बेधड़क ...बेलाग....बेबाक

BIG NEWS – 1984 बैच के रिटायर्ड #आईपीएस रविन्द्र कुमार बनाये गए बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष

1,632

पटना Live डेस्क। बिहार कैडर के 1984 बैच का ऐसा जाबांज आईपीएस ऑफिसर जिसकी तारीफ़ आवाम और पुलिस विभाग ही नहीं बल्कि नक्सलियों के हार्डकोर सदस्य भी किया करते थे।आईपीएस अधिकारी रविन्द्र कुमार जो एडीजी (मुख्यालय) डीजी निगरानी, सेंट्रल रेंज डीआईजी, पटना के एसएसपी समेत कई पदों पर रहकर अपनी सेवा से अमिट छाप छोड़ते हुए बिहार पुलिस के डीजी रैंक से बुधवार 31अक्टूबर 2018 को रिटायर्ड हुए। आईपीएस रविन्द्र कुमार के ईमानदारी और कार्य कुशलता के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कायल रहे है।रविन्द्र कुमार को निगरानी विभाग का एडीजी और फिर प्रमोशन के बाद डीजी बनने तक भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए जिम्मेदारी दी गयी थी। रवीन्द्र कुमार ने निगरानी विभाग को ऐसा धार दिया कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचारियों के बीच निगरानी का ख़ौफ़ कायम हो गया।
राज्य सरकार ने रवीन्द्र कुमार को बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया है। कुमार 1984 बैच के रिटायर्ड आइपीएस अफसर हैं। वे नियुक्ति की तिथि से अगले पांच साल या पैंसठ साल की उम्र तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। हिमाचल प्रदेश के निवासी रवीन्द्र कुमार विनम्र स्वभाव के शख्स हैं।

EX DGP केएस द्वीवेदी को भी मिलेगी जिम्मेदारी

सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने रिटायर हुए डीजीपी केएस द्विवेदी को भी रिहैबलिटेट किया जाना है।चर्चा है कि उन्हें बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग का मेंबर बनाया जा सकता है। द्विवेदी बुधवार को नये पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ मंच पर देखे गये थे।            पुलिस मुख्यालय में कॉफी टेबल बुक का विमोचन और थानों के लिए 1001 नयी जिप्सी गाड़ियों को फ्लैग ऑफ किया गया था। रिटायर होने के बाद द्विवेदी पहली किसी सार्वजनिक मंच पर दिखे थे। यूपी के निवासी द्विवेदी अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा चर्चा में रहे हैं।

स्पीडी ट्रायल चलाकर दिया सुशासन को पहचान

बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ और जब मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने गद्दी संभाली तो अपराध को कैसे रोका जाए और अपराधियों पर लगाम कैसे लगाया जाए। यह विषय सरकार के प्रमुख वायदों और इरादों में शामिल था। एडीजी के रूप में रविन्द्र कुमार बनाएं गये। अपराधियों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल कराने की रणनीति बनी। एडीजी रविन्द्र कुमार के सक्रियता और गंभीरता का परिणाम यह हुआ की महिने-दो महिने के अंदर, आर्म्स एक्ट के मामले में अपराधियों की सजा होने लगी। चुकी आर्म्स एक्ट के मामले में पुलिसकर्मी गवाह होते थे और समय पर पुलिसकर्मियों की गवाही हुई।

अपने विदाई समारोह में रविन्द्र कुमार भावुक हो उठे थे। अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए डीजी रविन्द्र कुमार ने कहा कि पुलिस का कार्य लोगों की सेवा करना होता है। उन्होनें कहा कि पुलिस सेवा में आने से पहले केवल एक बार ही बिहार आए थे। मैंने पूरी निष्ठा, लगन और ईमानदारी से सेवा करने का भरपूर प्रयास किया और लोगों का विश्वास जीतने में सफलता रहा।

पटना के बीएमपी 5 में विदाई सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। बीएमपी के जवानों ने परेड कर उन्हें सलामी दी थी।उक्त मौके पर बिहार पुलिस के तात्कालिक डीजीपी कृष्ण स्वरूप द्विवेदी समेत पुलिस के तमाम आलाधिकारी मौजूद रहे थे। बिहार में जब नक्सली गतिविधियां चरम पर थी और आम जनता की कौन कहे पुलिस ऑफिसर भारी फ़ोर्स के लाव लश्कर के साथ भी नक्सलियों से टकराने से घबराते थे।वैसे कठिन समय में नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें मात देने वाले बिहार होमगार्ड के डीजी रविन्द्र कुमार बुधवार 31 अक्टूबर को सेवानिवृत हो गए थे।                  

लेकिन, उनकी कर्तव्यपरायणता और कर्मठता को ध्यान में रखते हुए एक बार पुनः नीतीश सरकार ने बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग का अध्यक्ष बना कर रवींद्र कुमार को उनके ईमानदार प्रयासो और सुशासन को स्पीडी ट्रायल से हक़ीक़त में तब्दील के प्रयासो को सम्मानित किए है।

Comments are closed.