पटना Live डेस्क। राजधानी पटना में क्राइम कन्ट्रोल खातिर बने क्लिक मोबाइल दस्ता अब लगभग गुम हो चुका है। पटना वासियों का तो स्पष्ट कहना है कि किसी भी छोटी-बड़ी वारदात के इंवेस्टिगेशन और अरेस्टिंग में इनकी कोई भूमिका अब नजर नहीं आती है।वही आम शहरी की मानें तो आराम से पेट्राल भरकर सड़क पर घूमना ही इनका काम रह गया है। हालात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि वर्षो से जिस थाने में इनकी तैनाती है वहां के स्थानीय लोग भी इन्हें नहीं पहचानते। राजधानी के मामले में यह सच प्रतीत होता है कि क्विक मोबाइल सिर्फ नाम के बनकर रह गए हैं। विगत वर्षों में क्विक मोबाइल की साख बेहद कम हुई ही है क्योंकि यह नाम के लिए एक्टिव है और अक्सर गलत कारणों से सुर्खियों में रहते है। खैर, देर से ही सही पर पुलिस के सीनियर अधिकारियों को भी इसका एहसास हुआ है। तभी तो पटना के थानों में वर्षो से तैनात क्विक मोबाइल के सिपाहियों का तबादल कर दिया गया है।
दरअसल,राजधानी पटना के बढ़ते क्राइम ग्राफ को रोकने के लिए वर्त्तमान एसएसपी मनु महाराज ने इस विशेष दस्ते का वर्ष 2011 में उस वक्त गठन किया था जब वो पटना में बतौर SP पोस्टेड थे। राजधानी के अपराध जगत के रग रग से वाकिफ एसएसपी मनु महाराज विजिबल पुलिसिंग की कवायद के बड़े हिमायती रहे ताकि आवाम को सुकून की नींद और सुरक्षित राजधानी का अहसास हो। इसी कवायद के तहत क्विक मोबाइल टीम को रीएक्टिवेट करने का काम शुरू हो गया है। इसी कड़ी में सबसे पहले क्वीक मोबाइल के आरक्षियों का तबादला किया गया है।
साथ ही स्पष्ट संदेश क्विक मोबाइल दस्ते के आरक्षियों को दे दिया गया है। यह पुराना रवैया अब नहीं चलेगा। काम करना पड़ेगा और अपने इलाके की एक एक खबर रखनी होगी।क्विक मोबाइल दस्ते को थाना क्षेत्र की गली गली में घुसकर अपनी कार्रवाई करनी होगी। इलाके के बैड एलिमेंट पर कड़ी नजर रखनी होगी। इससे क्विक रिस्पॉन्स से काम आसान हो जाएगा।हर हाल में क्राइम कंट्रोल और लॉ एंड आर्डर को मेंटेन करना ही लक्ष्य है।
एसएसपी दावा है कि क्विक मोबाइल के सही रिस्पांस से ही लोगों का भरोसा जीता जा सकता है और क्राइम कंट्रोल हो सकेगा।
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