल्टीस्पेशलिस्ट पंच सितारा सुविधाओं वाले अस्पताल ने साफ साफ कह दिया हाथ काटना पड़ेगा नही तो जान नही बचेगी! यह भयावह आशंका सच साबित हुई और नंवबर में तय रेखा की शादी टूट गई क्योकि ……

सच और सवाल 

सवाल उठता है आखरी कबतक युही आमआदमी के साथ इन निजी अस्पतालों द्वारा मर्ज ठीक करने के नाम पर लाखों लाख वसूल करने के बावजूद नाकाबिल और अप्रशिक्षित नर्सिंग व क्लिनिकल स्टाफ के हवाले कर भेड़ बकरियों जैसा सुलूक होगा। आखिर क्यों सरकारी तंत्र इन अस्पताल रूपी बूचड़खानों की करतूतों से अनजान बना रहता है।

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