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Election Breaking : किशनगंज संसदीय सीट से महमूद अशरफ होंगे जदयू के प्रत्याशी!

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बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हो चूका है । बिहार एनडीए नेताओं ने पटना में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीट बंटवारे का एलान किया । इसके तहत जदयू – 17, बीजेपी – 17 , लोजपा – 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। बहरहाल अभी तक प्रत्याशियों के नाम पर एनडीए के घटक दलों ने अंतिम मुहर नहीं लगाई है।
जदयू सूत्रों के हवाले से पक्की खबर आ रही है कि महमूद अशरफ किशनगंज लोकसभा सीट से जदयू के प्रत्याशी होंगे। पिछले कुछ दिनों से किशनगंज में जदयू के नेता किशनगंज में उम्मीदवार ढूंढ रहे थे। वर्तमान ठाकुरगंज विधायक – नौशाद आलम और कोचाधामन विधायक – मुजाहिद आलम को भी जदयू आलाकमान ने तलब किया था। लेकिन दोनों विधायकों की ना के बाद महमूद अशरफ को चुनावी मैदान में उतरा गया है। महमूद अशरफ सीमांचल की राजनीति में लम्बे समय से सक्रिय हैं। पूर्णिया और किशनगंज में अशरफ लगातार जनता के बीच उपलब्ध रहते हैं। महमूद अशरफ 2009 में जदयू के टिकट पर किशनगंज से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2009 के लोकसभा चुनाव में अशरफ को कांग्रेस के असरारूल हक़ ने पटखनी दी थी।

जदयू को क्यों ढूंढना पड़ा उम्मीदवार

जहाँ एक और पूरे बिहार में एनडीए के भीतर सीटों के लिये घमासान जारी है वहीँ दूसरी और किशनगंज में जदयू को प्रत्याशी ढूंढ कर लाना पड़ा। सीमांचल के सियासत पर नज़र रखने वाले लोगों के मुताबिक मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र किशनगंज में कांग्रेस का दबदबा रहा है। असरारुल हक़ के असामयिक निधन के बाद अगर कांग्रेस जाहिदुर्र रहमान को अपना प्रत्याशी बनाती है तो मुस्लिम मतदाताओं का सिम्पेथी वोट कांग्रेस को मिलेगा। जाहिदुर्र रहमान, असरारुल हक़ के भाई है व बिहार सरकार में पूर्व में मंत्री भी रह चुकें हैं। मौलाना नाम से पुकारे जाने वाले असरारुल हक़ किशनगंज में काफी लोकप्रिय थे । किशनगंज के मुस्लिम मतदातों का झुकाव् मौलाना की और ही रहा है और असरारुल हक़ के राजनीतिक विरासत में सेंधमारी करने में दुसरे दल के प्रत्याशियों को पसीने छूट सकते हैं।
कांग्रेस में मोहम्मद जावेद के नाम पर भी चर्चा चल रही है। जावेद भी इलाके के जाने पहचाने नाम हैं। वर्तमान में जावेद पोठिया विधान सभा से विधायक हैं। आज़ादी के बाद से मुसलमान वोटरों ने ज्यादातर कांग्रेस को ही वोट किया है। किशनगंज में मुस्लिम मतदाता ही निर्णायक भूमिका में होते है। अगर मोहम्मद जावेद को कांग्रेस चुनावी अखाड़े में उतारती है तब भी किशनगंज में एनडीए को कांग्रेस के किले को ढहाने में काफी मशक्कत करनी होगी।

एनडीए की नज़र वोटों के धुर्वीकरण पर

AIMIM के अख्तरुल ईमान के भी चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है। एनडीए मान कर चल रही है अख्तरुल के चुनाव में उतरने से मुस्लिम वोटों का धुर्वीकरण हो जाएगा और ज्यादातर हिन्दू एनडीए को वोट करते हैं। ईमान कांग्रेस वोटरों को अपने पाले में लाएंगे इसका फायदा जदयू प्रत्याशी को मिल सकता है। 2014 में मोदी की लहर के बावजूद मौलाना कासमी करीब 194 हजार वोटों से विजयी हुए।  मुस्लिम वोटरों की एकजुटता के चलते बीजेपी प्रत्याशी डॉ। जायसवाल को हार का मुंह देखना पड़ा था। इस समय यहां की लोकसभा सीट के वोटरो की संख्या 11 लाख 86 हजार 369 है। इनमें महिला वोटर 5 लाख 61 हजार 940 हैं जबकि पुरुष वोटरों की संख्या 6 लाख 24 हजार 429 है।  इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय में शामिल सूरजापुरी मुसलमान, शेरशाहवादी  मुसलमान, कुल्हिया एवं अन्य मुस्लिम जाति की 70 प्रतिशत आबादी है। वहीं 30 प्रतिशत हिंदु समुदाय से जुड़े विभिन्न जातियों के मतदाता हैं।

गौरतलब है कि बिहार के किशनगंज सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस नेता मौलाना असरारुल हक यहां से सांसद थे। करीब 80 वर्ष की आयु में पिछले साल सात दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई। लोकसभा चुनावों के समय पार्टी प्रचार के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी भी यहां आती रही हैं। असरारुल हक की मृत्यु के बाद इस बार यहां का समीकरण कुछ बदला-बदला सा होगा।

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