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जेपी यूनिवर्सिटी के सिलेबस मामले में लालू ने किया विरोध, तो एक्शन में आई सरकार

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पटना Live डेस्क। बिहार की जेपी यूनिवर्सिटी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के ऐतराज के बाद अब बिहार सरकार एक्शन में आ गई है। शिक्षा विभाग ने जेपी यूनिवर्सिटी में लोकनायक जयप्रकाश और राम मनोहर लोहिया के साथ ही अन्य से संबंधित चैप्टर के हटाए जाने को गंभीरता से लिया है। उन्होंने जेपी यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार को तलब किया है।
दरअसल, सारण स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय की नींव जिस शख्सियत के नाम पर पड़ी उसी जयप्रकाश नारायण के विचारों को पॉलिटिकल साइंस के पीजी सिलेबस से हटा दिया गया। राम मनोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजाराम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार भी अब सिलेबस में छात्र नहीं पढ़ सकेंगे।
खास बात कि नए सिलेबस में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है। इससे सारण के छात्रों और प्रबुद्ध संगठनों में रोष व्याप्त है कि लोकनायक के नाम पर ही उनका विवि स्थापित है, पर पीजी पॉलिटिकल साइंस के चैप्टर से वे गायब हैं। अन्ना हजारे, दलित आंदोलन के साथ जेपी आंदोलन को जोड़ा जरूर गया है, लेकिन प्रेरणादायी विचार इसमें शामिल नहीं होगा।
जेपी व लोहिया का यह मामला बिहार के सियासी गलियारे में भी पहुंच गया। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने इस पर तीखा ऐतराज जताया। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा- ‘मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे हैं। जेपी-लोहिया हमारी धरोहर है, उनके विचारों को हटाना बर्दाश्त से बाहर है। सरकार अविलंब संज्ञान लेकर आवश्यक कारवाई करें।’

इधर मिल रही जानकारी के अनुसार, जेपी व लोहिया समेत अन्य से संबंधित चैप्टर को सिलेबस से हटाए जाने को लेकर शिक्षा विभाग ने भी नाराजगी जताई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने जेपी यूनिवर्सिटी के वीसी और रजिस्ट्रार को तलब किया है। बता दें कि इसे लेकर सारण में भी स्थानीय स्तर पर बुद्धिजीवियों में रोष है और इसकी कड़ी भर्त्सना की है।

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